नक्सलवाद, जो वर्षों से छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों के लिए एक बड़ा सिरदर्द रहा है, पर हाल ही में राज्य सरकार की कड़ी मेहनत और बुद्धिमत्ता ने विजय प्राप्त की है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में चलाए गए सफल ऑपरेशनों ने इस समस्या को जड़ से खत्म करने की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ाया है। इस लेख में हम इस सफल रणनीति की विस्तार से चर्चा करेंगे।
नक्सलवाद: एक परिचय
नक्सलवाद का मुद्दा दशकों से छत्तीसगढ़ की राजनीति और सुरक्षा के केंद्र में रहा है। यह केवल हिंसा का नहीं, बल्कि विकास की धीमी गति का भी परिणाम है। सरकारें बदलती रहीं, लेकिन नक्सलवाद की जड़े गहरी होती चली गईं। लेकिन हाल ही में, विष्णुदेव साय की रणनीति और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की सराहना ने इस मोर्चे पर बदलाव की शुरुआत की है।
नक्सल प्रभावित क्षेत्र और चुनौती
छत्तीसगढ़ के बस्तर और उससे सटे इलाके लंबे समय से नक्सलियों का गढ़ रहे हैं। ये क्षेत्र न केवल भौगोलिक दृष्टि से चुनौतीपूर्ण हैं, बल्कि यहां की जनसंख्या की भी राज्य सरकार के साथ लंबे समय से दूरी बनी हुई थी। नक्सलवादियों ने इस असंतोष का लाभ उठाया, जिससे इन क्षेत्रों में विकास रुक गया।
विष्णुदेव साय की सफल रणनीति
खुफिया जानकारी और पुलिस की कुशलता
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सबसे बड़ी सफलता उनकी टीम की सटीक खुफिया जानकारी और पुलिस की कुशल रणनीति रही। राज्य पुलिस ने महीनों तक की गई प्लानिंग के बाद नक्सलियों के खिलाफ बड़ा ऑपरेशन अंजाम दिया। 31 नक्सलियों को ढेर कर, छत्तीसगढ़ पुलिस ने दिखाया कि जब समर्पण और सही योजना हो, तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती।
ऑपरेशन की तैयारी
इस ऑपरेशन में लगभग 1000 जवान शामिल थे, जिन्होंने गवाड़ी पहाड़ के 15 किलोमीटर के दायरे को चारों ओर से घेरा और एक-एक नक्सली का सामना किया। यह ऑपरेशन केवल हथियारों की लड़ाई नहीं थी, बल्कि यह एक मानसिक और रणनीतिक लड़ाई थी, जिसे जीतने के लिए हर पहलू का ध्यान रखा गया।
नक्सलियों का आत्मसमर्पण
इस साल जनवरी से लेकर अब तक, 742 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, जो सरकार की नीतियों की सफलता को दर्शाता है। नक्सलियों को मुख्यधारा से जोड़ने के प्रयासों के तहत पुनर्वास योजनाओं का प्रचार किया गया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस पर जोर दिया कि जो युवा अभी भी नक्सलवाद में फंसे हैं, वे हथियार छोड़कर मुख्य धारा से जुड़ें।
ऑपरेशन के प्रमुख पहलू
मुठभेड़ में मारे गए नक्सली
इस मुठभेड़ में 18 पुरुष और 13 महिला नक्सलियों का मारा जाना इस बात का प्रमाण है कि नक्सलियों के पास कोई विकल्प नहीं बचा था। इस ऑपरेशन की सफलता के पीछे सही समय पर मिली खुफिया जानकारी और सेना की अनुशासनहीनता से मुक्त संचालन प्रमुख थे।
बड़े नक्सली नेताओं का अंत
इस ऑपरेशन में मारे गए 16 नक्सलियों पर कुल 1 करोड़ 30 लाख का इनाम घोषित था। इससे साफ होता है कि यह केवल एक साधारण ऑपरेशन नहीं था, बल्कि नक्सलियों के नेतृत्व को समाप्त करने का बड़ा कदम था।
पुनर्वास योजनाएँ और सरकार की पहल
सरकार की पुनर्वास योजनाओं ने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को नई जिंदगी दी है। इन योजनाओं में शिक्षा, रोजगार, और सामाजिक सुरक्षा को प्रमुखता दी जा रही है ताकि नक्सलियों को फिर से समाज में स्थान मिल सके।
नक्सल विरोधी अभियानों पर केंद्रीय गृह मंत्री की सराहना
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ की नक्सल विरोधी रणनीति की खुलकर तारीफ की। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में छत्तीसगढ़ ने एक नई दिशा दिखाई है। इस वर्ष 801 नक्सली गिरफ्तार हुए हैं, और इससे साबित होता है कि सरकार की योजनाएं और नीतियां सही दिशा में जा रही हैं।
केंद्रीय सरकार का समर्थन
केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ की नक्सल विरोधी योजनाओं को पूरा समर्थन दिया है। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अन्य राज्यों को भी छत्तीसगढ़ की रणनीति से सीखना चाहिए, ताकि देश भर में नक्सलवाद की समस्या का समाधान हो सके।
सरकार और समाज का तालमेल
समाज की भूमिका
सरकार की योजनाओं के साथ-साथ समाज की भी जिम्मेदारी है कि वे इन आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को पुनः समाज में स्थान दें। शिक्षा और रोजगार के अवसर प्रदान करना और उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर देना अत्यंत आवश्यक है।
नक्सलवाद के खिलाफ युवा पीढ़ी की भागीदारी
आज के युवा, जो कभी नक्सलवाद की विचारधारा से प्रभावित होते थे, अब सरकार की योजनाओं से जुड़ रहे हैं। यह छत्तीसगढ़ के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। यह साबित करता है कि अगर सही दिशा दिखाई जाए तो युवा अपनी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में मोड़ सकते हैं।