राजिम के कौन्दकेरा में ग्लूकोमा सप्ताह का हुआ आयोजन, क्या होता है ग्लूकोमा आप भी जाने…
राजिम। छतीसगढ़ शासन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के आदेशानुसार, जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला गरियाबंद डॉ. एन. आर नवरत्न के निर्देशन और खण्ड चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र राजिम डॉ. पी. कुदेशिया एवं नोडल अधिकारी डॉ. टी. सी. पात्रे के मार्गदर्शन में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कौन्दकेरा मे विश्व ग्लूकोमा (कांचियाबिन्द) सप्ताह का आयोजन किया गया।
जिसके तहत नेत्र सहायक अधिकारी श्रीमती वाणी आराधना साहू के द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र कौन्दकेरा में ग्लूकोमा स्क्रिनींग एवं नेत्र परिक्षण का आयोजन किया गया। जिसमें आसपास गांव के मरीज, मितानीन, और हॉस्पिटल स्टॉफ उपस्थित थे। इस अवसर पर नेत्र सहायक अधिकारी श्रीमती वाणी आराधना साहू ने ग्लूकोमा के बारे में बताया कि काला मोतियाबिंद को ग्लूकोमा या काला मोतिया भी कहा जाता है। काला मोतियाबिंद आँखों में होने वाली एक गंभीर समस्या है। हमारी आँखों में ऑप्टिक नर्व होती है, जो किसी भी वस्तु का चित्र दिमाग तक पहुँचाती है। ग्लूकोमा के दौरान हमारी आँखों पर अत्यधिक दबाव पड़ता है। लगातार बढ़ते दबाव के कारण हमारी ऑप्टिक नर्व नष्ट हो सकती है। इस दबाव को इंट्रा-ऑक्युलर प्रेशर कहते हैं। यदि ऑप्टिक नर्व और आँखों के अन्य भागों पर पड़ने वाले इस दबाव को नियंत्रित न किया जाये तो व्यक्ति हमेशा के लिए अंधा हो सकता है।
उन्होंने बताया कि अंधेपन के प्रमुख कारकों में से ग्लूकोमा एक है। ये किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन बूढ़े लोगों में अधिकतर पाया जाता है। अगर ग्लूकोमा की पहचान शुरुआत में ही कर ली जाये तो दृष्टि को कमज़ोर होने से रोका जा सकता है। इस अवसर पर ग्राम पंचायत रोहिना के सरपंच हुमन साहू और जनप्रतिनिधि उपस्थित थे। कार्यक्रम में 29 लोगों का नेत्र परिक्षण किया गया तथा 19 लोगों को चश्मा वितरण किया गया।
कार्यक्रम में नेत्र सहायक अधिकारी श्रीमती वाणी आराधना साहू, योगानंद चक्रधारी, नितेश सिन्हा, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी श्रीमती विद्यावती बंजारे, फार्मसिस्ट भावना कोरे, रेणु दिवाकर, लेब टेक्निशियन उमेश साहू, रवि विश्वकर्मा, विनिता तिवारी, अंजू मन्नाडे, बाबूलाल साहनी, खिलेश्वरी वर्मा, देवेन्द्र शर्मा, मनोज साहू , सुरेश घोगरे, विशांत नायक, अनिता राय ए. एन. एम., एम. पी. डब्ल्यू, मितानीन एवं प्रथमिक स्वास्थ्य केन्द्र कौन्दकेरा के सभी स्टॉफ का सराहनीय योगदान रहा।