राज्य में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के अब तक 827 मामले सामने आए हैं। उच्च स्तरीय छानबीन समिति ने अब तक 710 पंजीकृत मामलों की जांच पूरी कर ली है। इसमें 378 मामलों में जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए हैं। इसमें 275 मामले सरकारी कर्मचारियों के हैं जबकि 28 मामले जनप्रतिनिधियों के हैं।
इसके अलावा 75 सत्यापन संबंधी एवं अन्य मामले हैं, जिनके जाति प्रमाण पत्र गलत पाए गए हैं। उच्च स्तरीय छानबीन समिति की रिपोर्ट के आधार पर अब तक 69 लोगों को नौकरी से हटा दिया गया है। 117 मामले अभी भी ऐसे हैं, जो समिति के पास प्रक्रियाधीन है। इसमें 85 मामले सरकारी कर्मचारियों के हैं, जबकि 32 अन्य मामले हैं। दरअसल, राज्य में फर्जी जाति प्रमाण पत्र को लेकर पिछली सरकार के समय से ही नेता, अफसर और कर्मचारी निशाने पर हैं।
332 मामलों में शिकायत गलत पाई गई
उच्च स्तरीय छानबीन समिति की जांच में राज्य में 332 मामले ऐसे भी हैं, जिनके खिलाफ गलत शिकायत की गई थी। इनके प्रमाणपत्र सही पाए गए हैं। इसमें 268 शिकायतें सरकारी कर्मचारियों के हैं, जबकि 64 मामले जनप्रतिनिधि या सत्यापन प्रकरण हैं।
जनप्रतिनिधियों के भी 28 मामलों में फर्जी जाति प्रमाण पत्र की हुई पुष्टि
वन विभाग के 20 में से 7 मामले फर्जी
छानबीन समिति के पास वन विभाग के 20 अधिकारी/ कर्मचारियों के मामले जांच के लिए आए। इसमें 17 मामलों की जांच के बाद 7 जाति प्रमाण पत्र निरस्त करने के निर्देश जारी किए गए। 3 प्रकरणों में जाति प्रमाण पत्र सही पाए गए, 4 प्रकरणों में संबंधित की मृत्यु हो जाने या दस्तावेज नहीं मिलने के कारण प्रकरण को बंद कर दिया गया। 3 मामले कोर्ट में हैं। एक प्रकरण में अस्थायी जाति प्रमाण पत्र विधिसंगत जारी होने की पुष्टि की गई, जबकि दो प्रकरण मध्य प्रदेश राज्य को और जिला स्तरीय प्रमाण पत्र सत्यापन समिति के पास भेजा गया है।
जल्द निराकरण के लिए यह है हाईपावर कमेटी की रणनीति
हर 15 दिन में उच्च स्तरीय छानबीन समिति की बैठक हो।
सभी सदस्य अनिवार्य रूप से उपस्थित रहें।
हाई कोर्ट में लंबित प्रकरणों की जल्द सुनवाई के लिए बार- बार आवेदन लगाएं।
समिति के निर्णय के बाद तत्काल हाई कोर्ट में कैवियट पेश करने के साथ ही हर मामले में एफआईआर हो।
हाई कोर्ट ने 112 मामलों पर दिया है स्टे
जाति प्रमाण पत्र के 112 मामले ऐसे हैं, जिसमें कोर्ट से स्थगन आदेश मिला हुआ है। 26 मामलों में कोर्ट या विभाग के निर्णय के बाद कर्मचारियों को सेवा में रहने दिया गया है। हालांकि, 5 मामलों में रिटायर होने के बाद संबंधित विभाग ने पेंशन पर रोक लगा दी है।
कोर्ट में लंबित मामलों की समीक्षा के लिए बनी टीम
राज्य सरकार ने उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति के निर्णय पर कोर्ट में लंबित प्रकरणों की अधिकता को देखते हुए 7 अफसरों की टीम बनाई है। इसमें एससी, एसटी, ओबीसी एवं अल्पसंख्यक विभाग के प्रमुख सचिव या सचिव, विधि विभाग के सचिव, महाधिवक्ता और मुख्य सचिव शामिल किए गए हैं।
समिति के निर्णय में यह भी
{रिटायर या मृत होने के कारण 39 मामलों में कार्यवाही नहीं हुई। {अनारक्षित वर्ग से नियुक्ति के 11 मामले पाए गए। {एक कर्मचारी की वेतन वृद्धि रोकी गई। {4 मामलों में संबंधित कर्मचारी ने सेवा से त्यागपत्र दे दिया है।
हर 15 दिन में हो रही बैठक
प्रकरणों को जल्द निपटाने के लिए हाई पॉवर कमेटी 10-15 दिनों में एक बैठक कर रही है। इसमें कोर्ट के मामले उच्च प्राथमिकता में रखे गए हैं। अब तक 710 मामलों की जांच पूरी हो गई है। विजिलेंस टीम पहले समीक्षा करती है। जिसके खिलाफ शिकायत आती है, उसे सुनवाई का भी मौका दिया जाता है। उनकी परिस्थितियों का अध्ययन किया जाता है। साक्ष्य भी जुटाए जाते हैं।
- सोनमणि बोरा, प्रमुख सचिव आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग एवं अध्यक्ष उच्च स्तरीय छानबीन समिति
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