
Unique Holi: हर साल देशभर में होली का त्योहार मार्च में मनाया जाता है, लेकिन छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के एक छोटे से गांव, सेमरा में यह परंपरा काफी अलग है। यहां लोग होली के पर्व को सात दिन पहले ही मनाते हैं, और इसके पीछे एक अनोखी मान्यता छिपी हुई है। तो चलिए जानते हैं इस परंपरा के बारे में, जो हर किसी को चौंका देती है।
सेमरा गांव में सात दिन पहले होली का आयोजन
Dhamtari Unique Holi: धमतरी जिले के सेमरा गांव में रविवार को होली का त्योहार धूमधाम से मनाया गया, लेकिन ये कोई सामान्य होली नहीं थी। गांव में हर साल की तरह इस बार भी होली सात दिन पहले ही मना ली गई। शनिवार को होलिका दहन हुआ और अगले दिन यानी रविवार को रंगों से होली खेली गई। यह परंपरा काफी पुरानी है, जिसे आज भी सेमरा के लोग निभाते आ रहे हैं।
गांव के देवता से जुड़ी मान्यता
सेमरा गांव में होली मनाने की यह परंपरा गांव के ग्राम देवता सिरदार देव से जुड़ी हुई है। माना जाता है कि यदि गांव में होली पर्व तिथि से ठीक दिन मनाया जाए तो गांव में कोई न कोई विपदा जरूर आ सकती है। इस मान्यता के अनुसार, गांव के लोग हमेशा त्योहारों को तिथि से सात दिन पहले मनाते हैं। इस परंपरा को तोड़ने की कोशिश करने पर गांव में संकट आ जाता है।

आस्था और विश्वास से जुड़ी है परंपरा
Unique Holi: यह परंपरा उस समय से चली आ रही है जब गांव में किसी विपत्ति का सामना हुआ था। कहते हैं कि गांव के मुखिया को ग्राम देवता सिरदार देव ने सपने में आकर आदेश दिया था कि सभी पर्व और त्योहार तिथि से सात दिन पहले मनाए जाएं, ताकि कोई अनहोनी न हो। शुरू में लोग इस आदेश पर विश्वास नहीं करते थे, लेकिन कुछ समय बाद गांव में बिमारी और अकाल जैसी विपत्तियाँ आईं। इसके बाद गांववालों ने यह परंपरा पूरी श्रद्धा से निभानी शुरू कर दी।
गांव के हर पर्व का आगाज सात दिन पहले
Unique Holi 2025: सेमरा गांव में सिर्फ होली नहीं, बल्कि हर बड़ा पर्व सात दिन पहले मनाया जाता है। यहां की बेटियां, जो शादी के बाद ससुराल चली जाती हैं, वे भी अपने मायके आकर होली मनाने आती हैं। यह देखना सचमुच अद्भुत लगता है कि पूरा गांव एकसाथ मिलकर अपने गांव के देवता के आशीर्वाद के साथ त्योहार मनाता है। गांव में होली से पहले की तस्वीरें बहुत ही खास होती हैं। इस दिन गांव की गलियों में रंग, गुलाल और ढोल-नगाड़ों की धुन सुनाई देती है।

क्या कहती हैं मान्यताएँ?
सेमरा में यह परंपरा अनहोनी से बचने और गांव के देवता की कृपा पाने के लिए निभाई जाती है। यह परंपरा जितनी दिलचस्प है, उतनी ही हैरान करने वाली भी है। ग्रामीणों का कहना है कि उनके पूर्वज भी इस परंपरा को निभाते आए हैं, और वे भी इसे पूरी श्रद्धा से निभा रहे हैं। यही कारण है कि इस परंपरा को आज तक बचाए रखा गया है।
वक्त के साथ बदला सब कुछ, लेकिन परंपरा बरकरार
Unique Holi: समय के साथ बहुत कुछ बदल चुका है, लेकिन सेमरा गांव की यह परंपरा आज भी जस की तस बनी हुई है। गांववालों का कहना है कि यदि इस परंपरा का पालन नहीं किया जाता तो गांव में विपत्ति आना तय है। हालांकि, आस-पास के क्षेत्रों के लोग इसे अंधविश्वास मानते हैं, लेकिन सेमरा के लोग इस परंपरा के पालन में पूरी तरह विश्वास रखते हैं।
तो, अगली बार जब आप होली का त्यौहार मनाएं, याद रखें कि छत्तीसगढ़ के सेमरा गांव में होली सात दिन पहले ही मनाई जाती है, और इसकी वजह भी दिलचस्प है। इस अनोखी परंपरा को देखने के लिए यहां हर साल लोग दूर-दूर से आते हैं और इस त्योहार का हिस्सा बनते हैं।
सेमरा गांव का यह अनोखा तरीका न केवल त्योहारों को लेकर श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे एक परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। इस गांव के लोग अपनी परंपराओं का सम्मान करते हैं, और यही कारण है कि यह परंपरा आज भी जिंदा है।
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