महुरी एक बांसुरी जैसा वाद्ययंत्र है, जिसे मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ी लोक संगीत में बजाया जाता है। इसे खासतौर पर धार्मिक और शादियों में बजाया जाता है।
महुरी
ढोल एक बड़े आकार का ढोल होता है जिसे पारंपरिक छत्तीसगढ़ी नृत्य और संगीत में बजाया जाता है। इसे खासतौर पर लोक उत्सवों और त्योहारों के दौरान इस्तेमाल किया जाता है।
ढोल
नगाड़ा एक बड़ा ढोल होता है जिसे त्योहारों, धार्मिक अनुष्ठानों और नृत्य के दौरान बजाया जाता है। यह वाद्ययंत्र लोगों के मन में जोश और उल्लास भरता है।
नगाड़ा
मंजीरा एक प्रकार की छोटी धातु की घंटियां होती हैं, जो अक्सर लोक नृत्यों और भजन गायक मंडलियों के द्वारा बजाई जाती हैं। इसकी टिंग-टिंग की आवाज़ ताल और लय का आधार बनती है।
मंजीरा
घुंघरू छोटे धातु के घंटियों का समूह होता है, जिसे नृत्य के दौरान पैरों में बांधकर बजाया जाता है। यह नृत्य की ताल और लय में संगीत का संचार करता है।
घुंघरू
तासा एक छोटा ढोल होता है जिसे अधिकतर सामाजिक और धार्मिक समारोहों में बजाया जाता है। यह वाद्ययंत्र खासकर नृत्य और गीतों के साथ ताल मिलाने के लिए उपयोग किया जाता है।
तासा
बांसुरी एक प्रमुख वाद्ययंत्र है, जिसे छत्तीसगढ़ में लोक गायन और नृत्य के दौरान बहुत पसंद किया जाता है। यह वाद्ययंत्र विभिन्न प्रकार के सुर उत्पन्न करता है, जिससे संगीत में मधुरता आती है।
बांसुरी
सर्गम एक संगीत वाद्य है जो लोहा और लकड़ी से बना होता है। इसे विशेषकर नृत्य के दौरान तेज ताल पर बजाया जाता है।
सरगम
तोड़ी एक प्रकार का ताल वाद्ययंत्र है जो मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति में उपयोग किया जाता है। यह आमतौर पर लोक गीतों और पारंपरिक नृत्यों के दौरान बजाया जाता है।