अक्टूबर में भारत में महंगाई ने मचाया कोहराम
नई दिल्ली। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2024 में छत्तीसगढ़ में महंगाई दर 8.8% तक पहुंच गई, जो भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे ज्यादा रही। इसके बाद बिहार 7.8% महंगाई दर के साथ दूसरे स्थान पर रहा। ओडिशा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में भी महंगाई दर 7% से ऊपर रही। इस समय देशभर में खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतें खुदरा महंगाई में सबसे बड़ी वजह बनीं।
महंगाई की बढ़ती रफ्तार ने परेशान किया
भारत में अक्टूबर महीने में खुदरा महंगाई दर 6.2% तक पहुंच गई, जो पिछले 14 महीनों का उच्चतम स्तर है। यह वृद्धि मुख्य रूप से खाद्य कीमतों में आई उछाल के कारण हुई। सब्जियों, अनाज, फल, तेल और वसा जैसे खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी ने महंगाई में बड़ा योगदान दिया। NSO के आंकड़ों के अनुसार, 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से आधे से अधिक में महंगाई दर 6% से ऊपर रही। दिल्ली, जहां महंगाई दर 4% रही, इस मामले में सबसे कम रहा, जबकि पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में भी महंगाई दर कम रही।
खाद्य कीमतों का दबाव
खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी ने देशभर में महंगाई के दबाव को और बढ़ा दिया है। विशेष रूप से सब्जियों की कीमतें बढ़ने से महंगाई की दर में तेज वृद्धि हुई। इस वृद्धि ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 6% की ऊपरी सहिष्णुता सीमा को भी पार कर लिया है, जिससे ब्याज दरों में बदलाव की संभावना को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। आरबीआई के लिए यह स्थिति चिंता का विषय बन गई है, क्योंकि उच्च खाद्य महंगाई आर्थिक नीतियों पर दबाव बना रही है।
आरबीआई की नीति पर उठे सवाल
महंगाई दर में भिन्नता को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि यह विभिन्न राज्यों में आपूर्ति श्रृंखला की समस्याओं के कारण हो सकता है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने खाद्य महंगाई को नियंत्रण में रखने के लिए ब्याज दरों में कटौती की मांग की है। उन्होंने कहा कि खाद्य महंगाई को मौद्रिक नीति के जरिए नियंत्रित करना “गलत सिद्धांत” है। वहीं, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने खाद्य महंगाई के संभावित खतरों को लेकर चेतावनी दी है और मौद्रिक नीति के तहत इस पर नियंत्रण रखने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
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