छत्तीसगढ़

Chaitra Navratri 2025: छत्तीसगढ़ के इन 9 देवी मंदिरों का है बड़ा महत्व, नवरात्रि में दर्शन से पूरी होती है हर मनोकामना

Chaitra Navratri 2025: छत्तीसगढ़, जो सांस्कृतिक रूप से समृद्ध राज्य है, में नवरात्रि का पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। यहां देवी के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है और खासकर नवरात्रि के दौरान देवी मंदिरों में श्रद्धालु बड़ी संख्या में दर्शन करने आते हैं। इस लेख में हम छत्तीसगढ़ के प्रमुख देवी मंदिरों का जिक्र करेंगे, जिनकी मान्यता और ऐतिहासिक महत्व के बारे में जानकर आप भी इन स्थानों पर जरूर जाएंगे। छत्तीसगढ़ में देवी के अलग-अलग नामो से उनके अवतारों की पूजा की जेति है, जैसे कि देवी दाई, डोकरी दाई आदि। छत्तीसगढ़ी भाषा में माता को “दाई” कहा जाता है।

डोंगरगढ़ – माँ बम्लेश्वरी का शक्तिपीठ (Dongargarh – Maa Bamleshwari Mandir)

राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ में स्थित माँ बम्लेश्वरी का मंदिर छत्तीसगढ़ के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। यह मंदिर 1600 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और इसके दर्शन के लिए 1000 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। मां बम्लेश्वरी का यह शक्तिपीठ लगभग 2200 साल पुराना है। यहां शारदीय और वासंती नवरात्रि के दौरान विराट मेला आयोजित किया जाता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं। डोंगरगढ़ का प्राचीन नाम कामावतीपुरी था, और यहां राजा वीरसेन ने मंदिर का निर्माण कराया था।

खल्लारी माता मंदिर – महाभारत काल की मान्यता (Khallari Mata Temple)

महासमुंद जिले के खल्लारी गांव में स्थित खल्लारी माता मंदिर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है। खल्लारी का प्राचीन नाम मृत्कागढ़ था। यहां से जुड़ी मान्यता के अनुसार महाभारत काल में राक्षस हिडिंब के साथ भीम का युद्ध हुआ था। इसके बाद हिंडिबा ने भीम से विवाह किया था। इस मंदिर तक पहुँचने के लिए 850 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। खल्लारी माता का मंदिर नवरात्रि में विशेष रूप से श्रद्धालुओं के बीच प्रसिद्ध है।

चंडी माता मंदिर – भालू और भक्तों की अनोखी आरती (Chandi Mata Temple)

चंडी माता मंदिर महासमुंद से 40 किलोमीटर दूर विकासखण्ड बागबाहरा के घुंचापाली गांव में स्थित है। इस मंदिर में विशेष रूप से चैत्र और क्वांर मास के नवरात्रि में मेला लगता है। यहां एक अनोखा दृश्य देखने को मिलता है, जहां श्रद्धालु माता की आरती में भाग लेते हैं और आधा दर्जन भालू भी इस आरती में शामिल होते हैं। यह एक बहुत ही आकर्षक और अद्भुत दृश्य है।

दंतेश्वरी माता मंदिर – बस्तर की कुल देवी (Danteshwari Mata Temple)

दंतेवाड़ा जिले में स्थित दंतेश्वरी माता मंदिर बस्तर क्षेत्र की सबसे सम्मानित देवी का मंदिर है। यह मंदिर 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। यह मंदिर बस्तर राज परिवार की कुल देवी को समर्पित है और यहां के दर्शन श्रद्धालुओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण माने जाते हैं। यहां पूजा के दौरान नफी, बिरकाहली और करना जैसे वाद्य यंत्रों का इस्तेमाल किया जाता है। बस्तर दशहरा के दौरान दंतेश्वरी माता की विशेष पूजा होती है।

महामाया मंदिर – बिलासपुर का प्रसिद्ध मंदिर (Mahamaya Temple)

बिलासपुर जिले के रतनपुर में स्थित महामाया मंदिर एक प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर है। यह मंदिर कलचुरी राजा रत्नदेव प्रथम ने 12वीं-13वीं सदी में बनवाया था। महामाया मंदिर में देवी सती के दाहिने स्कंध के गिरने की मान्यता है। यहां नवरात्रि के दौरान विशेष पूजा होती है और श्रद्धालु माता की कृपा प्राप्त करने के लिए यहां आते हैं।

चंद्रहासिनी माता मंदिर – सक्ती जिले का धार्मिक स्थल (Chandrahasini Mata Temple)

सक्ति जिले के डभरा तहसील में स्थित चंद्रहासिनी माता मंदिर एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यहां देवी की आकृति चंद्रमा के समान मानी जाती है, जिसके कारण इसे “चंद्रहासिनी देवी” कहा जाता है। यह मंदिर नवरात्रि के दौरान श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बनता है और दर्शन के लिए बड़ी संख्या में लोग यहां आते हैं।

बंजारी माता मंदिर: रायगढ़ का प्रमुख धार्मिक स्थल

बंजारी माता मंदिर रायगढ़ शहर का एक अत्यधिक प्रसिद्ध और पवित्र धार्मिक स्थल है, जो देवी बंजारी माता को समर्पित है। यह मंदिर रायगढ़ शहर के प्रमुख आकर्षणों में से एक है और स्थानीय श्रद्धालुओं के बीच अत्यधिक आस्था का केंद्र है।

रायगढ़ शहर तक पहुंचने के लिए अंबिकापुर राज्य राजमार्ग का उपयोग किया जाता है, जो इस मंदिर तक आसान पहुंच प्रदान करता है। रायगढ़, जो अपने कोसा रेशम, कथक नृत्य, तेंदूपत्ता, बेल धातु की ढलाई, शास्त्रीय संगीत और स्पंज आयरन पौधों के लिए जाना जाता है, बंजारी माता मंदिर के कारण भी धार्मिक पर्यटन के लिए प्रमुख स्थल बन चुका है।

मड़वारानी मंदिर – कोरबा की प्रसिद्ध देवी

कोरबा जिले के मड़वारानी मंदिर में देवी मड़वारानी की पूजा की जाती है। यह मंदिर कोरबा-चाम्पा रोड पर स्थित है और यहां की मान्यता के अनुसार माता मड़वारानी यहां स्वयं प्रकट हुई थीं। इस मंदिर में नवरात्रि के दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है। मेला भी आयोजित किया जाता है, जिसमें लोग अपनी आस्था के साथ पूजा करते हैं।

माता अंगारमोती: धमतरी जिले में स्थापित (Angarmoti Mata Temple)

माता अंगारमोती की प्रतिमा धमतरी जिले में दो स्थानों पर प्रतिष्ठित है। एक स्थान गंगरेल है, जहां माता का एक पैर स्थापित किया गया है, जबकि दूसरा स्थान रुद्री रोड स्थित सीताकुंड है, जहां माता का धड़ विराजमान है।

कहा जाता है कि माता का धड़ पहले तालाब में मछुआरों के जाल में फंसा हुआ मिला था। मछुआरों ने इसे एक साधारण पत्थर समझकर तालाब में वापस डाल दिया। इसके बाद गांव के एक व्यक्ति को माता का स्वप्न आया, जिसमें उन्हें यह निर्देश दिया गया कि इस धड़ को तालाब से निकालकर पास के झाड़ के नीचे स्थापित किया जाए। इसके बाद वही स्थान माता अंगारमोती के पूज्य स्थान के रूप में प्रसिद्ध हुआ।

इन प्रमुख मंदिरों में नवरात्रि के दौरान पूजा, भव्य मेले और विशेष आरतियों का आयोजन होता है, जो श्रद्धालुओं को अपनी आस्था से जोड़ते हैं। अगर आप इस नवरात्रि में छत्तीसगढ़ में हैं, तो इन मंदिरों में दर्शन करने से आपकी हर मनोकामना पूर्ण हो सकती है।

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