
गरियाबंद। छत्तीसगढ़ में समाज कल्याण विभाग के उपसंचालक द्वारा किए गए सवा 3 करोड़ रुपये के घोटाले का मामला सामने आया है। रिटायरमेंट के बाद संविदा पर कार्यभार संभालने वाले एलएस मार्को ने विभागीय नाम से फर्जी बैंक खाते खोलकर तीन साल में करोड़ों की रकम हड़प ली। गरियाबंद और धमतरी के बैंकों में विभाग के नाम से इन फर्जी खातों के जरिए ये रकम निकाली गई। मामले की जांच के बाद कलेक्टर दीपक अग्रवाल ने तत्कालीन उपसंचालक एलएस मार्को और डीडीओ प्रभारी मुन्नी लाल पाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।
जांच के बाद खुलासा
इस घोटाले का खुलासा रायपुर के कुंदन ठाकुर द्वारा जुलाई में कलेक्टर को की गई लिखित शिकायत के बाद हुआ। शिकायत के बाद कलेक्टर ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की, जिसकी अध्यक्षता अपर कलेक्टर अरविंद पांडे कर रहे थे। जांच के दौरान यह पाया गया कि इन दोनों अधिकारियों ने वित्तीय वर्ष 2016 से 2019 के दौरान कलेक्टर की मंजूरी के बिना विभिन्न योजनाओं के नाम पर सरकारी राशि को निजी बैंकों में जमा किया और फिर चेक के जरिए उसे निकाल लिया।
फर्जी खातों का जाल
जांच के दौरान पता चला कि विभाग के पैसे को रायपुर संचनालय के बजाय धमतरी और गरियाबंद के निजी बैंकों में खोले गए फर्जी खातों में जमा किया जाता था। इन फर्जी खातों से पैसे निकालने के लिए चेक का इस्तेमाल किया गया। जांच में यह भी सामने आया कि इस घोटाले में रायपुर संचनालय के तत्कालीन संचालक पंकज वर्मा की भी संदिग्ध भूमिका थी।
घोटाले की राशि
घोटाले की रकम की शुरुआत 2016 से होती है, जब 26 सितंबर को यूनियन बैंक रायपुर से 22 लाख रुपये का चेक निकाला गया था। इसके बाद 2017 और 2018 में भी इसी तरह के बड़े रकम के चेक जारी किए गए। 22 जून 2018 को एक ही दिन में 83 लाख रुपये तीन चेकों के जरिए निकाले गए थे। इसके बाद 2019 में भी लगातार बड़ी रकम की निकासी की गई।
धमतरी में और भी घोटाले की आशंका
गरियाबंद में हुई गड़बड़ी के बाद अब धमतरी में भी घोटाले की संभावना जताई जा रही है। गरियाबंद के मास्टरमाइंड मुन्नीलाल पाल 2012 से 2022 तक धमतरी में विभिन्न पदों पर कार्यरत थे और वहां भी फर्जी खातों के जरिए करोड़ों रुपये की हेराफेरी की जा सकती है। अगर धमतरी में जांच की जाती है, तो यह घोटाला गरियाबंद से भी बड़ा सामने आ सकता है।
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