छत्तीसगढ़

बस्तर दशहरा उत्सव: छत्तीसगढ़ की अद्वितीय सांस्कृतिक धरोहर

बस्तर दशहरा उत्सव छत्तीसगढ़ का सबसे लंबा और भव्य सांस्कृतिक पर्व है, जो राज्य की परंपराओं, लोककला और जनजातीय संस्कृति का प्रतीक है। यह 75 दिनों तक चलने वाला उत्सव है, जो बस्तर के आदिवासी समाज की धरोहर को जीवंत रखता है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने 15 अक्टूबर को बस्तर जिले में एक दिवसीय प्रवास के दौरान इस उत्सव का हिस्सा बनकर इसकी महत्ता को और सुदृढ़ किया।

बस्तर दशहरा की खासियत: 75 दिनों का अद्वितीय पर्व

बस्तर दशहरा अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। यह पर्व देवी दंतेश्वरी की आराधना के साथ शुरू होता है और विभिन्न रस्मों और विधि-विधानों के साथ संपन्न होता है। बस्तर दशहरा न केवल देवी-देवताओं की पूजा का आयोजन है, बल्कि यह बस्तर की जनजातीय परंपराओं और रीति-रिवाजों का भी प्रतीक है।

बस्तर दशहरा पसरा: बस्तर की सांस्कृतिक धरोहर का नया केंद्र

बस्तर दशहरा का मुख्य आकर्षण “बस्तर दशहरा पसरा” है, जिसे बस्तर की धरोहर के रूप में संजोया गया है। यह स्थल दंतेश्वरी मंदिर के समीप पुराने तहसील कार्यालय में स्थित है। मुख्यमंत्री ने इस स्थल का उद्घाटन किया, जहां करीब 2 करोड़ 99 लाख रुपए की लागत से विकास कार्य किए गए हैं। यहां पर बस्तर दशहरा के विभिन्न रस्मों और परंपराओं का प्रदर्शन किया जाता है, जिससे पर्यटक और स्थानीय लोग इसे करीब से जान सकें।

पाट जात्रा से रथ परिक्रमा: बस्तर की जीवंत परंपराएं

बस्तर दशहरा पसरा में बस्तर की अनूठी परंपराओं जैसे पाट जात्रा, काछन गादी, रथ परिक्रमा, रैला देवी पूजा, और जोगी बिठाई का जीवंत प्रदर्शन किया गया है। इन विधानों के माध्यम से जनसामान्य और पर्यटक बस्तर की सांस्कृतिक धरोहर का प्रत्यक्ष अनुभव कर सकते हैं। इस प्रकार, यह स्थल बस्तर के अनमोल सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को संरक्षित रखने का प्रयास करता है।

मुख्यमंत्री का दौरा और बस्तर दशहरा के प्रति सम्मान

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बस्तर दशहरा पसरा में स्थापित रथ और देवी-देवताओं के प्रतीकों की सराहना की। उन्होंने रथ के समीप खड़े होकर फोटो खिंचवाया, जो इस सांस्कृतिक धरोहर के प्रति उनकी गहरी आस्था और सम्मान को दर्शाता है। मुख्यमंत्री ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया और बस्तर दशहरा से संबंधित विभिन्न रस्मों और परंपराओं की जानकारी ली।

देवी-देवताओं का मेला: बस्तर दशहरा का आकर्षण

बस्तर दशहरा के दौरान देवी-देवताओं का एक विशाल मेला लगता है, जिसमें बस्तर क्षेत्र के सभी देवी-देवता अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। यह मेला दशकों से चली आ रही परंपराओं का प्रतीक है और बस्तर की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को समर्पित है। इस मेले में शामिल होने वाले देवी-देवताओं की छत्र की उपस्थिति बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है।

बस्तर दशहरा: आदिवासी समाज की आस्था का प्रतीक

बस्तर दशहरा बस्तर के आदिवासी समाज की धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। यह पर्व बस्तर की अनूठी परंपराओं और रीति-रिवाजों को जीवंत रखता है, जिससे आने वाली पीढ़ियों को बस्तर की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का ज्ञान हो सके। यह उत्सव समाज में एकता, सहयोग, और भाईचारे का संदेश देता है।

प्रमुख जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति: बस्तर दशहरा के आयोजन में

मुख्यमंत्री के साथ इस उत्सव में कई प्रमुख जनप्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। वनमंत्री केदार कश्यप, सांसद महेश कश्यप, कांकेर सांसद भोजराज नाग, विधायक किरण देव, और कई अन्य वरिष्ठ जनप्रतिनिधि इस उत्सव का हिस्सा बने। इनकी उपस्थिति ने इस उत्सव को और भी विशेष बना दिया।

बस्तर दशहरा और पर्यटन: सांस्कृतिक धरोहर का प्रचार-प्रसार

बस्तर दशहरा न केवल धार्मिक पर्व है, बल्कि यह बस्तर के पर्यटन को भी बढ़ावा देता है। पर्यटक यहां बस्तर की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, जीवंत परंपराओं और अद्वितीय रस्मों का अनुभव कर सकते हैं। बस्तर दशहरा के दौरान आने वाले पर्यटक बस्तर की संस्कृति और परंपराओं को नजदीक से देखने और समझने का अवसर पाते हैं। इस पर्व के आयोजन से बस्तर पर्यटन को नई ऊंचाइयां मिल रही हैं, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Notice: ob_end_flush(): failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/dakshinkosal/public_html/wp-includes/functions.php on line 5464