CG Assembly Budget Session: दिव्यांगजनों के पदों के चिन्हांकन पर हुआ हंगामा, मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े को घेरा भाजपा विधायक ने

रायपुर: CG Assembly Budget Session: छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र 16वें दिन भी गरमाया रहा। बुधवार को प्रश्नकाल के दौरान दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के तहत पदों के चिन्हांकन का मुद्दा उठाया गया। यह मुद्दा विधानसभा में जोर-शोर से गूंजा और (CG Minister Lakshmi Rajwade) मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े को भाजपा विधायक प्रबोध मिंज के सवालों का जवाब देना पड़ा।
दिव्यांगजनों के पदों के चिन्हांकन में देरी पर उठे सवाल
BJP MLA: भाजपा विधायक प्रबोध मिंज ने महिला बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े से पूछा कि दिव्यांगजनों के लिए संवर्गवार पदों का चिन्हांकन कब तक पूरा किया जाएगा। मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने बताया कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 1995 के तहत 2014 में पदों का चिन्हांकन किया गया था, लेकिन 2016 में लागू हुए दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के तहत चिन्हांकन का काम अब तक पूरा नहीं हो पाया है। मंत्री ने बताया कि इस प्रक्रिया में 21 प्रकार के दिव्यांगजनों के लिए पद चिन्हांकित किए जाएंगे, लेकिन कुछ विभागों से अभी जानकारी आनी बाकी है।
विधायक की आपत्ति पर विधानसभा अध्यक्ष का हस्तक्षेप
प्रबोध मिंज ने मंत्री के जवाब पर आपत्ति जताते हुए कहा कि 9 सालों के बाद भी पदों का चिन्हांकन नहीं किया जा सका, जो कि दिव्यांगजनों के अधिकारों का उल्लंघन है। इस पर मंत्री राजवाड़े ने कहा कि किसी भी प्रक्रिया को पूरा करने में समय लगता है, और अधिकतर विभागों से जानकारी प्राप्त हो चुकी है।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि 9 सालों से यह प्रक्रिया चल रही है, लेकिन पद चिन्हित नहीं हो पाए। उन्होंने विभाग को निर्देश दिया कि दिव्यांगजन के मामलों में संवेदनशीलता दिखाते हुए समय-सीमा तय की जाए और कार्य को शीघ्र पूरा किया जाए।
नेता प्रतिपक्ष ने उठाया विशेष भर्ती अभियान का मुद्दा
Dr. Charandas Mahant: नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कहा कि दिव्यांगजनों के लिए पिछले साल मई में विशेष भर्ती अभियान शुरू करने का परिपत्र जारी किया गया था। हालांकि, अब भी इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
विधानसभा अध्यक्ष (Dr. Raman Singh) डॉ. रमन सिंह ने कहा कि यह मुद्दा गंभीर है और सभी विभागों से संबंधित जवाब प्राप्त किए जाने चाहिए। उन्होंने मुख्य सचिव को निर्देश दिए कि इस मुद्दे पर छह माह के भीतर समाधान निकाला जाए।
यह मुद्दा विधानसभा में खासा चर्चा का विषय बना और सरकार से दिव्यांगजनों के अधिकारों की रक्षा के लिए शीघ्र कदम उठाने की अपील की गई।