रायपुर। राजनीति और क्रिकेट में कुछ समानताएं होती हैं – कब कौन छक्का मारे, कब कौन बोल्ड हो जाए, इसका कोई अंदाजा नहीं। इस समय छत्तीसगढ़ में रायपुर दक्षिण विधानसभा उपचुनाव (Raipur South by-election) के चुनावी मैदान पर कुछ ऐसा ही दृश्य देखने को मिल रहा है। भा.ज.पा. और कांग्रेस दोनों अपनी-अपनी रणनीतियों से एक-दूसरे पर भारी पड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
अजय चंद्राकर: राजनीति में ‘मास्टर शॉट’ की तरह
भले ही राजनीति का मैदान क्रिकेट जैसा न हो, लेकिन भाजपा के विधायक अजय चंद्राकर इस समय इसे पूरी तरह से एक क्रिकेट मैच की तरह खेल रहे हैं। उनका हर बयान और हर कदम एक मास्टर शॉट की तरह प्रतीत हो रहा है। विरोधी दलों पर उनकी चुटीली टिप्पणियाँ कभी-कभी विपक्ष को हिला देती हैं। चाहे वो सदन में हो, मंच पर या प्रेसवार्ता में, चंद्राकर का हर कदम विपक्षी दलों के लिए परेशानी का कारण बनता है।
उन्होंने हाल ही में रायपुर दक्षिण उपचुनाव में कांग्रेस के रणनीतियों पर तंज कसा और कांग्रेस के प्रत्याशी और प्रभारी को बाहरी बताते हुए भाजपा के प्रत्याशी सुनील सोनी को स्थानीय उम्मीदवार के रूप में पेश किया। उनका कहना था कि कांग्रेस के नेता चुनावी प्रचार में बाहरी हैं और उन्हें स्थानीय मुद्दों का कोई अनुभव नहीं है।
कांग्रेस के आरोपों का जवाब
इसके साथ ही, कांग्रेस के PCC अध्यक्ष दीपक बैज द्वारा भाजपा पर ताश के डिब्बे बांटने का आरोप लगाने पर चंद्राकर ने इसे पूरी तरह से नकारा। उन्होंने कहा कि भाजपा इस तरह की छोटी बातों में शामिल नहीं है, और यह आरोप बिना किसी ठोस आधार के लगाए गए हैं।
दीपक बैज के भिलाई एनकाउंटर पर दिए गए बयान पर भी अजय चंद्राकर ने अपनी आपत्ति जताई। उनका कहना था कि कांग्रेस को अपराध, एनकाउंटर और नक्सलवाद पर बोलने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने दीपक बैज को कांग्रेस का प्रवक्ता बताते हुए भूपेश बघेल के पक्ष में बोलने का आरोप लगाया।
अजय चंद्राकर ने कांग्रेस नेताओं पर कई तंज भी कसे। उन्होंने कहा कि कवासी लखमा की बयानों का कोई महत्व नहीं है और अमरजीत भगत को प्रधानमंत्री पर टिप्पणी करने से पहले अपनी छवि देखनी चाहिए।
इन बयानों के जरिए अजय चंद्राकर ने विपक्षी दलों को करारा जवाब दिया और रायपुर दक्षिण उपचुनाव में सियासी माहौल को और गरमा दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि उनका यह सियासी खेल किसके पक्ष में जाता है।
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