छत्तीसगढ़ में जनता चुनेगी मेयर: बड़े बदलाव का आगाज
छत्तीसगढ़ की राजनीति में इस बार बड़ा बदलाव आने वाला है। अब जनता खुद मेयर को चुनेगी, जो पहले पार्षदों का काम था। भूपेश बघेल के कार्यकाल में किए गए नियम में संशोधन की तैयारी हो रही है। यह लेख आपको इस बदलाव के सभी पहलुओं से अवगत कराएगा।
बदलाव का कारण
कांग्रेस सरकार का संशोधन
2018 में कांग्रेस सरकार बनने के बाद, भूपेश बघेल ने पार्षदों को मेयर चुनने का अधिकार दिया था। लेकिन अब, साय सरकार इस निर्णय को पलटने की तैयारी में है, ताकि जनता खुद मेयर का चुनाव कर सके।
पिछला संशोधन
- 2018 में, कांग्रेस सरकार ने जनता से यह अधिकार छीनकर पार्षदों को दे दिया था।
- यह निर्णय कांग्रेस की कैबिनेट बैठक में लिया गया था।
नई सरकार की योजना
साय सरकार ने नगरीय निकायों से प्रस्ताव मांगा है, ताकि इस नियम में संशोधन किया जा सके। इस बदलाव से जनता फिर से सीधे तौर पर मेयर का चुनाव कर सकेगी।
चुनाव प्रक्रिया में परिवर्तन
महापौर चुनाव का तरीका
- अब तक, पार्षद मेयर को चुनते थे।
- संशोधन के बाद, जनता सीधे मेयर का चुनाव करेगी।
जमानत राशि में संशोधन
2018 में, नगरीय निकाय चुनाव की जमानत राशि में वृद्धि की गई थी। साय सरकार इस जमानत राशि को भी संशोधित करने की योजना बना रही है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
बीजेपी का रुख
- 2018 में, कांग्रेस सरकार के इस निर्णय का बीजेपी ने कड़ा विरोध किया था।
- अब, बीजेपी के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण चुनाव होगा, क्योंकि कांग्रेस का दबदबा पहले से ही 14 नगर निगमों में है।
कांग्रेस का लक्ष्य
- कांग्रेस अपने कब्जे को बरकरार रखने के उद्देश्य से चुनाव में उतरेगी।
- प्रदेश और स्थानीय मुद्दे इस बार के चुनाव में हावी रहेंगे।
इतिहास का पुनरावलोकन
दिग्विजय सिंह का निर्णय
1999 में, मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह की सरकार ने यह अधिकार जनता को दिया था। यह अधिकार 2018 तक छत्तीसगढ़ की जनता के पास था, जब तक कांग्रेस ने इसे पार्षदों को नहीं सौंपा।
भविष्य की रणनीति
- साय सरकार ने प्रस्ताव मांगे हैं ताकि इसे लागू किया जा सके।
- इससे नगरीय निकायों की भूमिका और जनता की भागीदारी बढ़ेगी।
छत्तीसगढ़ की जनता का रुख
जनता की प्रतिक्रिया
- जनता इस बदलाव का स्वागत कर रही है।
- यह कदम लोगों को और अधिक लोकतांत्रिक तरीके से अपने प्रतिनिधि चुनने का अवसर देगा।
संभावित प्रभाव
- इस बदलाव से राजनीतिक परिदृश्य में बड़े परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं।
- यह निर्णय छत्तीसगढ़ की राजनीति को नया मोड़ देगा।
चुनाव की चुनौती
बीजेपी के सामने चुनौतियां
बीजेपी के लिए यह चुनाव एक बड़ी चुनौती होगी। 2018 के बाद से कांग्रेस का दबदबा प्रदेश की 14 नगर निगमों में है।
कांग्रेस की रणनीति
- कांग्रेस अपना दबदबा बनाए रखने के लिए तैयार है।
- स्थानीय मुद्दे चुनाव में प्रमुख भूमिका निभाएंगे।
निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ में इस बार का मेयर चुनाव एक महत्वपूर्ण बदलाव लेकर आएगा। जनता के पास मेयर चुनने का अधिकार लौटकर आ रहा है, जिससे लोकतंत्र और मजबूत होगा। साय सरकार के इस कदम से छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक नया अध्याय जुड़ने वाला है।