संपादकीय; कोरोना संक्रमण दर अधिक लेकिन सतर्कता बरत जोखिम में जाने से बचे…

सम्पादकीय। डॉक्टर्स और मेडिकल एक्सपर्ट्स लगातार इस बात को कह रहे हैं कि कोरोना वायरस के संक्रमण की दर अधिक है लेकिन यह वायरस जानलेवा नहीं है। ऐसा सिर्फ तब तक है, जब तक आप इस वायरस के प्रति लापरवाही ना बरतें।
यदि आप इस वायरस से संक्रमित हो जाते हैं तो डरने के बजाए इसका इलाज कराएं। साथ ही जैसे ही आपको इस बात का शक हो कि आप वायरस की चपेट में आ चुके हैं, बिल्कुल भी लापरवाही ना बरतें और तुरंत टेस्ट कराने के साथ ही ट्रीटमेंट लेना शुरू कर दें। यदि आप इतनी सतर्कता बरतेंगे तो यह वायरस आपकी जान को जरा भी जोखिम नहीं पैदा कर पाएगा।
लेकिन इसके विपरीत यदि आप इस वायरस के प्रति लापरवाही बरतेंगे तो यह आपके शरीर के अंदरूनी अंगों को अपने चपेट में लेकर उनके काम में बाधा पहुंचाएगा और आपकी स्थिति दिन-प्रतिदिन गंभीर होती जाएगी। कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर्स का कहना है कि कोरोना से संक्रमित 80 प्रतिशत मरीजों को केवल सपॉर्टिव केयर की जरूरत होती है। यानी उन्हें यदि जरूरी दवाएं और सही डायट समय पर मिल जाए तो वे कोरोना वायरस को आसानी से मात दे देते हैं।
जबकि मात्र 20 प्रतिशत मरीज ही ऐसे होते हैं जिन्हें अधिक देखभाल और हर समय चिकित्सकीय निगरानी की जरूरत होती है। इन 20 प्रतिशत मरीजों में से मात्र 5 प्रतिशत लोगों को वेंटिलेटर्स की जरूरत होती है और 15 प्रतिशत लोगों को ऑक्सीजन सपॉर्ट सिस्टम की जरूरत पड़ती है। ऐसे में लोगों को अपनी सेहत को लेकर सिर्फ सतर्क रहने की जरूरत है।
पहले की तुलना में गंभीर स्थितियों से निपटने हमारे पास बेहतर मात्रा में संसाधन है
क्योंकि पहले की तुलना में हमारे पास इस वायरस की गंभीर स्थितियों से निपटने के लिए बेहतर मात्रा में संसाधन हैं और अब हमारे डॉक्टर्स भी इस वायरस का इलाज करने में पहले की तुलना में अधिक अनुभवी हो चुके हैं। ऐसे में यदि इस वायरस की चपेट में आए लोग समय पर अपना इलाज कराएं और गाइडलाइन्स को फॉलो करें तो इस वायरस को आसानी से हराया जा सकता है। आज के समय में शुरुआती स्तर पर की गई लापरवाही ही एक ऐसी समस्या है, जो इस वायरस को अधिक घातक और जानलेवा बना रही है।
कोरोना महामारी हमारे अग्नि परीक्षा का काल है
कोरोना महामारी हमारी अग्नि-परीक्षा का काल है। जिसने न केवल हमारी पारंपरिक सांस्कृतिक, धार्मिक उत्सवों-पर्वों में व्यवधान उत्पन्न किया है, बल्कि हमारी शैक्षणिक और आर्थिक गतिविधियों को भी बाधित किया है। इसने हमारे देश की जनसंख्या के एक बड़े वर्ग को भूख एवं अभावों की प्रताड़ना एवं पीड़ा दी है, अपनों से दूर किया है। रोजगार छीन लिये हैं, व्यापार ठप्प कर दिये हैं, संकट तो चारों ओर बिखरे हैं, लेकिन तमाम विपरीत स्थितियों के हमने अपना संयम, धैर्य, मनोबल एवं विश्वास नहीं खोया है। हम सब एक साथ मिलकर इन बढ़ती हुई चुनौतियों एवं संकटों को जड़ से खत्म करने में लगे हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के फौलादी एवं सक्षम नेतृत्व में सभी राजनैतिक एवं प्रशासनिक शक्तियां जटिल से जटिल होती स्थितियों पर नजर बनाए हुए हैं और कठिनाइयों को कमतर करने के लिए हरसंभव सुविचारित कदम उठा रहे हैं। घरों में रह कर, सुरक्षित रह कर ही हम इन खौफनाक एवं डरावनी स्थितियों पर काबू पा सकते हैं। हमें निरंतर सतर्क रहना होगा, ढिलाई की गुंजाइश नहीं है। हमारी एक भूल अनेक जीवन को संकट में डाल सकती है। इसलिये यह समय है, जब हम अपने संकल्प और प्रयासों में एकता दिखाएं। वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए परस्पर दूरी बनाएं रखें, लेकिन मनुष्य के रूप में अपनी मानवीय संवेदना का अहसास सबको कराये। हम अपने धर्म-संप्रदाय के मूल संस्कारों, उपदेशों को फिर से समझें। हम अपना ख्याल रखें और संभव हो, तो अपने पास रहने वालों का भी ध्यान रखें। तभी कोरोना मुक्ति का सुर्योदय जन-जन के जीवन का उजाला बन सकेगा।
यशवंत गंजीर, संपादक दक्षिणकोसल एक्सप्रेस न्यूज़