CG Liquor Scam: भूपेश बघेल के करीबी विजय भाटिया शराब घोटाले में गिरफ्तार, कोर्ट में किया गया पेश, 8 ठिकानों पर चल रही कार्यवाही

CG Liquor Scam: छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े और बहुचर्चित शराब घोटाले में बड़ी कार्रवाई सामने आई है। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) और एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की टीम ने इस घोटाले के मुख्य आरोपी विजय भाटिया जो पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी कहे जा रहे है को राजधानी दिल्ली से धर-दबोचा है। गिरफ्तारी के बाद उसे रायपुर लाया गया और कोर्ट में पेश किया गया।
विजय भाटिया पर आरोप है कि उसने शराब सप्लाई से जुड़े बड़े खेल में विदेशी कंपनियों से कमीशन वसूली की और इस पूरे घोटाले को सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया।
विदेशी कंपनियों से कमीशन की सेटिंग और करोड़ों का खेल
ACB Action: जांच एजेंसियों के मुताबिक, भाटिया ने छत्तीसगढ़ में शराब वितरण व्यवस्था के ज़रिए सरकार को भारी राजस्व का नुकसान पहुंचाया। उसने न केवल खुद को, बल्कि अपने करीबियों और फर्जी कंपनियों को भी इस घोटाले से फायदा पहुंचाया।
ईओडब्ल्यू ने अपराध क्रमांक 04/2024 के तहत IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467, 468, 471 (जालसाजी), और 120-B (आपराधिक साजिश) के साथ-साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 और 12 के तहत मामला दर्ज किया है।
एक साथ 8 ठिकानों पर छापेमारी, मिले अहम सबूत
गिरफ्तारी के साथ ही दुर्ग और भिलाई में भाटिया से जुड़े कुल 8 अलग-अलग ठिकानों पर EOW और ACB की टीमें एक साथ छापेमारी कर रही हैं। छापों के दौरान कई फर्जी दस्तावेज़, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, लेन-देन के रिकॉर्ड, बैंक स्टेटमेंट, और नकली बिल बरामद किए गए हैं।
सूत्रों के मुताबिक, भाटिया ने शराब व्यापार में अपनी पकड़ और सरकारी संपर्कों का इस्तेमाल करते हुए करोड़ों रुपये की अवैध कमाई की थी, जिसे हवाला और फर्जी कंपनियों के जरिए सफेद किया गया।
और भी नाम आएंगे सामने, जांच तेज़
EOW अधिकारियों ने बताया कि भाटिया की गिरफ्तारी के बाद बरामद दस्तावेजों की गहराई से जांच की जा रही है। जल्द ही इस घोटाले से जुड़े अन्य बड़े नामों का भी खुलासा हो सकता है।
भ्रष्टाचार विरोधी इस कार्रवाई से यह साफ संकेत मिला है कि छत्तीसगढ़ सरकार अब इस मामले में किसी को भी बख्शने के मूड में नहीं है।
पारदर्शिता की ओर बढ़ता कदम
ACB Action: EOW और ACB की इस कार्रवाई को प्रदेश में पारदर्शी प्रशासन की दिशा में एक बड़ी पहल के तौर पर देखा जा रहा है।
सरकार यह संकेत देना चाहती है कि चाहे कोई भी रसूखदार हो, कानून से ऊपर कोई नहीं।