शराब स्कैम: पूर्व सीएस विवेक ढांड पर शिकंजा, ईडी ने बताया सिंडिकेट का मुखिया
रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 2,000 करोड़ रुपए के शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ा खुलासा किया है। ईडी ने प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव (सीएस) विवेक ढांड को इस घोटाले का मुखिया करार दिया है। ईडी के अनुसार, यह सिंडिकेट 2019 से 2022 के बीच अवैध तरीकों से काम कर रहा था।
ईडी का रिमांड नोट
कांग्रेस विधायक और पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा की रिमांड के लिए ईडी ने अदालत में 10 पेज का नोट जमा किया। इसमें कहा गया, “लिकर सिंडिकेट जिसमें अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और अरुणपति त्रिपाठी शामिल हैं, सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी विवेक ढांड के नेतृत्व में संचालित था।”
सिंडिकेट का संचालन
ईडी के अनुसार, इस सिंडिकेट ने शराब उत्पादन और वितरण से जुड़े कई अवैध तरीके अपनाए।
- नई शराब नीति का दुरुपयोग: पिछली सरकार में शराब नीति में बदलाव करते हुए एफएल-10ए जैसे नए लाइसेंस पेश किए गए।
- पूरे सिस्टम पर नियंत्रण: डिस्टलरी में सप्लाई होने वाले सामान, बोतल, और होलोग्राम का पूरा नियंत्रण इस सिंडिकेट के पास था।
- नकली होलोग्राम: नकली होलोग्राम घोटाले का बड़ा सबूत है, जिसकी जांच उत्तरप्रदेश पुलिस भी कर रही है।
पूर्व सीएस विवेक ढांड पर आरोप
ईडी ने पहली बार अपने रिमांड नोट में विवेक ढांड को सिंडिकेट का मुखिया बताया है। ईडी का दावा है कि ढांड न केवल इस घोटाले का संचालन कर रहे थे, बल्कि इससे लाभान्वित भी हुए हैं।
राजनीतिक कनेक्शन
यह मामला इसलिए और गंभीर हो गया है क्योंकि विवेक ढांड छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के शिक्षक रह चुके हैं। साथ ही, बघेल सरकार के शुरुआती दो-तीन वर्षों में वे मुख्य सलाहकार के रूप में बेहद प्रभावशाली भूमिका में थे।
अब तक 20 गिरफ्तारियां
ईडी इस मामले में अब तक 20 से अधिक गिरफ्तारियां कर चुकी है। कांग्रेस विधायक कवासी लखमा को भी अरेस्ट किया गया है और उनसे ईडी कार्यालय में पूछताछ जारी है। लखमा ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है, जिसके लिए डॉक्टरों की टीम भी बुलाई गई है।
मामले में नया मोड़
ईडी के इस खुलासे से मामला एक नए मोड़ पर पहुंच गया है। विवेक ढांड का नाम प्रमुख रूप से आने से प्रशासन और राजनीति में हलचल तेज हो गई है। अब यह देखना होगा कि जांच आगे क्या नई जानकारियां सामने लाती है।