प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 115वें एपिसोड में एक नयी प्रेरणा का संचार किया, जिसमें आत्मनिर्भर भारत को भारत के सामूहिक चेतना का हिस्सा बताया। प्रधानमंत्री ने स्वामी विवेकानंद के आदर्शों से प्रेरणा लेकर आत्मनिर्भरता को हमारी राष्ट्रीय नीति और प्रेरणा का आधार बताया। आइए, इस लेख में जानें कि कैसे आत्मनिर्भरता का यह विचार हमारे जीवन का अहम हिस्सा बनता जा रहा है और किस तरह यह अभियान देश के हर क्षेत्र में नई ऊंचाइयां छू रहा है।
स्वामी विवेकानंद के विचार: एक संकल्प, एक जीवन
स्वामी विवेकानंद के जीवन का मूल मंत्र था – “एक विचार को अपनाएं और उसे अपनी जिंदगी का उद्देश्य बनाएं।” इसी विचार को आत्मसात करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने आत्मनिर्भर भारत अभियान की नींव रखी है। यह केवल एक नीति नहीं, बल्कि हमारा संकल्प बन चुका है। हम एक ऐसे भारत की ओर बढ़ रहे हैं जहां आत्मनिर्भरता हमारी पहचान बन गई है।
आत्मनिर्भर भारत: हमारी सामूहिक चेतना का प्रतीक
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि आत्मनिर्भरता अब हमारी सामूहिक चेतना का हिस्सा बन चुकी है। यह केवल सरकारी नीतियों तक सीमित नहीं है, बल्कि हर भारतीय के मन में बसी एक भावना है। आत्मनिर्भरता का यह सफर अपने आप में एक यात्रा है, जो हमारे विकास को न केवल गति देती है बल्कि इसे स्थायी भी बनाती है।
भारत की उपलब्धियां: नयी ऊँचाइयों की ओर
मोबाइल निर्माण में भारत की बढ़ती ताकत
कभी कोई सोच भी नहीं सकता था कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता बन जाएगा। आज भारतीय मोबाइल कंपनियाँ विदेशी बाजारों में अपनी छाप छोड़ रही हैं, और यह आत्मनिर्भरता का ही नतीजा है।
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता
भारत ने 85 देशों को रक्षा उपकरण निर्यात कर साबित कर दिया है कि हम न केवल अपनी सुरक्षा में आत्मनिर्भर हो सकते हैं, बल्कि दूसरों की मदद भी कर सकते हैं। यह उस नए भारत का प्रतीक है जो न केवल आत्मनिर्भर है, बल्कि विश्व के लिए भी सहायक है।
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर भारत की सफलता
भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचकर दुनिया को चौंका दिया है। यह उपलब्धि भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान की अद्वितीय क्षमताओं का परिचायक है और हमारी आत्मनिर्भरता की ओर एक बड़ी छलांग है।
सामाजिक और वैज्ञानिक क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता की मिसालें
एशिया का सबसे बड़ा टेलीस्कोप: भारत की वैज्ञानिक ताकत
लद्दाख के हनले में 4,300 मीटर की ऊंचाई पर स्थापित MACE टेलीस्कोप एशिया का सबसे बड़ा इमेजिंग टेलीस्कोप है, जिसे भारत ने अत्यंत विषम परिस्थितियों में स्थापित किया। यह हमारे वैज्ञानिकों की लगन और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।
#AatmanirbharInnovation: अपने नवाचार को सामने लाएं
प्रधानमंत्री ने सभी नागरिकों से आह्वान किया कि वे अपने स्थानीय नवाचारों को #AatmanirbharInnovation के माध्यम से सोशल मीडिया पर साझा करें। यह भारत के हर व्यक्ति की सहभागिता को दर्शाता है और एक ऐसे समाज का निर्माण करता है जहां हम सब एक दूसरे की उन्नति में सहायक बनें।
त्योहारी सीजन में ‘वोकल फॉर लोकल’ का समर्थन
त्योहारों का मौसम आते ही प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों से वोकल फॉर लोकल का समर्थन करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इस त्योहार पर स्थानीय उत्पादों का प्रयोग करके हम आत्मनिर्भरता के पथ पर और भी मजबूती से आगे बढ़ सकते हैं।
आत्मनिर्भरता: केवल एक लक्ष्य नहीं, एक आदत
क्या है आत्मनिर्भरता का असली मतलब?
आत्मनिर्भरता का मतलब केवल आत्मसुरक्षा नहीं है, बल्कि इसका अर्थ है अपने बलबूते पर खड़ा होना और दूसरों की भी सहायता करना। जब हम अपनी जरूरतों को खुद पूरा करने लगते हैं, तो हम न केवल आत्मनिर्भर होते हैं बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक भी बनते हैं।
नई पीढ़ी का आत्मनिर्भरता में योगदान
आज की युवा पीढ़ी आत्मनिर्भर भारत की नींव को और भी मजबूत बना रही है। वे न केवल नए व्यवसाय शुरू कर रहे हैं बल्कि हर क्षेत्र में नवाचार का उदाहरण पेश कर रहे हैं। यह देश के लिए एक गर्व का विषय है और हमारी भविष्य की दिशा तय कर रहा है।
भारत के आत्मनिर्भरता के सफर की कुछ और झलकियाँ
- कृषि क्षेत्र में स्वावलंबन: किसानों को नई तकनीकों का प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है।
- स्वास्थ्य के क्षेत्र में: भारत में कोरोना वैक्सीन का निर्माण आत्मनिर्भरता का बड़ा उदाहरण है।
- नवाचार और स्टार्टअप: भारत में स्टार्टअप्स की बढ़ती संख्या हमारे आत्मनिर्भरता की कहानी को बयां करती है।
आत्मनिर्भर भारत: हमारे सपनों का भारत
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश में कहा कि हम न केवल आत्मनिर्भर भारत का निर्माण कर रहे हैं, बल्कि एक ऐसा भारत बना रहे हैं जो विश्व नवाचार का पावरहाउस बन सके। यह हमारे सपनों का भारत है जहां असंभव एक चुनौती के समान है।
निष्कर्ष
आत्मनिर्भरता का यह अभियान हमारे राष्ट्र के लिए एक नए युग की शुरुआत है। यह स्वामी विवेकानंद के उन विचारों को जीवन में उतारता है जो एक विचार को पकड़ने और उसे अपना उद्देश्य बनाने की बात करते हैं। यह भारत की समृद्धि और सुरक्षा का प्रतीक है, जो हमें न केवल आत्मनिर्भर बना रहा है बल्कि वैश्विक नेतृत्व की ओर ले जा रहा है।
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