
डोंगरगढ़। छत्तीसगढ़ में शराब के एक बड़े रैकेट का खुलासा हुआ है, जिसमें मध्यप्रदेश से लाई गई शराब को छत्तीसगढ़ के नकली होलोग्राम, लेबल और सील लगाकर बेचा जा रहा था। पुलिस ने डोंगरगढ़ के ग्राम करवारी स्थित एक फार्म हाउस में इस नकली शराब के बड़े अड्डे का भंडाफोड़ किया। इस मामले में तीन आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद अब तक गिरफ्तारियों की संख्या 11 हो चुकी है।
क्या था पूरा रैकेट?
पुलिस की जांच में सामने आया कि इस पूरे नेटवर्क का संचालन ‘सोनू उर्फ रोहित नेताम’ कर रहा था, जो कि फार्म हाउस का मालिक भी है। उसने अधिक मुनाफा कमाने के लिए यह गिरोह तैयार किया था और शराब को छत्तीसगढ़ ब्रांड के नकली होलोग्राम, लेबल और सील के साथ बाजार में बेचने का काम किया था। मामले में गिरफ्तार किए गए तीन आरोपी इस गिरोह का हिस्सा थे, जिनसे पूछताछ में कई अहम जानकारियां सामने आई हैं।
सवालों के घेरे में पुलिस और आबकारी विभाग
पुलिस की ताजा कार्रवाई के बाद कई सवाल उठ रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि इतनी बड़ी मात्रा में शराब राज्य सीमा पार कैसे आई? नकली होलोग्राम और लेबल कहां से आए? इस रैकेट का कारोबार कब से चल रहा था और इसके तार किस-किस तक जुड़े हुए हैं? इन सवालों के घेरे में आबकारी विभाग के अधिकारी सबसे पहले आ रहे हैं।
राजनीतिक संरक्षण की चर्चा
सूत्रों के अनुसार, यह रैकेट चलाने के लिए जिन मार्गों से शराब भेजी जा रही थी, उन पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज अब तक पुलिस ने जांचे नहीं हैं। वहीं, पुलिस विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के मोबाइल और व्हाट्सएप चैट की भी जांच की जानी बाकी है। इस पूरे मामले में राजनीतिक संरक्षण की भी बातें हो रही हैं, जो रैकेट की गंभीरता को और बढ़ा देती हैं।
पहले भी गिरफ्तार हो चुके हैं आठ लोग
पुलिस ने अब तक आठ अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया था, जो इस रैकेट के अहम सदस्य थे। गिरफ्तारी के बाद से पुलिस ने लगातार छापेमारी और पूछताछ की प्रक्रिया जारी रखी है, ताकि इस रैकेट के बाकी कनेक्शंस को भी पकड़ सकें।
इस पूरे मामले ने एक बार फिर से राज्य के आबकारी विभाग और पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना यह है कि पुलिस इस गिरोह का पूरा जाल कैसे उजागर करती है और कितने और लोग इस रैकेट में शामिल हैं।