छत्तीसगढ़

महादेव सट्टा एप घोटाले में CBI की छापेमारी, BJP नेता का यह पत्र चर्चा में, जानिए कैसे खोला था कच्चा चिट्ठा

रायपुर: Mahadev Satta App: महादेव ऑनलाइन गेमिंग एप घोटाले में सीबीआई ने बुधवार को छत्तीसगढ़ के विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, विधायक देवेन्द्र यादव, और कई वर्तमान और पूर्व नौकरशाहों के ठिकानों पर भी कार्रवाई की गई। इस छापेमारी के साथ-साथ प्रदेश के भाजपा नेता और अधिवक्ता नरेश चंद्र गुप्ता का पत्र भी सुर्खियों में है। नरेश गुप्ता ने सीबीआई डायरेक्टर को एक पत्र लिखकर इस घोटाले की गंभीरता का खुलासा किया और मामले की विस्तृत जांच की मांग की थी।

घोटाले की जांच में राजनीति और पुलिस अधिकारियों की संलिप्तता का आरोप

नरेश गुप्ता ने अपनी चिट्ठी में महादेव ऑनलाइन गेमिंग एप घोटाले को एक संगठित सिंडिकेट का मामला बताया, जिसमें छत्तीसगढ़ के प्रभावशाली भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारियों का भी हाथ था। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ राजनेताओं के साथ मिलकर इस घोटाले को अंजाम दिया गया और यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद और नार्को-फंडिंग से जुड़ा हो सकता है।

गुप्ता ने अपनी चिट्ठी में दुबई स्थित प्रमोटर शुभम सोनी के बारे में आरोप लगाया कि उसने छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को ₹508 करोड़ की सुरक्षा राशि का भुगतान किया था। इसके अलावा, उन्होंने एएसआई चंद्रभूषण वर्मा के हवाले से बताया कि इस अवैध संचालन को चलाने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को रिश्वत दी गई, जो हवाला चैनलों के माध्यम से ₹81 करोड़ प्राप्त करने की बात स्वीकार कर चुके हैं।

सीबीआई की कार्रवाई और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का संरक्षण

नरेश गुप्ता ने पत्र में यह भी आरोप लगाया कि महादेव सट्टा एप घोटाले में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का संरक्षण था, जिसमें आनंद छाबड़ा (आईजी), प्रशांत अग्रवाल (एसपी), और शेख आरिफ (एसपी) शामिल थे। उनका कहना था कि मई 2022 के बाद, मुख्यमंत्री के ओएसडी विनोद वर्मा ने कथित तौर पर बड़ी रिश्वत के बदले पुलिस सुरक्षा की सुविधा दी।

उन्होंने यह भी कहा कि दुबई से बड़े पैमाने पर फंड ट्रांसफर की पुष्टि की गई है और इसमें रायपुर के एसएसपी प्रशांत अग्रवाल सहित अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का नाम भी शामिल है।

राजनीतिक संलिप्तता और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप

नरेश गुप्ता ने पत्र में यह भी आरोप लगाया कि घोटाले में कुछ राजनीतिक नेताओं और व्यापारिक व्यक्तियों की संलिप्तता थी। उन्होंने एफआईआर दर्ज करने में देरी की भी आलोचना की और कहा कि यह जानबूझकर किया गया, जबकि मुख्य संदिग्धों की पहचान पहले से ही की जा चुकी थी। इसके अलावा, उन्होंने घोटाले में शामिल अधिकारियों, राजनेताओं और बिचौलियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की मांग की।

घोटाले की जांच और राष्ट्रीय सुरक्षा पर ध्यान देने की आवश्यकता

नरेश गुप्ता ने सीबीआई से अपील करते हुए कहा कि यह मामला केवल हिमशैल का सिरा है और इसमें कई राज्यों और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जटिल वित्तीय मामले शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इस घोटाले के अंतरराष्ट्रीय मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फंडिंग पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सीबीआई को इस मामले की त्वरित और निष्पक्ष जांच करनी चाहिए। साथ ही, उन्होंने प्रमुख गवाहों की सुरक्षा की भी मांग की ताकि इस मामले में पारदर्शिता बनी रहे और न्याय सुनिश्चित हो सके।

यह मामला अब छत्तीसगढ़ की राजनीति और प्रशासन में एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। नरेश गुप्ता का पत्र और सीबीआई की छापेमारी ने इस घोटाले के नए पहलुओं को सामने लाया है, जिससे यह मामला और भी जटिल होता जा रहा है। अब देखना यह है कि सीबीआई इस मामले में क्या कदम उठाती है और क्या इस घोटाले के असली चेहरे को उजागर किया जा सकेगा।

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