बसंत पंचमी 2025: जानें इस दिन की महिमा और देवी सरस्वती की पूजा की शुरुआत

हर साल माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाए जाने वाला बसंत पंचमी का पर्व इस साल 2 फरवरी को मनाया जाएगा, हालांकि कुछ स्थानों पर यह 3 फरवरी को भी मनाया जा सकता है। यह पर्व विशेष रूप से वसंत ऋतु के आगमन और देवी सरस्वती की पूजा से जुड़ा हुआ है। इस दिन विशेष रूप से विद्या, ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है, जो इस दिन के महत्व को और बढ़ा देती है।
बसंत पंचमी की शुरुआत कैसे हुई?
बसंत पंचमी का पर्व सीधे तौर पर देवी सरस्वती से जुड़ा हुआ है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की, तो संसार में जीवन था, लेकिन वह शांत और निष्क्रिय था। तब भगवान ब्रह्मा ने अपने कमंडल से जल छींटकर देवी सरस्वती को उत्पन्न किया। देवी सरस्वती ने अपनी वीणा की मधुर ध्वनि से सृष्टि में जीवन का संचार किया। तभी से देवी सरस्वती को ज्ञान, संगीत और कला की देवी माना जाने लगा और इस दिन को बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाने लगा।
धार्मिक मान्यताएं और पूजा विधि
बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन विद्यार्थियों के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है, और वे मां सरस्वती से विद्या और ज्ञान की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस दिन बच्चों को अक्षर ज्ञान देने की परंपरा भी है, जिसे ‘विद्यारंभ’ कहा जाता है। यह दिन शिक्षा के क्षेत्र में समृद्धि और सफलता की कामना का प्रतीक है।
प्रकृति का उत्सव
बसंत पंचमी का पर्व केवल धार्मिक महत्व ही नहीं बल्कि प्रकृति के उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन से ठंड का मौसम समाप्त होता है और वसंत ऋतु का आगमन होता है। इस समय खेतों में सरसों के पीले फूल खिलते हैं, जो इस दिन के पीले रंग को दर्शाते हैं। लोग इस दिन पीले कपड़े पहनते हैं और खासतौर पर पीले रंग के पकवान जैसे खिचड़ी और हलवा बनाते हैं, जो इस दिन की खुशी और समृद्धि का प्रतीक होते हैं।
कामदेव और रति की पूजा
बसंत पंचमी को प्रेम और सौंदर्य का पर्व भी माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन कामदेव ने अपनी पत्नी रति के साथ भगवान शिव की तपस्या को भंग करने की कोशिश की थी। इस कारण इस दिन को प्रेम और सौंदर्य के उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।
मां सरस्वती की पूजा की विशेष विधि
बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की पूजा एक खास विधि से की जाती है। पूजा में सफेद फूल, पीले वस्त्र, सफेद तिल और संगीत अर्पित किए जाते हैं। इस दिन विशेष रूप से मां सरस्वती के चरणों में वीणा और पुस्तक रखना शुभ माना जाता है। लोग इस दिन मां सरस्वती से विद्या और ज्ञान की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
बसंत पंचमी के इस पर्व के साथ न केवल विद्या और ज्ञान की देवी की पूजा होती है, बल्कि यह प्रकृति के सुंदर परिवर्तन का भी प्रतीक है।
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