छत्तीसगढ़ में ‘सुशासन तिहार’ का आयोजन, मुख्यमंत्री साय और उनके मंत्री करेंगे जनता से संवाद, कलेक्टरों को जारी हुआ ये निर्देश

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने राज्य में सुशासन को मजबूत करने और जनसमस्याओं के समाधान के लिए “सुशासन तिहार-2025” के आयोजन का ऐलान किया है। इस आयोजन का उद्देश्य शासन-प्रशासन की पारदर्शिता, जनकल्याणकारी योजनाओं की प्रभावी समीक्षा और जनता से सीधे संवाद को बढ़ावा देना है। यह कार्यक्रम तीन चरणों में आयोजित किया जाएगा और राज्यभर में इसकी गूंज सुनाई देगी।
तीन चरणों में होगा आयोजन
सुशासन तिहार-2025 के तहत, मुख्यमंत्री ने सभी जिला कलेक्टरों को पत्र जारी करते हुए आयोजन के संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश दिए हैं। पहला चरण 8 अप्रैल से 11 अप्रैल 2025 तक आयोजित होगा, जिसमें आम जनता से आवेदन प्राप्त किए जाएंगे। इसके बाद, दूसरे चरण में, प्राप्त आवेदनों का निराकरण किया जाएगा। तीसरे और अंतिम चरण में, 5 मई से 31 मई 2025 के बीच समाधान शिविरों का आयोजन होगा, ताकि जनता की समस्याओं का त्वरित समाधान किया जा सके।
समाधान पेटियों के जरिए होगा आवेदन संग्रहण
मुख्यमंत्री साय ने स्पष्ट किया है कि इस आयोजन के तहत, ग्राम पंचायत मुख्यालयों और नगरीय निकाय कार्यालयों में आवेदन पेटियां रखी जाएंगी। यहां लोग अपनी समस्याएं और शिकायतें लिखकर उसमें डाल सकेंगे। इसके अलावा, हर जिले और विकासखंड मुख्यालय में भी समाधान पेटी रखी जाएगी। साथ ही, हाट बाजारों में भी आवेदन लिए जा सकेंगे। ऑनलाइन आवेदन के लिए पोर्टल की व्यवस्था की जाएगी, और कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से भी आवेदन किए जा सकेंगे।
हर आवेदन का होगा पंजीकरण और ऑनलाइन अपलोड
सुशासन तिहार के दौरान, हर आवेदन को एक विशेष कोड दिया जाएगा, और उसे पोर्टल में पंजीकृत कर ऑनलाइन अपलोड किया जाएगा। इससे पारदर्शिता बनी रहेगी और आवेदनकर्ताओं को पावती भी दी जाएगी। साथ ही, कलेक्टरों को निर्देश दिया गया है कि वे अधिकारियों और कर्मचारियों की ड्यूटी लगाकर जनता को आवेदन लिखने में मदद करें।
जनसंवाद को सशक्त बनाने का प्रयास
मुख्यमंत्री साय ने इस तिहार के आयोजन को राज्य में शासन-प्रशासन के कामकाज को पारदर्शी और प्रभावी बनाने का एक बड़ा कदम बताया। इस तिहार के माध्यम से सरकार आम जनता से सीधे संवाद स्थापित करेगी और उनकी समस्याओं का समयबद्ध समाधान करने की दिशा में काम करेगी।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि इस कार्यक्रम को राज्य के सभी जिलों की परंपराओं और आवश्यकताओं के हिसाब से अनुकूलित किया जाएगा, ताकि यह और अधिक प्रभावशाली और जनोपयोगी बन सके।
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