छत्तीसगढ़

अब रद्दी में नहीं बिकेगी बच्चों की किताब! छत्तीसगढ़ में सरकारी स्कूलों के किताबों में लगेगा बारकोड, जानिए क्या है साय सरकार का नया प्लान

CG School Books Barcode: छत्तीसगढ़ सरकार ने सरकारी स्कूलों में किताबों की छपाई और वितरण को लेकर बड़ा फैसला लिया है। अब जो भी किताब सरकारी स्कूलों में बच्चों को दी जाएगी, उस पर दो-दो बारकोड होंगे। इससे किताबें ट्रैक होंगी और रद्दी में बेचने जैसी हरकतों पर लगाम लगेगी।

क्यों लिया गया ये फैसला?

दरअसल, बीते कुछ सालों में ये देखने को मिला कि सरकारी स्कूलों की किताबें रद्दी में बिकती पाई गईं। सरकारी खर्चे से छपी किताबें जिन छात्रों तक पहुंचनी थीं, वो कबाड़ियों के पास पहुंच गईं। बस, यही गड़बड़ रोकने के लिए सरकार ने ये नया सिस्टम लागू करने का फैसला लिया है।

कैसे काम करेगा बारकोड सिस्टम?

अब किताबों की छपाई के समय ही हर प्रति को यूनिक बारकोड दिया जाएगा। इसमें दो बारकोड होंगे—पहला किताब की बेसिक डिटेल के लिए जैसे कि विषय, लेखक, प्रकाशन आदि। दूसरा बारकोड खासतौर से ट्रैकिंग के लिए होगा।

किताब जब स्कूल पहुंचेगी, तब शिक्षक अपने मोबाइल से उस बारकोड को स्कैन करेंगे। स्कैन की गई जानकारी सीधे ‘विद्या समीक्षा केंद्र’ (VSK पोर्टल) पर दर्ज हो जाएगी। इससे साफ हो जाएगा कि किताब किस डिपो से निकली, किस जिले के किस स्कूल में पहुंची और किस छात्र को दी गई।

अगर किताब बाजार में मिली तो?

अगर कोई किताब बाद में रद्दी की दुकान या बाजार में मिलती है, तो उस पर लगे बारकोड से तुरंत पता चल जाएगा कि वह किताब कहां से निकली थी और किस छात्र को दी गई थी। मतलब, अब कोई भी गड़बड़ी छुप नहीं पाएगी।

भ्रष्टाचार पर भी लगेगी लगाम

बीते समय में किताबों की छपाई और वितरण को लेकर काफी घपले हुए। अंदाजे से छात्र संख्या से करीब 10% ज्यादा किताबें छपवाई जाती थीं। इससे हर साल 8-10 लाख अतिरिक्त किताबों की मांग खड़ी हो जाती थी। अब बारकोड सिस्टम से ये खेल भी बंद हो जाएगा।

बच्चों के हक की किताब बच्चों तक पहुंचे

साय सरकार का मकसद साफ है—जो किताब जनता के टैक्स के पैसे से छपती है, वो सही मायनों में उन्हीं छात्रों तक पहुंचे, जिनके लिए वो बनी है। किताबों की ब्लैक मार्केटिंग, बिचौलियों की घुसपैठ और बीच में होने वाली हर गड़बड़ी पर अब सख्ती से रोक लगाई जाएगी।

शिक्षा में पारदर्शिता लाने की कोशिश

बारकोड सिस्टम सिर्फ किताब ट्रैक करने का टूल नहीं है, बल्कि यह सरकारी तंत्र में पारदर्शिता लाने की दिशा में बड़ा कदम है। अब कोई स्कूल अतिरिक्त किताबों का ऑर्डर नहीं दे सकेगा, और विभाग को भी रियल टाइम डेटा मिल जाएगा।

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