छत्तीसगढ़ विधानसभा में पीएमजीएसवाई के अधूरे कार्य पर कांग्रेस विधायक ने उठाया सवाल, उप मुख्यमंत्री ने दिया जवाब

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र के दौरान मंगलवार को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत पखांजूर से मायापुर तक सड़क निर्माण को लेकर सवाल उठे। कांग्रेस विधायक विक्रम उसेंडी ने इस मुद्दे को विधानसभा में उठाया और आरोप लगाया कि इस सड़क का निर्माण कार्य अब तक पूरा क्यों नहीं हुआ है। इस पर उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने जवाब दिया और कहा कि वह 15 जून तक इसे पूरा नहीं कर पाएंगे, लेकिन सड़क की स्थिति सुधारने के प्रयास किए जाएंगे।
विधायक का सवाल: सड़क निर्माण में देरी क्यों?
विधायक विक्रम उसेंडी ने कहा कि इस सड़क का निर्माण कार्य बरसात के पहले पूरा करने की बात की गई थी, लेकिन अब तक कोई काम नहीं हुआ। उन्होंने पूछा कि क्यों यह कार्य अब तक पूरा नहीं हो सका, जबकि यह मामला ध्यानाकर्षण में पहले ही उठाया गया था।
उप मुख्यमंत्री का जवाब: ट्रैफिक और तकनीकी कारणों से देरी
इस पर उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने जवाब दिया कि 26 जुलाई 2024 के ध्यानाकर्षण में उन्होंने सड़क की स्ट्रेंथनिंग की घोषणा की थी और इस कार्य को पूरा करने की पूरी कोशिश की गई। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र बॉर्डर से जुड़ी होने के कारण वहां भारी ट्रैफिक था, जिससे थोड़ी परेशानी आई, लेकिन इसे जल्द ही निपटाया जाएगा।
अध्यक्ष का निर्देश: सड़क को चलने लायक बनाएं
विधायक उसेंडी ने इस दौरान फिर से सवाल उठाया कि अगर बरसात के बाद काम शुरू करने की बात कही गई थी तो कम से कम पैच रिपेयर का काम शुरू किया जाना चाहिए था। क्या 15 जून तक सड़क बन पाएगी? इस पर विजय शर्मा ने कहा कि यह कार्य बजट में लाकर जल्द किया जाएगा, लेकिन 15 जून से पहले पूरा नहीं हो पाएगा।
विधायक ने फिर से यह सवाल किया कि क्या यह काम अनुपूरक बजट में किया जा सकता था, और क्या सड़क को बरसात के पहले चलने लायक बनाया जाएगा? इस पर उप मुख्यमंत्री ने फिर से पुष्टि की कि 15 जून से पहले सड़क का कार्य पूरा नहीं हो पाएगा, लेकिन जो रिपेयरिंग का काम किया जा रहा है, उसे देख लिया जाएगा।
अध्यक्ष का अंतिम निर्देश
सदन के अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने इस मुद्दे पर अपनी टिप्पणी देते हुए कहा कि कम से कम माइनर रिपेयर का काम किया जाए, ताकि सड़क चलने लायक हो सके और लोगों को आने-जाने में कोई परेशानी न हो।
यह मामला एक बार फिर से प्रशासनिक अधिकारियों और सरकार के बीच समन्वय की आवश्यकता को उजागर करता है, ताकि योजनाओं का समय पर और प्रभावी रूप से क्रियान्वयन हो सके।