छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के 36 प्रमुख पर्यटन स्थल: प्रकृति, संस्कृति और इतिहास का संगम: 36 Major Tourist Places in Chhattisgarh

36 Major Tourist Places in CG: छत्तीसगढ़, जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, ऐतिहासिक किलों, प्राचीन मंदिरों और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है, पर्यटकों के लिए एक आदर्श स्थल है। यह राज्य न सिर्फ भारत के हृदयस्थल में बसा है, बल्कि यहां की भूमि लोककला, जनजातीय संस्कृति और पुरातात्विक महत्व से भरपूर है।

TOP 36 Tourist Places in CG: यहां गूंजती है आदिवासी जीवनशैली की सादगी, मंदिरों में बसती है आस्था की शक्ति, और पहाड़ियों, जलप्रपातों व जंगलों में बसी है प्रकृति की अपार सुंदरता। चाहे आप साहसिक रोमांच की तलाश में हों, इतिहास को महसूस करना चाहते हों या फिर किसी शांत आध्यात्मिक अनुभव की तलाश में हों – छत्तीसगढ़ हर तरह के यात्री को कुछ खास देता है।

राज्य के हर कोने में कोई न कोई ऐसी जगह है, जो आपको अपनी ओर खींच लेगी। इन स्थलों की यात्रा न सिर्फ आपको प्रकृति के करीब लाती है, बल्कि छत्तीसगढ़ की जीवंत विरासत को भी महसूस करने का मौका देती है।

Table of Contents

1. चित्रकोट जलप्रपात (Chitrakote Waterfall)

चित्रकोट जलप्रपात छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में स्थित है और इसे भारत का सबसे चौड़ा जलप्रपात माना जाता है। यह इंद्रावती नदी पर बना हुआ है और बरसात के मौसम में इसकी चौड़ाई लगभग 300 मीटर तक फैल जाती है, जिससे इसकी तुलना अमेरिका के नियाग्रा फॉल्स से की जाती है। इसीलिए इसे “भारत का नियाग्रा” भी कहा जाता है। जलप्रपात की गर्जना, गिरते जल की फुहार और आसपास की हरियाली इसे एक अद्भुत प्राकृतिक स्थल बनाती है। सूर्योदय और सूर्यास्त के समय इसका दृश्य और भी मनमोहक हो जाता है, जब पानी की धाराओं पर सूरज की किरणें पड़ती हैं और इंद्रधनुष सा दृश्य बनता है। धार्मिक दृष्टिकोण से भी यह स्थान महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके आसपास कई मंदिर स्थित हैं, जो इसे एक आध्यात्मिक वातावरण प्रदान करते हैं।

2. तीरथगढ़ जलप्रपात (Tirathgarh Waterfall)

तीरथगढ़ जलप्रपात छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में स्थित एक प्रमुख प्राकृतिक आकर्षण है, जो कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के भीतर मुनगाबहार नदी पर स्थित है। यह जलप्रपात लगभग 300 फीट की ऊँचाई से गिरता है और इसकी सीढ़ी नुमा संरचना इसे विशेष बनाती है। पानी के गिरने से उत्पन्न दूधिया झाग और आसपास की हरियाली इसे एक अद्भुत दृश्य प्रदान करते हैं। यह स्थल ट्रेकिंग, फोटोग्राफी और प्रकृति प्रेमियों के लिए आदर्श स्थान है। इसके पास स्थित महादेव मंदिर धार्मिक महत्व रखता है और यहाँ जंगल सफारी जैसी गतिविधियाँ भी उपलब्ध हैं। यह जलप्रपात अक्टूबर से फरवरी के बीच यात्रा के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।​

3. कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान (Kanger Valley National Park)

कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में स्थित एक अद्वितीय जैव विविधता से भरपूर स्थल है, जिसे हाल ही में यूनेस्को की अस्थायी विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। यह छत्तीसगढ़ का पहला स्थल है जिसे इस प्रतिष्ठित सूची में स्थान मिला है, जिससे राज्य को वैश्विक पहचान मिली है। उद्यान में 15 से अधिक चूना पत्थर की गुफाएं हैं, जिनमें कोटमसर, कैलाश और दंडक गुफाएं प्रमुख हैं। यहां 200 से अधिक पक्षी प्रजातियां, 140 से अधिक तितलियों की प्रजातियां और दुर्लभ प्राणी जैसे ऊदबिलाव, माउस डियर, जायंट गिलहरी, लेथिस सॉफ्टशेल कछुआ और जंगली भेड़िया निवास करते हैं। यह स्थल न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि स्थानीय ध्रुवा और गोंड जनजातियों की सांस्कृतिक धरोहर का भी हिस्सा है। इस मान्यता से पर्यटन और रोजगार के नए अवसर खुलेंगे, और स्थानीय समुदायों को लाभ होगा।

4. सीताबेंगरा की गुफा (Sitabengra)

सीताबेंगरा गुफा, छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में स्थित रामगढ़ पहाड़ी पर स्थित एक प्राचीन शिलाखंड गुफा है, जिसे ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी का माना जाता है। यह गुफा विश्व की प्राचीनतम नाट्यशालाओं में से एक मानी जाती है, जहां एक मंच और दर्शक दीर्घा जैसी संरचना देखने को मिलती है। गुफा की दीवारों में ध्वनि को नियंत्रित करने के लिए छोटे-छोटे छेद बनाए गए हैं। मान्यता है कि महान संस्कृत कवि कालिदास ने अपनी प्रसिद्ध काव्य रचना ‘मेघदूत’ की रचना यहीं की थी। इसी उपलक्ष्य में हर साल आषाढ़ माह के पहले दिन यहां बादलों की पूजा की जाती है। सीताबेंगरा गुफा न केवल ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह प्रकृति प्रेमियों और शोधकर्ताओं के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र है।

5. मैनपाट (Mainpat)

मैनपाट, जो छत्तीसगढ़ राज्य के सरगुजा जिले में स्थित है, एक प्रमुख पर्यटन स्थल है और इसे “छत्तीसगढ़ का शिमला” के नाम से भी जाना जाता है। यह स्थल अपनी ठंडी जलवायु, हरियाली और खूबसूरत पहाड़ी दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है। मैनपाट समुद्रतल से लगभग 1,115 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है, और यहाँ का मौसम समशीतोष्ण होता है, जो इसे गर्मियों में खास तौर पर एक आदर्श पर्यटन स्थल बनाता है। मैनपाट में पर्यटकों को शानदार पहाड़ी दृश्य, जलप्रपात और शांत वातावरण का अनुभव होता है। यहाँ की बर्फीली ठंडी और हरे-भरे जंगल, इसे प्राकृतिक सौंदर्य का एक अद्वितीय स्थल बनाते हैं। इस स्थान पर आप प्राचीन मंदिरों, चट्टान पर बने चित्रों, और स्थानीय जनजातीय संस्कृति का भी अनुभव कर सकते हैं। मैनपाट में स्थित किम्बलें जलप्रपात और टाइगर प्वाइंट जैसे स्थान विशेष आकर्षण का केंद्र हैं।

6. गिरौदपुरी (Giroudpuri)

गिरौदपुरी, छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले में स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो सतनामी पंथ के संस्थापक गुरु घासीदास जी की जन्मभूमि के रूप में प्रसिद्ध है। यह स्थान गुरु घासीदास जी द्वारा ‘सतनाम’ का उपदेश देने और आत्मज्ञान प्राप्त करने का स्थल माना जाता है। गिरौदपुरी में स्थित जैतखाम, जो सतनामी पंथ का प्रतीक है, इसकी ऊँचाई और वास्तुकला के कारण विशेष आकर्षण का केंद्र है। यहाँ पर स्थित तपोभूमि, अमृतकुण्ड और अन्य धार्मिक स्थल श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण हैं। हर वर्ष फाल्गुन पंचमी के अवसर पर यहाँ मेला आयोजित होता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं। गिरौदपुरी का यह स्थल न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी अत्यधिक महत्व रखता है।

7. कोटमी सोनार (Kotmi Sonar)

कोटमी सोनार, छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के अकलतरा तहसील में स्थित एक छोटा सा गांव है, जो अपने क्रोकोडाइल पार्क के लिए प्रसिद्ध है। यह पार्क राज्य का पहला और देश का दूसरा सबसे बड़ा मगरमच्छ संरक्षण पार्क है, जहाँ लगभग 400 मगरमच्छ विभिन्न प्रजातियों के पाए जाते हैं। पार्क में साइंस पार्क, एनर्जी पार्क, ऑडीटोरियम, कैंटीन, रेस्ट हाउस और बच्चों के लिए झूले जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं। यहां पर्यटक मगरमच्छों को प्राकृतिक आवास में देख सकते हैं और उनके संरक्षण के प्रयासों के बारे में जान सकते हैं। पार्क तक पहुंचने के लिए बिलासपुर से सड़क मार्ग द्वारा लगभग 24 किलोमीटर की यात्रा करनी होती है, और यहां पहुंचने के लिए बिलासपुर जंक्शन से अकलतरा तक ट्रेन सेवा उपलब्ध है।

8. कुटुमसर गुफा (Kutumsar Cave)

​कुटुमसर गुफा छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित एक अद्वितीय प्राकृतिक संरचना है, जिसे भारत की सबसे लंबी गुफा माना जाता है। यह गुफा लगभग 4500 फीट लंबी और 60 से 125 फीट गहरी है। इसकी खोज 1951 में भूगोल वैज्ञानिक डॉ. शंकर तिवारी ने की थी। गुफा का निर्माण लगभग 250 मिलियन वर्ष पूर्व प्राकृतिक जल प्रवाह और चूना पत्थर की क्रियावली से हुआ था।

गुफा के अंदर सूर्य की रोशनी नहीं पहुंचती, जिससे यहां की पारिस्थितिकी और जीव-जंतु बाहरी दुनिया से अलग हैं। यहां की अंधी मछलियां, जिन्हें स्थानीय भाषा में ‘पखना तुरू’ कहा जाता है, गुफा के अंधेरे में विकसित हुई हैं और इनकी आंखें नहीं हैं। गुफा में कैल्सियम से निर्मित स्तंभ, झरने और ‘शंकरकुंड’ नामक छोटी सी झील जैसी अद्वितीय संरचनाएं हैं।

9. सिरपुर (Sirpur) लक्ष्मण मंदिर

छत्तीसगढ़ के सिरपुर में स्थित लक्ष्मण मंदिर एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर है, जिसे प्रेम और श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है। यह मंदिर 6वीं शताब्दी में शैव राजा हर्षगुप्त की पत्नी रानी वासटादेवी द्वारा उनके पति की याद में बनवाया गया था। यह भारत का पहला लाल ईंटों से निर्मित मंदिर है, जो नागर शैली में बना है और इसकी दीवारों पर सुंदर नक्काशी की गई है। मंदिर का निर्माण लगभग 525 से 540 ईस्वी के बीच हुआ था, जो ताजमहल से भी 1000 साल पुराना है। यहां की वास्तुकला और कलाकृतियां भारतीय स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करती हैं। लक्ष्मण मंदिर सिरपुर के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाता है, जो आज भी श्रद्धालुओं और इतिहास प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

10. बम्बलेश्वरी मंदिर (Bamleshwari Temple)

बम्बलेश्वरी मंदिर, छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ में स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो लगभग 2200 वर्ष पुराना माना जाता है। यह मंदिर 1600 फीट ऊंची पहाड़ी की चोटी पर स्थित है, जहां से आसपास के प्राकृतिक दृश्य अत्यंत मनोरम हैं। मंदिर में दो प्रमुख प्रतिमाएं हैं: बड़ी बम्बलेश्वरी (ऊपर स्थित) और छोटी बम्बलेश्वरी (नीचे स्थित), जिन्हें बहनें माना जाता है। यहां तक पहुंचने के लिए 1100 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं, हालांकि श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए रोपवे भी उपलब्ध है। मंदिर में हनुमान जी, भैरव बाबा, नाग वासुकी, शीतला और ददी माता के मंदिर भी स्थित हैं। नवरात्रि के दौरान यहां विशाल मेला आयोजित होता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं। मंदिर का संचालन श्री बम्बलेश्वरी मंदिर ट्रस्ट द्वारा किया जाता है, जिसकी स्थापना 1964 में खैरागढ़ रियासत के भूतपूर्व नरेश श्री राजा वीरेंद्र बहादुर सिंह ने की थी।

11. बरनवापारा वन्यजीव अभयारण्य (Barnawapara Wildlife Sanctuary)

बरनवापारा वन्यजीव अभयारण्य छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले में स्थित एक प्रमुख अभयारण्य है, जो अपनी समृद्ध जैव विविधता और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है। यह अभयारण्य लगभग 245 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और राजधानी रायपुर से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां तेंदुआ, भालू, सांभर, चीतल, जंगली सूअर, नीलगाय, लोमड़ी, भेड़िया जैसे अनेक वन्यजीव पाए जाते हैं। इसके अलावा, यह स्थान विभिन्न पक्षी प्रजातियों का भी आश्रय स्थल है, जिसमें मोर, बुलबुल, हेरोन और ड्रोंगो जैसे पक्षी शामिल हैं। यहां की हरियाली, साल और सागौन के जंगल पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। हाल के वर्षों में सफारी की सुविधाओं में भी वृद्धि हुई है, जिससे यह अभयारण्य प्रकृति प्रेमियों और पर्यावरण प्रेमियों के लिए एक आदर्श गंतव्य बन गया है।

12. भोरमदेव मंदिर (Bhoramdeo Temple)

भोरमदेव मंदिर, छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में स्थित एक प्राचीन हिंदू मंदिर है, जिसे “छत्तीसगढ़ का खजुराहो” कहा जाता है। यह मंदिर अपनी उत्कृष्ट शिल्पकला और मूर्तिकला के लिए प्रसिद्ध है, जिसकी तुलना खजुराहो के विश्वविख्यात मंदिरों से की जाती है। भोरमदेव मंदिर का निर्माण 7वीं से 11वीं सदी के बीच नागवंशी राजाओं द्वारा कराया गया था, और यह भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर घने जंगलों और पहाड़ियों के बीच स्थित है, जिससे इसकी प्राकृतिक सुंदरता और भी बढ़ जाती है। इसके दीवारों और स्तंभों पर कामुक शिल्प और देवी-देवताओं की कलात्मक मूर्तियां अंकित हैं, जो उस काल की सांस्कृतिक और धार्मिक समृद्धि को दर्शाती हैं। भोरमदेव मंदिर आज भी धार्मिक, ऐतिहासिक और पर्यटक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है।

13. राजिम (Rajim)

राजिम, छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में स्थित एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र है, जिसे “छत्तीसगढ़ का प्रयाग” कहा जाता है। यहां महानदी, पैरी और सोंढूर नदियों का त्रिवेणी संगम है, जो धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखते हैं। राजिम में राजीव लोचन और कुलेश्वरनाथ के प्राचीन मंदिर स्थित हैं, जो वास्तुकला और धार्मिक आस्था का प्रतीक हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, वनवास के दौरान माता सीता ने इस संगम में स्नान कर अपने कुल देवता की पूजा-अर्चना की थी, जिससे कुलेश्वर महादेव का नाम पड़ा। यहां प्रतिवर्ष माघी पुन्नी मेला आयोजित होता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं, और हाल ही में आयोजित राजिम कुंभ कल्प ने इस क्षेत्र की धार्मिक महिमा को और बढ़ाया है। ​

14. मदकू द्वीप (Madku Dweep)

मदकू द्वीप, छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले में स्थित एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है, जो शिवनाथ नदी के मध्य स्थित है। इस द्वीप का आकार कछुए (मंडूक) के समान होने के कारण इसे “मदकू द्वीप” कहा जाता है। यहाँ 10वीं और 11वीं शताब्दी के प्राचीन शिव मंदिर स्थित हैं, जैसे धूमेश्वर महादेव और राधा-कृष्ण मंदिर। पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऋषि मांडूक्य ने यहाँ मंडुकोपनिषद की रचना की थी। मदकू द्वीप पर पुरातात्विक महत्व के शिलालेख भी प्राप्त हुए हैं, जो इसके ऐतिहासिक महत्व को दर्शाते हैं। प्रतिवर्ष यहाँ ईसाई समाज द्वारा मेला आयोजित किया जाता है, जिसमें श्रद्धालु दूर-दूर से शामिल होते हैं। यह स्थल न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।

15. रतनपुर (Ratanpur)

रतनपुर, छत्तीसगढ़ राज्य के बिलासपुर जिले में स्थित एक ऐतिहासिक और धार्मिक नगर है, जो “चतुर्युगी नगरी” के नाम से भी जाना जाता है। यह नगर त्रिपुरी के कलचुरी राजवंश की राजधानी रहा था, और 11वीं शताब्दी में राजा रत्नदेव प्रथम ने यहाँ आदिशक्ति महामाया देवी का मंदिर निर्माण कराया था। रतनपुर का प्रमुख आकर्षण महामाया मंदिर है, जहाँ महाकाली, महासरस्वती और महालक्ष्मी की प्रतिमाएँ स्थापित हैं। नवरात्रि के दौरान यहाँ विशेष पूजा-अर्चना होती है, और हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। इसके अलावा, रतनपुर में काल भैरव मंदिर, सिद्धि विनायक मंदिर और भैरव बाबा मंदिर जैसे धार्मिक स्थल भी स्थित हैं। यह नगर अपने धार्मिक महत्व और ऐतिहासिक धरोहर के लिए पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध है।

16. दंतेश्वरी मंदिर (Danteshwari Temple)

दंतेवाड़ा, छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर जिले में स्थित एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल है। यहाँ स्थित दंतेश्वरी माता का मंदिर बस्तर के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से भक्तों से खचाखच भरा होता है, क्योंकि लाखों श्रद्धालु यहाँ माता के दर्शन के लिए आते हैं। दंतेश्वरी माता को बस्तर की देवी और क्षेत्र की रक्षक माना जाता है, और इस मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है। यह मंदिर बस्तर की सांस्कृतिक आत्मा को प्रकट करता है, जहाँ पूजा-अर्चना, लोक गीत, और अन्य धार्मिक अनुष्ठान होते हैं, जो इस क्षेत्र की समृद्ध परंपराओं और विश्वासों को दर्शाते हैं। दंतेवाड़ा न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह बस्तर की लोककला और सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक है।

17. मैकल पर्वतमाला (Maikal Hills)

मैकल पहाड़ियां, मध्य प्रदेश के छत्तीसगढ़ क्षेत्र में स्थित एक प्रमुख पर्वत श्रृंखला हैं, जो सतपुड़ा पर्वत प्रणाली का हिस्सा मानी जाती हैं। ये पहाड़ियां राज्य के उत्तर और दक्षिणी क्षेत्रों के बीच प्राकृतिक सीमा रेखा के रूप में कार्य करती हैं और अपनी घने जंगलों, नदियों, जलप्रपातों और ट्रैकिंग के लिए प्रसिद्ध हैं। इनकी ऊँचाई लगभग 700 से 1000 मीटर तक होती है और यह क्षेत्र जैव विविधता से भरपूर है, जहाँ तेंदुआ, भालू, विभिन्न पक्षी और कीट पाए जाते हैं। माइकल पहाड़ियां आदिवासी संस्कृति का भी केंद्र हैं, जहां के स्थानीय समुदाय अपनी पारंपरिक कला, शिल्प और जीवनशैली के लिए प्रसिद्ध हैं। यहाँ के पर्यटन स्थल, ट्रैकिंग, कैम्पिंग और नदी भ्रमण के अवसरों के साथ-साथ क्षेत्र की सांस्कृतिक विविधता को अनुभव करने का एक अद्भुत अनुभव प्रदान करते हैं।

18. उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व (Udanti – Seetanadi Tiger reserve, Bastar)

उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व, छत्तीसगढ़ का प्रमुख टाइगर रिजर्व है, जो बस्तर जिले में स्थित है। यह रिजर्व बाघों के संरक्षण के लिए प्रसिद्ध है और यहां बाघों की महत्वपूर्ण आबादी पाई जाती है। इसके अलावा, यह क्षेत्र विलुप्तप्राय वनों के भैंसों (wild buffaloes) की भी आबादी के लिए जाना जाता है, जो इस रिजर्व की जैविक विविधता को और भी महत्वपूर्ण बनाता है। उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व के घने जंगलों और जैव विविधता से भरपूर वातावरण में विभिन्न वन्यजीवों का निवास है, जिनमें तेंदुआ, भालू, हाथी, और कई प्रकार के पक्षी शामिल हैं। यह रिजर्व न केवल वन्यजीवों के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पर्यटकों के लिए भी एक प्रमुख स्थल है, जहां वे प्राकृतिक सौंदर्य और साहसिक पर्यटन का अनुभव कर सकते हैं।

19. गंगरेल बांध (Gangrel Dam)

गंगरेल बांध, जिसे रविशंकर सागर बांध भी कहा जाता है, छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में महानदी पर स्थित एक प्रमुख जलाशय है। 1978 में निर्मित यह बांध राज्य में सिंचाई, पेयजल आपूर्ति और विद्युत उत्पादन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता, शांत वातावरण और नौकायन जैसी गतिविधियों के कारण एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है। खासकर सूर्यास्त के समय यहां का दृश्य बेहद आकर्षक होता है, जिससे यह स्थान प्रकृति प्रेमियों और वीकेंड ट्रैवलर्स के बीच खासा पसंद किया जाता है।

20. सीतलपानी जलप्रपात

सीतलपानी जलप्रपात, छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में स्थित एक आकर्षक जलप्रपात है, जो विशेष रूप से मानसून के दौरान अपनी खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है। यह जलप्रपात हरे-भरे जंगलों और पहाड़ी इलाकों के बीच स्थित है, और यहाँ का नजारा पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। मानसून के दौरान यहाँ पानी की धारा तेज़ बहती है, जिससे जलप्रपात और भी प्रभावशाली नजर आता है। सीतलपानी जलप्रपात न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह एक आदर्श स्थल है जहाँ पर्यटक शांति, सुकून और प्रकृति के करीब आ सकते हैं। यह स्थान ट्रैकिंग और कैम्पिंग जैसी साहसिक गतिविधियों के लिए भी उपयुक्त है।

21. रामगिरी पर्वत – सीतामढ़ी (Ramgiri)

रामगिरी पर्वत, छत्तीसगढ़ के सीतामढ़ी क्षेत्र में स्थित एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है, जो श्रीराम, सीता और लक्ष्मण के वनवास काल से जुड़ा हुआ है। यह पर्वत स्थल रामायण से संबंधित अनेक कथाओं का केंद्र है और यहां श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं। धार्मिक महत्व के साथ-साथ, रामगिरी पर्वत ट्रेकिंग के शौकिनों के लिए भी एक आदर्श स्थल है, क्योंकि यहाँ के घने जंगलों और पहाड़ी रास्तों में ट्रैकिंग का अनुभव बेहद रोमांचक होता है। यह स्थल प्रकृति प्रेमियों और साहसिक गतिविधियों के शौकिनों के लिए एक बेहतरीन गंतव्य है।

22. दलहा पहाड़ (Dalha pahad, Janjgir Champa)

दलहा पहाड़, छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के अकलतरा तहसील में स्थित एक प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थल है। यह पर्वत लगभग 750 मीटर ऊँचा है और अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। दल्हा पहाड़ से जुड़ी कई धार्मिक मान्यताएँ हैं, विशेष रूप से महाशिवरात्रि और नागपंचमी के अवसर पर यहाँ बड़े मेले आयोजित होते हैं। नागपंचमी के दिन यहाँ के सूर्यकुंड का पानी पीने से बीमारियों से मुक्ति मिलती है, ऐसी मान्यता है। इसके अलावा, दल्हा पहाड़ पर ट्रैकिंग और रॉक क्लाइंबिंग जैसी साहसिक गतिविधियाँ भी पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। यह स्थल प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक आस्था का अद्भुत मिश्रण प्रस्तुत करता है।

23. खुटाघाट डैम, (Khutaghat Dam, Bilaspur)

खुटाघाट डैम, छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में स्थित एक प्रमुख पिकनिक स्पॉट है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। यह डैम घने जंगलों के बीच स्थित है, जिससे यहां का वातावरण शांत और मनमोहक है। हरियाली से भरपूर इस स्थान पर पर्यटक अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिता सकते हैं। खुटाघाट डैम का शांतिपूर्ण वातावरण और सुंदर दृश्य पर्यटकों को राहत और ताजगी का अहसास कराते हैं, जो इसे एक आदर्श पर्यटन स्थल बनाता है। यह स्थान न केवल प्रकृति प्रेमियों के लिए आकर्षक है, बल्कि यहां पिकनिक मनाने और शांतिपूर्ण समय बिताने के लिए भी एक बेहतरीन गंतव्य है।

24. चंद्रखुरी मंदिर (Chandkhuri Temple, Raipur)

चंद्रखुरी मंदिर, छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर जिले में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और विशेष रूप से अपने शांतिपूर्ण वातावरण और अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। चंद्रखुरी मंदिर रायपुर से लगभग 25 किलोमीटर दूर स्थित है, और यहाँ आने के लिए श्रद्धालु और पर्यटक अक्सर इस स्थान की धार्मिक और प्राकृतिक अपील का अनुभव करने आते हैं।

यह मंदिर धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है, और खासकर शिव भक्तों के लिए यह एक प्रमुख स्थल है। मंदिर परिसर में भगवान शिव के अलावा अन्य देवी-देवताओं की भी मूर्तियाँ स्थापित हैं, जो इस स्थान को और भी आकर्षक बनाती हैं। चंद्रखुरी मंदिर के पास स्थित हरे-भरे जंगल और शांत वातावरण श्रद्धालुओं को ध्यान और पूजा-अर्चना में पूर्ण शांति प्रदान करते हैं। मंदिर के आसपास के दृश्य अत्यधिक सुंदर हैं, और यहाँ पर्यटक प्रकृति की खूबसूरती का आनंद भी ले सकते हैं। यह स्थान न केवल धार्मिक यात्रा के लिए आदर्श है, बल्कि एक अच्छा पिकनिक स्पॉट भी है, जहाँ लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिता सकते हैं।

25. बारसूर (Barsoor, Dantewada)

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में स्थित एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है, जो अपनी प्राचीन मंदिरों और शिल्पकला के लिए प्रसिद्ध है। यह स्थल बस्तर क्षेत्र के घने जंगलों के बीच स्थित है और यहाँ के मंदिर भगवान शिव और अन्य देवी-देवताओं को समर्पित हैं। बारसूर का प्रमुख आकर्षण यहाँ स्थित प्राचीन शिव मंदिर है, जो अपनी वास्तुकला और स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है। इस स्थान का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है, और विशेष रूप से महाशिवरात्रि के समय यहाँ भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इसके अलावा, बारसूर के आसपास के प्राकृतिक दृश्य, जैसे नदियाँ, झरने और पहाड़ियाँ, पर्यटकों को यहाँ आने के लिए आकर्षित करते हैं।

26. ढोलकल गणेश (Dholkal Ganesh, Dantewada)

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में स्थित ढोलकल गणेश की मूर्ति एक ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर है, जो लगभग 3,000 फीट की ऊंचाई पर विराजित है। यह मूर्ति 11वीं शताब्दी के आसपास छिंदक नागवंशी शासकों द्वारा स्थापित की गई थी और इसे ढोलकल गणेश के नाम से जाना जाता है। मूर्ति ग्रेनाइट पत्थर से बनी है, जिसकी ऊंचाई लगभग तीन फीट और चौड़ाई ढाई फीट है। गणेश जी की मूर्ति में ऊपरी दाएं हाथ में फरसा, ऊपरी बाएं हाथ में टूटा हुआ एक दांत, निचले दाएं हाथ में माला और बाएं हाथ में मोदक है।​

27. तुरतुरिया (Turturia, Baloda bazar)

तुरतुरिया, छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिले में स्थित एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है, जो प्राकृतिक सौंदर्य और पुरातात्विक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ बहने वाली बलभद्री नाले की जलधारा चट्टानों से गुजरते समय ‘तुर-तुर’ की ध्वनि उत्पन्न करती है, जिससे इसका नाम ‘तुरतुरिया’ पड़ा। यह स्थल महर्षि वाल्मीकि के आश्रम से जुड़ा हुआ माना जाता है और यहां लव और कुश का जन्म हुआ था। तुरतुरिया में प्राचीन शिवलिंग, विष्णु प्रतिमाएं और अन्य मूर्तियाँ पाई जाती हैं, जो इसकी सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाती हैं। यहां हर वर्ष मेला आयोजित होता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। यह स्थल रायपुर और बलौदाबाजार से सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।

28. दामाखेड़ा कबीर पंथ आश्रम (Damakheda, Baloda bazar)

दामाखेड़ा कबीर पंथ आश्रम छत्तीसगढ़ राज्य के बलौदाबाजार जिले के सिगमा क्षेत्र में स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो कबीर पंथ के अनुयायियों के लिए आस्था का केंद्र माना जाता है। यह स्थान कबीर पंथ के संस्थापक गुरु धर्मदास जी के प्रमुख शिष्य और 12वें गुरु, उग्रनाम साहेब द्वारा 1903 में स्थापित किया गया था। इसके बाद से यह आश्रम कबीर पंथ के अनुयायियों के लिए धार्मिक गतिविधियों और साधना का मुख्य केंद्र बन गया है। दामाखेड़ा में हर वर्ष माघ माह के दौरान आयोजित होने वाला मेला विशेष रूप से प्रसिद्ध है, जिसमें देशभर से लाखों श्रद्धालु भजन-कीर्तन और साधना में भाग लेने आते हैं। यहां कबीर साहेब की समाधि मंदिर स्थित है, जहां उनकी जीवनी और शिक्षाओं को कलात्मक रूप से प्रदर्शित किया गया है। समाधि मंदिर के मध्य में गुरु वंशगुरु की समाधियां स्थित हैं, और यहां कबीर पंथ का प्रतीक सफेद ध्वज लहराता है।

29. अंगारमोती माता मंदिर (Angarmoti Mata Temple, Dhamtari)

अंगारमोती माता मंदिर छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के गंगरेल बांध के पास स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो वन देवी अंगारमोती को समर्पित है। यह मंदिर 52 गांवों की अधिष्ठात्री देवी के रूप में पूजी जाती हैं। पहले यह मंदिर चंवर गांव में था, लेकिन गंगरेल बांध के निर्माण के कारण इसे बांध के किनारे स्थापित किया गया। यहाँ हर साल दीपावली के बाद पहले शुक्रवार को विशाल मेला आयोजित किया जाता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं। इसके अलावा, नवरात्रि के दौरान भी विशेष पूजा आयोजित की जाती है। यह मंदिर धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक धरोहर का केंद्र है, जो श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए आकर्षण का कारण बनता है।

30. चंपारण (Champaran, Raipur)

छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में स्थित एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है। यह स्थल अपनी धार्मिक आस्था और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। चंपारण को ‘छत्तीसगढ़ का वृंदावन’ कहा जाता है, क्योंकि यहां पर महाप्रभु वल्लभाचार्य और उनकी उपास्य देवी राधा- कृष्ण की विशेष पूजा होती है।

यहां स्थित चंपेश्वर महादेव मंदिर एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जहां भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है। इस मंदिर के पास बहती महानदी की एक धारा को यमुना नदी के रूप में पूजा जाता है। चंपारण में होने वाले धार्मिक मेले और उत्सवों का यहां के लोगों के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। चंपारण का प्राकृतिक दृश्य भी पर्यटकों को आकर्षित करता है, जहां हरियाली, शांत वातावरण और नदी के किनारे की सुंदरता दिल को सुकून देती है। यह स्थल अपने धार्मिक महत्व के अलावा, ट्रैकिंग और आउटडोर गतिविधियों के लिए भी एक आदर्श स्थल माना जाता है। चंपारण पहुंचने के लिए रायपुर से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती है, जो इसे आसानी से पहुंचने योग्य बनाता है।

31. देवरानी-जेठानी मंदिर (Devrani jethani Temple, Bilaspur)

तालाग्राम, छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में स्थित एक ऐतिहासिक स्थल है, जो अपनी प्राचीन देवराणी-जेठानी मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। इन मंदिरों का निर्माण गुप्तकालीन स्थापत्य शैली में हुआ था और यह भारतीय कला व शिल्प का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। देवरानी-जेठानी मंदिर मंदिरों में लाल बलुआ पत्थर का प्रयोग किया गया है, और इनकी वास्तुकला गुप्तकालीन और कुशाण शैली को दर्शाती है। मंदिरों के आसपास की शिल्पकला और रुद्र शिव प्रतिमा यहां के ऐतिहासिक महत्व को और बढ़ाती है। यह स्थल इतिहास प्रेमियों और शोधकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण आकर्षण का केंद्र है।

32. जतमई माता मंदिर (Jatmai mata temple, Raipur)

जतमई माता मंदिर छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर रायपुर से लगभग 80 किलोमीटर दूर स्थित है और घने जंगलों के बीच एक पहाड़ी पर स्थित है। मंदिर के पास बहते झरने की जलधारा देवी के चरणों को छूकर गिरती है, जिसे स्थानीय लोग देवी की सेविकाएं मानते हैं। मंदिर में देवी जतमई की पत्थर की मूर्ति स्थापित है, और आसपास की हरियाली और झरने इस स्थल को एक आदर्श पिकनिक स्पॉट बनाते हैं। यहां चैत्र और कुँवार माह की नवरात्रि में विशेष मेले का आयोजन होता है, जो भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र होता है। झरने में नहाने का आनंद और प्राकृतिक सौंदर्य इस स्थल को पर्यटकों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करते हैं।

33. घटारानी जलप्रपात (Ghatarani Waterfall)

घटारानी जलप्रपात छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में स्थित एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है। यह रायपुर से लगभग 78 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और मानसून के समय यह स्थल और भी अधिक आकर्षक हो जाता है। घने जंगलों के बीच स्थित यह जलप्रपात लगभग 40 फीट ऊंचाई से गिरता है, जिससे नीचे एक प्राकृतिक तालाब बनता है। जलप्रपात के पास ही घटारानी माता का एक प्राचीन मंदिर भी है, जो श्रद्धालुओं के बीच विशेष आस्था का केंद्र है। प्रकृति प्रेमी, फोटोग्राफी के शौकीन और धार्मिक पर्यटक यहाँ बड़ी संख्या में आते हैं, विशेष रूप से नवरात्रि और त्योहारों के समय यह स्थान बेहद जीवंत हो जाता है।

34. चैतुरगढ़ किला (Chaiturgarh fort, Korba)

चैतुरगढ़ किला, जिसे लाफागढ़ भी कहा जाता है, छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में स्थित एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है। यह किला लगभग 930 मीटर (3060 फीट) ऊँची पहाड़ी की चोटी पर स्थित है और प्राकृतिक दीवारों से संरक्षित है, जिससे इसे भारत के सबसे मजबूत प्राकृतिक किलों में से एक माना जाता है। किले का निर्माण राजा पृथ्वी देव ने कलचुरी संवत 821 (1069 ईस्वी) में कराया था। इस किले में तीन प्रमुख प्रवेश द्वार हैं: मेनका, हुमकारा और सिंहद्वार। किले के भीतर लगभग 5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में पाँच तालाब स्थित हैं, जिनमें से तीन तालाब सदाबहार हैं और पूरे साल जल से भरे रहते हैं। यहाँ स्थित महिषासुर मर्दिनी मंदिर में देवी महिषासुर मर्दिनी की 12 हाथों वाली प्रतिमा स्थापित है, जो धार्मिक आस्थाओं का केंद्र है। मंदिर के पास स्थित शंकर गुफा लगभग 25 फीट लंबी है, जिसका प्रवेश द्वार संकरा है और अंदर रेंगते हुए जाना पड़ता है। किले के आसपास की हरियाली, वन्यजीव और पक्षी इसे प्रकृति प्रेमियों के लिए आकर्षक बनाते हैं। यह स्थल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित स्मारक के रूप में मान्यता प्राप्त है और छत्तीसगढ़ के 36 किलों में एक महत्वपूर्ण किला माना जाता है।

35. दूधाधारी मठ (Dudhadhari math)

दूधाधारी मठ छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है, जो भगवान राम को समर्पित है। यह मठ 16वीं शताब्दी में संत बलभद्र दास द्वारा स्थापित किया गया था, जिन्हें गाय के दूध से भगवान राम की सेवा करने के कारण ‘दूधाधारी’ कहा गया। बुढ़ा तालाब के पास स्थित यह मठ अपनी सुंदर वास्तुकला, शांत वातावरण और धार्मिक आयोजनों के लिए प्रसिद्ध है। यहां राम मंदिर के साथ-साथ संकटमोचन हनुमान मंदिर और रामपंचायतन मंदिर भी स्थित हैं। धार्मिक आस्था के साथ-साथ यह स्थान पर्यटकों के लिए भी एक आकर्षक स्थल है।

36. जंगल सफारी (Jungle Safari Raipur)

छत्तीसगढ़ में जंगल सफारी एक अद्वितीय अनुभव है, जहां पर्यटक वन्यजीवों को उनके प्राकृतिक आवास में देखने का अवसर प्राप्त करते हैं। रायपुर में छत्तीसगढ़ के प्रमुख जंगल सफारी स्थित है, जो रायपुर के पास स्थित है। यह सफारी एशिया का सबसे बड़ा मानव निर्मित जंगल सफारी है, जिसमें पर्यटक बाघ, शेर, भालू, और अन्य वन्यजीवों को उनके प्राकृतिक आवास में देख सकते हैं। नंदनवन जंगल सफारी में विभिन्न प्रकार के जानवरों के लिए अलग-अलग सफारी जोन बनाए गए हैं। यहां पर्यटक जंगल के घने वातावरण का आनंद लेते हुए वन्यजीवों के जीवन को करीब से देख सकते हैं। यह सफारी स्थान पर्यटकों को एक रोमांचक और शैक्षिक अनुभव प्रदान करता है, और खासकर अक्टूबर से मार्च के बीच यहां की यात्रा करना सबसे अच्छा होता है, जब मौसम ठंडा और सुखद रहता है, जिससे वन्यजीवों को सक्रिय देखा जा सकता है।

छत्तीसगढ़ का पर्यटन अपने आप में एक अनोखा अनुभव है, जो प्रकृति, संस्कृति और इतिहास के अद्भुत संगम को दर्शाता है। यहां के जलप्रपात, वन्यजीव अभयारण्य, ऐतिहासिक मंदिर और किलों का दौरा करके पर्यटक न केवल प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेते हैं, बल्कि छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से भी अवगत होते हैं। छत्तीसगढ़ में हर प्रकार के यात्रियों के लिए कुछ खास है, चाहे वह साहसिक गतिविधियों के शौकिन हों या ऐतिहासिक स्थलों की खोज करने वाले। यह राज्य भारतीय पर्यटन में अपनी विशिष्ट पहचान बनाने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है।

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