CG High Court: हाईकोर्ट का अनोखा फैसला: तलाक के बाद भी एक ही घर में रहेंगे पति-पत्नी, जानिए समझौते की शर्तें

दुर्ग CG High Court: आमतौर पर तलाक का मतलब होता है—रिश्ते का अंत और अलग-अलग रास्ते। लेकिन छत्तीसगढ़ के दुर्ग में एक ऐसा मामला सामने आया है जहां पति-पत्नी ने तलाक के बावजूद साथ रहने का फैसला किया है। दिलचस्प बात ये है कि ये फैसला कोर्ट की मुहर के साथ हुआ है।
पहले तलाक, फिर समझौता
दुर्ग के एक दंपति ने आपसी मतभेदों के चलते तलाक की प्रक्रिया शुरू की थी। मामला फैमिली कोर्ट में पहुंचा और 9 मई 2024 को हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 के तहत तलाक की डिक्री जारी हो गई। लेकिन मामला यहीं नहीं रुका। पत्नी ने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की।
28 अप्रैल 2025 को दोनों पक्षों ने कोर्ट में आपसी सहमति से एक लिखित समझौता किया। 1 मई को ये समझौता कोर्ट में पेश किया गया, जिसे न्यायमूर्ति रजनी दुबे और न्यायमूर्ति सचिन सिंह राजपूत की खंडपीठ ने स्वीकार कर लिया। इसके साथ ही तलाक की डिक्री को भी रद्द कर दिया गया।
समझौते की दिलचस्प शर्तें
इस समझौते के मुताबिक, दंपति तलाक नहीं लेंगे लेकिन पूरी तरह अलग जीवन जीएंगे—वो भी एक ही मकान के अलग-अलग मंजिलों पर।
- पति ग्राउंड फ्लोर पर रहेगा, पत्नी फर्स्ट फ्लोर पर।
- जलकर, बिजली बिल, प्रॉपर्टी टैक्स जैसे खर्च दोनों बराबर बांटेंगे।
- अपने-अपने हिस्से की मरम्मत और देखरेख खुद करेंगे।
- दोनों की कमाई, बैंक खाते और खर्च व्यक्तिगत रहेंगे। कोई एक-दूसरे के मामलों में दखल नहीं देगा।
- मकान में कोई निर्माण या बदलाव करने से 30 दिन पहले सूचना देना जरूरी होगा, अगर साझा क्षेत्र प्रभावित न हो।
- पत्नी की अस्पताल संबंधी कागजी जरूरतों में पति मदद करेगा, लेकिन खर्च पत्नी खुद उठाएगी।
- दोनों को सामाजिक और व्यक्तिगत आज़ादी मिलेगी। एक-दूसरे को किसी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा।
कोर्ट ने क्या कहा?
हाईकोर्ट ने इस फैसले को शादी खत्म करने की बजाय, रिश्तों को नई तरह से निभाने की कोशिश बताया है। कोर्ट ने कहा कि ये समझौता एक सकारात्मक पहल है, जिसमें दो लोग एक-दूसरे की मर्यादा और स्वतंत्रता का सम्मान करते हुए साथ जीना चाहते हैं।
साथ ही कोर्ट ने ये भी साफ किया कि अगर भविष्य में कोई पक्ष इस समझौते का उल्लंघन करता है, तो दूसरा पक्ष फिर से कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है।
क्या कहता है ये मामला?
यह मामला बताता है कि हर रिश्ता टूटकर खत्म नहीं होता। कभी-कभी दो लोग अलग-अलग रहते हुए भी एक-दूसरे की ज़िंदगी का सम्मानजनक हिस्सा बने रह सकते हैं—बस शर्त है कि उनके बीच समझ और सहमति हो।