छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के बर्खास्त शिक्षकों की लड़ाई में उतरे सांसद संदीप पाठक, सरकार से पूछे सीधे सवाल

रायपुर: CG B.ED Teachers Protest: छत्तीसगढ़ में बर्खास्त सहायक शिक्षक महीनों से सड़कों पर अपनी बहाली की मांग कर रहे हैं. अब इस मुद्दे को संसद के गलियारों में भी आवाज मिलने लगी है. आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद और प्रदेश प्रभारी डॉ. संदीप पाठक खुलकर इन शिक्षकों के समर्थन में उतर आए हैं.

उन्होंने राज्य सरकार को बेरोजगारी और शिक्षा विभाग की खस्ताहाल व्यवस्था को लेकर आड़े हाथों लिया है. उनका कहना है कि जिन युवाओं को पहले शिक्षक की नौकरी दी गई, बाद में उन्हें “अनफिट” बता कर बाहर का रास्ता दिखा दिया गया – यह सीधे तौर पर अन्याय है.

17 लाख बेरोजगार, 63,000 पद खाली – फिर भी शिक्षक बाहर?

डॉ. पाठक के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में करीब 17 लाख बेरोजगार युवा पंजीकृत हैं. इसके बावजूद शिक्षा विभाग में 63,000 पद खाली पड़े हैं. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि सरकार को न तो बेरोजगारों की चिंता है और न ही स्कूलों की हालत सुधारने की फुर्सत.

5,500 स्कूल ऐसे हैं जहां एक भी शिक्षक नहीं है. रायपुर जैसे बड़े शहर में भी हालात खराब हैं – 27 स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक, और 610 स्कूल तो पूरी तरह बिना शिक्षक के चल रहे हैं.

11 साल से सीनियरिटी लिस्ट नहीं, बच्चों को ग्रेस में पास!

डॉ. पाठक ने कहा कि पिछले 11 सालों से शिक्षकों की वरिष्ठता सूची (सीनियरिटी लिस्ट) तक नहीं निकाली गई है. मतलब, ना पदोन्नति हो रही है, ना नई भर्तियां. उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों को 8वीं तक तो ग्रेस में पास कर दिया जाता है, और 9वीं से अचानक प्राचार्य पर 90% रिजल्ट का दबाव आ जाता है – इससे शिक्षा की पूरी व्यवस्था ही मजाक बन गई है.

मेडिकल कॉलेजों में भी हाल बेहाल

सिर्फ स्कूलों की ही नहीं, मेडिकल एजुकेशन का भी हाल बुरा है. 10 मेडिकल कॉलेजों में 642 असिस्टेंट प्रोफेसर के पद खाली हैं. डॉक्टर बनने की चाह रखने वाले छात्रों के सामने फैकल्टी की भारी कमी है.

6 लाख कर्मचारी असुरक्षित, EPF और स्थायीकरण का नहीं अता-पता

CG Teacher news: डॉ. पाठक ने ये भी उठाया कि राज्य में 6 लाख से ज्यादा अनियमित कर्मचारी ऐसे हैं जिन्हें ना तो EPF का लाभ मिल रहा है और ना ही पक्की नौकरी का कोई भरोसा. उन्होंने पूछा कि सरकार बताए कि डेढ़ साल में कितनों को रोजगार दिया गया, उनमें से कितने छत्तीसगढ़ के थे और कितने बाहर से? साथ ही उन्होंने सवाल किया कि कितनी स्किल डेवलेपमेंट संस्थाएं खोली गईं और कितनी प्राइवेट नौकरियां दी गईं?

डॉ. संदीप पाठक के इन सवालों ने सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है. अब देखना ये होगा कि सरकार जवाब देती है या शिक्षकों की आवाज फिर किसी आंदोलन की शक्ल लेती है.

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