CRISIL Roti Rice Rate (RRR) रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर 2024 में एक वेज थाली (घर पर पका हुआ शाकाहारी भोजन) की लागत पिछले साल की तुलना में 20% बढ़ गई है। वहीं, नॉन-वेज थाली की कीमत में 5% की बढ़ोतरी हुई है। ये वृद्धि मुख्यतः सब्जियों के बढ़ते दामों के कारण हुई है, जबकि नॉन-वेज थाली की लागत में पिछले 12 महीनों से लगातार गिरावट देखने को मिली है।
कीमतों में बढ़ोतरी के मुख्य कारण
- Vegetable Prices:
- Overall Impact: सब्जियाँ वेज थाली की लागत में लगभग 40% और नॉन-वेज थाली में 22% का योगदान देती हैं। सब्जियों के दामों में उछाल का सबसे अधिक असर वेज थाली की कीमत पर पड़ा है।
- Onion और Potato: प्याज और आलू के दाम क्रमशः 46% और 51% बढ़े हैं, जिसकी वजह सितंबर में हुई भारी बारिश के कारण कम आवक बताई गई है।
- Tomato: टमाटर के दाम पिछले साल ₹29/kg से बढ़कर ₹64/kg हो गए हैं। यह बढ़ोतरी महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में फसल क्षति के कारण हुई है। पिछले महीने की तुलना में इसमें 39% की वृद्धि हुई है।
- Pulses:
- वेज थाली का एक अहम हिस्सा होने के कारण दालों के दामों में 11% की वृद्धि हुई है, जिसका कारण कम स्टॉक और त्योहारी मांग बताई गई है। रिपोर्ट में अनुमान है कि दिसंबर में नई फसल के आने से दालों की कीमतों में गिरावट आ सकती है।
- Vegetable Oil:
- खाद्य तेल की कीमतों में भी 10% की वृद्धि दर्ज की गई है। इसका कारण बढ़ा हुआ import duty और त्योहारी demand को बताया गया है।
- Fuel Costs:
- हालाँकि, LPG की कीमतें साल भर में घटी हैं (मार्च 2024 में ₹803, जबकि सितंबर 2023 में ₹903), फिर भी थाली की लागत में इसका योगदान बना हुआ है।
How CRISIL Calculates Thali Cost
CRISIL’s calculation method में थाली के लिए अनाज, दालें, ब्रॉयलर, सब्जियाँ, मसाले, खाद्य तेल और रसोई गैस की औसत लागत को शामिल किया जाता है। ये प्राइस north, south, east और west India के विभिन्न भागों से ली जाती है ताकि एक औसत मूल्य तय किया जा सके।
Future Outlook
थाली की लागत में इस वृद्धि के बावजूद, रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि नवंबर में कीमतों में स्थिरता आएगी क्योंकि मध्य प्रदेश, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश से सब्जियों की supply में सुधार होने की उम्मीद है। इसके अलावा, दिसंबर में नई फसल के आने से दालों के दामों में भी गिरावट हो सकती है।
इस रिपोर्ट से यह साफ है कि weather, supply chain issues और festive demand का असर घर के बने खाने की affordability पर पड़ रहा है, जो भारत में बढ़ती महंगाई की चुनौतियों को उजागर करता है।