क्राइम

शर्मनाक लापरवाही: 4 साल की बच्ची से दुराचार, इलाज के नाम पर सिर्फ पैरासिटामॉल और 1 इंजेक्शन!


एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है जिसमें 4 साल की मासूम बच्ची के साथ दुराचार हुआ और उसके बाद उसकी हालत गंभीर होने के बावजूद चिकित्सा में भारी लापरवाही की गई। 18 सितंबर की इस घटना के बाद बच्ची को 4 टांके लगे, लेकिन 22 दिनों तक सही इलाज नहीं हुआ। डॉक्टरों ने सिर्फ पैरासिटामॉल और एक इंजेक्शन देकर मामला निपटा दिया।

पुलिस की अनदेखी:

18 सितंबर को हुई इस दर्दनाक घटना को पुलिस ने नजरअंदाज कर दिया। घटना के तुरंत बाद एफआईआर दर्ज करने की जगह, पुलिस मामले को दबाने में जुटी रही। बच्ची की मां को भी सदमे में अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन पुलिस ने परिवार की सुनवाई में देरी की। सवाल यह उठता है कि क्या हमारी सुरक्षा एजेंसियां ऐसी घटनाओं को गंभीरता से नहीं लेतीं?

अस्पताल की लापरवाही:

पीड़िता का परिवार दिन-रात बच्ची की सेहत को लेकर चिंतित रहा, लेकिन अस्पताल प्रशासन की सुस्ती ने उन्हें और भी बेबस बना दिया। बच्ची को सही इलाज मिलने में 22 दिन की देरी हुई, और जब परिवार ने डीएसपी से शिकायत की, तब कहीं जाकर बच्ची को भर्ती किया गया।

प्रशासन की नीतियों पर सवाल:

इस तरह की घटनाओं में जहां तुरंत और ठोस कार्रवाई की जरूरत होती है, वहां प्रशासन की निष्क्रियता सामने आई। भारत के हस्तक्षेप के बाद ही इलाज शुरू हुआ, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

क्या आप भी जानना चाहते हैं कि 18 सितंबर के बाद क्या हुआ?

घटना के बाद से अब तक जो कुछ भी हुआ, उसकी पूरी जानकारी:

  1. 18 सितंबर: घटना शाम करीब 4:30 बजे गांव के नजदीक की है। बच्ची के साथ घिनौना अपराध हुआ, लेकिन पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।
  2. 19 सितंबर: बच्ची के परिवार ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
  3. 22 सितंबर: बच्ची की हालत बिगड़ने लगी, और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया।
  4. 1 अक्टूबर: डीएसपी के हस्तक्षेप के बाद ही बच्ची का इलाज सही तरीके से शुरू हुआ।
  5. 11 अक्टूबर: बच्ची की हालत अब स्थिर है, लेकिन मानसिक और शारीरिक दोनों रूप से उसे गंभीर क्षति पहुंची है।

मेडिकल सुविधाओं की कमी:

अस्पताल में सही उपकरण और विशेषज्ञों की कमी के कारण बच्ची को उचित इलाज नहीं मिल सका। यहां तक कि सोनोग्राफी मशीन तो थी, लेकिन रोग विशेषज्ञ नहीं थे।

किसी डॉक्टर को नहीं भेजा गया:

बच्ची की नाजुक हालत होने के बावजूद, उसे विशेषज्ञ डॉक्टर के पास नहीं भेजा गया, जिससे उसकी सेहत और बिगड़ गई।

निष्कर्ष:

यह घटना प्रशासन और स्वास्थ्य सेवाओं की गंभीर कमी को उजागर करती है। ऐसे मामलों में त्वरित और उचित कार्रवाई की जानी चाहिए, लेकिन दुर्भाग्यवश लापरवाही के कारण मासूमों को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं।

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