CG First Tribal Museum: छत्तीसगढ़ को मिला पहला आदिवासी संग्रहालय, सीएम विष्णुदेव साय ने किया लोकार्पण, 300 छात्रावास अधीक्षकों को सौंपे नियुक्ति पत्र

CG First Tribal Museum: रायपुर के नवा रायपुर इलाके में आज छत्तीसगढ़ ने एक बड़ा ऐतिहासिक कदम उठाया। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने राज्य के पहले आदिवासी संग्रहालय का उद्घाटन किया। करीब 9 करोड़ रुपये की लागत से तैयार इस संग्रहालय का लोकार्पण कर सीएम साय ने इसे आदिवासी समाज की परंपरा, संस्कृति और आत्मा का प्रतीक बताया।

इस मौके पर उन्होंने कहा,
“यह मेरे लिए गर्व की बात है कि मुझे छत्तीसगढ़ के पहले आदिवासी संग्रहालय का उद्घाटन करने का मौका मिला। यह न सिर्फ एक भवन है, बल्कि एक सोच है – हमारे आदिवासी समाज की पहचान को संरक्षित और प्रचारित करने की सोच।”

आदिवासी संस्कृति को समर्पित है यह संग्रहालय

सीएम साय ने बताया कि संग्रहालय में छत्तीसगढ़ के विविध जनजातीय समूहों की कला, संस्कृति, परंपरा, अनुष्ठान और रीति-रिवाजों को जीवंत रूप में प्रदर्शित किया गया है। उन्होंने इसे भविष्य के शोधकर्ताओं और छात्रों के लिए एक बहुमूल्य धरोहर बताया।

साथ ही उन्होंने विभागीय मंत्री और अधिकारियों की मेहनत की भी तारीफ की कि सिर्फ 10 महीनों में यह संग्रहालय आकार ले पाया।

300 छात्रावास अधीक्षकों को सौंपे गए नियुक्ति पत्र

लोकार्पण कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने व्यापम के जरिए चयनित 300 छात्रावास अधीक्षकों को नियुक्ति पत्र भी सौंपे। उन्होंने कहा कि अब छात्रावासों की जिम्मेदारी इन अधीक्षकों के कंधों पर होगी, और उन्हें विश्वास है कि ये युवा अधिकारी बच्चों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएंगे

नेताम बोले – आदिवासी समाज को अब मिलेगा असली मंच

आदिम जाति कल्याण मंत्री राम विचार नेताम ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ एक आदिवासी बहुल राज्य है और यहां के आदिवासी समुदायों की संस्कृति को संरक्षित करने के लिए यह संग्रहालय एक मील का पत्थर साबित होगा।

उन्होंने कहा,
“यह संग्रहालय केवल देखने भर के लिए नहीं है, यह एक रिसर्च सेंटर की तरह काम करेगा। देश-विदेश से शोधकर्ता आएंगे और यहां की जनजातीय संस्कृति को समझेंगे।”

नेताम ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की भी सराहना की और कहा कि उनकी नींव पर ही सीएम साय आगे बढ़ रहे हैं और आदिवासी समाज के लिए ठोस काम कर रहे हैं।

रमन सिंह बोले – यह संग्रहालय नहीं, संस्कृति की आत्मा है

विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने भी कार्यक्रम में शिरकत की और कहा,
“सीएम साय वास्तव में बधाई के पात्र हैं। इस संग्रहालय को देखकर ऐसा लगता है जैसे हम सीधे किसी आदिवासी गांव में पहुंच गए हों। यह सिर्फ एक ईंट-पत्थर की इमारत नहीं, बल्कि जीती-जागती संस्कृति है।”

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नारा ‘सबका साथ, सबका विकास’ अब ज़मीनी हकीकत बनता जा रहा है।

संस्कृति, शिक्षा और समर्पण का संगम

इस पूरे कार्यक्रम ने छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति को न सिर्फ पहचान दी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए उसे सहेजने का एक मजबूत जरिया भी दे दिया। वहीं छात्रावास अधीक्षकों की नियुक्ति के जरिए शिक्षा के क्षेत्र में भी एक नई शुरुआत की गई है।

अब बारी है इन पहलों को जमीन पर उतारने की, ताकि आदिवासी समाज को उनका हक और सम्मान दोनों मिल सके।

Also Read: Naxal Free India: 2026 तक भारत नक्सलमुक्त होगा: शाह बोले- ‘लाल आतंक’ पर निर्णायक वार, छत्तीसगढ़-तेलंगाना बॉर्डर पर ऑपरेशन में मारे गए 31 नक्सली


दक्षिण कोसल का Whatsapp Group ज्वाइन करे

Related Articles

Back to top button