छत्तीसगढ़

गीले कचरे से बनेगा बायो गैस,मुख्यमंत्री साय की मौजूदगी में गेल इंडिया के साथ किया गया एमओयू

Ambikapur Bio Gas: अंबिकापुर नगर निगम ने गीले कचरे से बायो गैस बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। शुक्रवार को रायपुर में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और डिप्टी सीएम अरुण साव की मौजूदगी में नगर निगम अंबिकापुर, गेल इंडिया और छत्तीसगढ़ बायोफ्यूल डेवलपमेंट एजेंसी रायपुर के बीच एक त्रिपक्षीय अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए। इस एमओयू के तहत, गेल इंडिया अंबिकापुर में 150 टन क्षमता का बायो गैस संयंत्र स्थापित करेगी।

चंपा नाला के पास बनेगा बायो गैस संयंत्र

गेल इंडिया द्वारा स्थापित यह बायो गैस संयंत्र चंपा नाला के पास, नगर निगम के द्वारा चिन्हित 10 एकड़ भूमि पर बनेगा। इस संयंत्र में घरों से निकलने वाले गीले कचरे के साथ कृषि अपशिष्ट का भी उपयोग किया जाएगा। यह प्लांट न केवल शहर के स्वच्छता प्रबंधन में मदद करेगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक बड़ा कदम साबित होगा।

संकटमोचन बनेगा बायो गैस प्लांट

भारत सरकार के पेट्रोलियम मंत्रालय ने बायो गैस संयंत्र स्थापित करने के लिए छत्तीसगढ़ के छह निकायों का चयन किया है। इनमें से अंबिकापुर, रायगढ़ और कोरबा नगर निगम में गेल इंडिया द्वारा संयंत्र स्थापित किया जाएगा, जबकि अन्य जिलों में भारत पेट्रोलियम संयंत्र लगाएगी।

स्ट्रक्चर और ऑपरेशन: दोहरा फायदा मिलेगा नगर निगम को

इस संयंत्र की स्थापना सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के पास की जाएगी, जिससे नगर निगम को दोहरा फायदा होगा। एसटीपी से निकलने वाले उपचारित जल का उपयोग बायो गैस प्लांट में किया जाएगा, जिससे नगर निगम को भविष्य में आमदनी का स्रोत भी मिल सकेगा।

बायो गैस प्लांट की क्षमता और कचरा प्रबंधन

यह बायो गैस संयंत्र प्रतिदिन 150 टन गीले कचरे का निपटान करने में सक्षम होगा। हालांकि, पहले चरण में गेल इंडिया 100 टन गीले कचरे को प्रोसेस करेगी। शहर में वर्तमान में प्रतिदिन 35 टन गीला कचरा उत्पन्न होता है, और इस कचरे का उठाव और संयंत्र तक पहुंचाने का काम कंपनी खुद करेगी।

पर्यावरण संरक्षण में योगदान

नोडल अधिकारी रितेश सैनी ने बताया कि गीले कचरे के निपटान से मीथेन गैस का उत्सर्जन होता है, जो पर्यावरण के लिए हानिकारक है। बायो गैस प्लांट में इसी मीथेन गैस को जलने के लिए संकुचित किया जाएगा, जिससे कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित होगा, जो पर्यावरण के लिए लाभकारी होगा। इस प्रक्रिया से जैविक खाद भी प्राप्त होगी, जिसका इस्तेमाल कृषि में किया जा सकेगा।

इस परियोजना के माध्यम से अंबिकापुर नगर निगम को गीले कचरे के निपटान में मदद मिलेगी और शहर में स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक नई पहचान बनेगी।

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