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Garbage Cafe Ambikapur: अंबिकापुर में प्लास्टिक कचरे के बदले मुफ्त भोजन की अनूठी पहल

प्लास्टिक कचरा और भूख: एक साथ समाधान की नई राह

Garbage Cafe Ambikapur: क्या प्लास्टिक कचरे और भूख की समस्या का समाधान एक साथ संभव है? छत्तीसगढ़ के सुरगुजा जिले में स्थित अंबिकापुर शहर ने इस चुनौती का अनूठा हल निकाला है। ‘गारबेज कैफे’ योजना के तहत, यहां प्लास्टिक कचरे के बदले गरीबों और बेघर लोगों को मुफ्त भोजन उपलब्ध कराया जाएगा। यह भारत में अपनी तरह की पहली पहल है, जो पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक कल्याण को साथ लेकर चलती है।


क्या है गारबेज कैफे योजना?

इस योजना के तहत, रैगपिकर्स (कचरा बीनने वाले) और बेघर लोग प्लास्टिक कचरा इकट्ठा कर इसे नगर निगम को देंगे। बदले में, उन्हें मुफ्त में खाना मिलेगा।

  • 1 किलो प्लास्टिक कचरे पर: पूरा भोजन।
  • 500 ग्राम प्लास्टिक कचरे पर: नाश्ता।

कैसे काम करेगा यह कैफे?

  • यह कैफे शहर के मुख्य बस स्टैंड से संचालित होगा।
  • यहां से बेघर और गरीब लोग प्लास्टिक कचरे को भोजन में बदल सकेंगे।

नगरपालिका ने इस योजना के लिए 5.5 लाख रुपये का बजट तय किया है। अगर यह राशि कम पड़ती है, तो जनप्रतिनिधियों से फंड की मांग की जाएगी।


प्लास्टिक का उपयोग सड़क निर्माण में

जो प्लास्टिक कचरा इकट्ठा होगा, उसे सड़क निर्माण में उपयोग किया जाएगा।

  • प्लास्टिक और डामर (Asphalt) का संयोजन सड़कों को अधिक टिकाऊ बनाता है।
  • पानी सड़कों में प्रवेश नहीं कर पाता, जिससे सड़कें लंबे समय तक खराब नहीं होतीं।

अंबिकापुर में पहले से है प्लास्टिक रोड

अंबिकापुर के गोदपुर क्षेत्र में पहले ही प्लास्टिक कचरे से बनी सड़क का निर्माण हो चुका है। इस मॉडल को और आगे बढ़ाने का लक्ष्य है।


For representational purposes only.

स्वच्छता में अंबिकापुर का स्थान

अंबिकापुर, स्वच्छता के क्षेत्र में पूरे देश के लिए एक प्रेरणा है।

  • स्वच्छ सर्वेक्षण 2019: अंबिकापुर को भारत का दूसरा सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया।
  • 5-स्टार रेटिंग: इसे ‘गारबेज फ्री सिटी’ का खिताब मिला।

2016 में, शहर ने 15 एकड़ की कचरा डंपिंग साइट को ‘स्वच्छता जागरूकता पार्क’ में बदला। यह पार्क अब स्वच्छता का प्रतीक है।


अंबिकापुर का कचरा प्रबंधन मॉडल

कैसे होता है कचरे का प्रबंधन?

  1. डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण।
  2. कचरे को तीन श्रेणियों में बांटा जाता है:
    • जैविक (खाद बनाने के लिए)
    • अजैविक (रीसाइक्लिंग के लिए)
    • पुनः उपयोग करने योग्य

जैविक कचरे का उपयोग

  • पशुओं और पक्षियों को खिलाने के लिए।
  • बायोगैस और खाद बनाने में।

अजैविक कचरे का उपयोग

  • प्लास्टिक, इलेक्ट्रॉनिक सामान, और कागज जैसे कचरे को अलग-अलग श्रेणियों में बांटकर रीसाइक्लिंग के लिए भेजा जाता है।

For representational purposes only.

‘गारबेज कैफे’ की जरूरत क्यों?

प्लास्टिक कचरे की समस्या

प्लास्टिक बैग और अन्य कचरे की समस्या बढ़ती जा रही है। इससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है।

भूख और गरीबी

अंबिकापुर में करीब 100 बेघर परिवार हैं। यह योजना उन्हें भोजन और पोषण प्रदान करेगी।

रैगपिकर्स का सशक्तिकरण

रैगपिकर्स को कचरे से केवल पैसे नहीं, बल्कि भोजन भी मिलेगा। यह उनके जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।


पर्यावरण और समाज के लिए लाभ

  1. कचरे का सही प्रबंधन:
    • प्लास्टिक सड़कों में उपयोग होगा।
    • जैविक कचरे से खाद और बायोगैस बनेगी।
  2. बेघरों को राहत:
    • गरीबों और बेघरों को भोजन मिलेगा।
    • योजना के तहत उनके लिए आश्रय भी बनाने का प्रस्ताव है।
  3. स्वच्छता में सुधार:
    • शहर को प्लास्टिक कचरे से मुक्त बनाने की दिशा में कदम।

क्या अन्य शहरों के लिए यह मॉडल है?

अंबिकापुर का ‘गारबेज कैफे’ मॉडल अन्य शहरों के लिए एक प्रेरणा है। अगर इसे सही तरीके से लागू किया जाए, तो यह योजना देश के अन्य हिस्सों में भी स्वच्छता और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा दे सकती है।

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