गुरु घासीदास की 268वीं जयंती: गिरौधपुरी में भव्य आयोजन, जैतखामों में होगी विशेष पूजा
268th birth anniversary of Guru Ghasidas: संत गुरु घासीदास की जयंती आज पूरे उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाई जा रही है। इस पावन अवसर पर प्रदेश के हर कोने में भव्य आयोजनों की तैयारियां जोरों पर हैं। हजारों की संख्या में श्रद्धालु देश-प्रदेश से गुरु घासीदास की जन्मस्थली, गिरौदपुरी धाम पहुंच रहे हैं। इस खास मौके पर प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने प्रदेशवासियों को गुरु घासीदास जयंती की शुभकामनाएं दी हैं।
मनखे-मनखे एक समान’ का दिया संदेश
सीएम साय ने ट्वीट कर लिखा कि सतनाम पंथ के प्रवर्तक गुरु घासीदास की जयंती पर समस्त प्रदेशवासियों को बधाई एवं शुभकामनाएं. बाबा गुरु घासीदास ने सम्पूर्ण मानव जाति को ’मनखे-मनखे एक समान’ का प्रेरक संदेश देकर समानता और मानवता का पाठ पढ़ाया. उन्होंने छत्तीसगढ़ में सामाजिक और आध्यात्मिक जागरण की आधारशिला रखी. उनका जीवन दर्शन और विचार मूल्य आज भी प्रासंगिक और समस्त मानव जाति के लिए अनुकरणीय है.
छत्तीसगढ़ में जयंती समारोह
गुरु घासीदास की जयंती के अवसर पर छत्तीसगढ़ में विशेष आयोजन किए जाते हैं। गिरौधपुरी धाम में लाखों की संख्या में श्रद्धालु एकत्रित होते हैं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री समेत अन्य नेता और गणमान्य व्यक्ति गुरु घासीदास को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
गुरु घासीदास जी का जीवन परिचय
गुरु घासीदास जी का जन्म 18 दिसंबर 1756 को छत्तीसगढ़ के गिरौधपुरी धाम में हुआ था। वे सतनामी समाज के प्रेरणास्रोत माने जाते हैं। उनके पिता महंगू दास और माता अमरौतिन थीं। घासीदास ने समाज में फैली जातिवाद और असमानता की बुराइयों का गहराई से अनुभव किया। इन अनुभवों ने उन्हें समाज सुधारक बनने की दिशा में प्रेरित किया।
सतनाम पंथ की स्थापना
गुरु घासीदास ने छत्तीसगढ़ में “सतनाम पंथ” की स्थापना की, जो सत्य और समानता पर आधारित था। उन्होंने अपने जीवन में समाज को ‘सत्य’ और ‘शांति’ का मार्ग दिखाया। उनका प्रमुख संदेश था “मनखे-मनखे एक समान”, अर्थात सभी मनुष्य समान हैं। उनके विचार मानवता, सामाजिक जागरूकता और आध्यात्मिकता के प्रतीक हैं।\
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