अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: कब से और क्यों मनाया जाता है? जानिए इसके पीछे का इतिहास

International Womens Day: आपने मीडिया में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के बारे में सुना हो. या फिर अपने दोस्तों को इस बारे में बातचीत करते हुए सुना होगा. मगर ये दिन क्यों मनाया जाता है? ये कब मनाया जाता है? ये कोई जश्न है? या फिर, विरोध का प्रतीक है? और क्या कोई अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस भी मनाया जाता है? सालों से दुनियाभर के लोग आज के दिन महिला दिवस मनाते आ रहे हैं लेकिन ये सब शुरू कैसे हुआ?
महिला दिवस का महत्व और तारीख
International Womens Day: भारतीय संस्कृति में नारी को देवी का रूप माना गया है। सदियों से भारतीय समाज में महिलाओं का अत्यधिक सम्मान किया जाता रहा है। यहां मां दुर्गा, मां लक्ष्मी और माता सरस्वती की पूजा की परंपरा है, जिनसे शक्ति, समृद्धि और बुद्धि की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि हर साल 8 मार्च को दुनिया भर में महिला दिवस मनाया जाता है। यह दिन महिलाओं के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक योगदान को मान्यता देने का है। महिला दिवस उनके संघर्षों, उपलब्धियों और समाज में उनके योगदान को सराहने का अवसर है।
महिला दिवस का इतिहास
International Womens Day: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का इतिहास 1908 से जुड़ा हुआ है, जब न्यूयॉर्क में करीब 15,000 महिलाओं ने एक बड़ा मार्च निकाला था। इन महिलाओं का प्रमुख उद्देश्य था – काम के घंटे कम करना, बेहतर वेतन की मांग करना और मतदान का अधिकार प्राप्त करना। यह प्रदर्शन महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और उनके समाज में समान स्थान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। धीरे-धीरे यह आंदोलन बढ़ते-बढ़ते अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैल गया और 1977 में संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन को आधिकारिक रूप से महिला दिवस के रूप में मान्यता दी।
महिला दिवस का उद्देश्य
International Womens Day: महिला दिवस केवल महिलाओं के योगदान को पहचानने का दिन नहीं है, बल्कि यह उनके संघर्षों को भी याद करने का दिन है। यह दिन उन महिलाओं के हौसले और संघर्ष को सलाम करता है जिन्होंने समाज में समानता के लिए आवाज उठाई और उन बदलावों के लिए लड़ाई लड़ी। 8 मार्च को दुनिया भर में महिलाओं को प्रोत्साहित किया जाता है, उनके अधिकारों की अहमियत को समझाया जाता है और यह सुनिश्चित किया जाता है कि महिलाएं समाज में हर क्षेत्र में आगे बढ़ सकें।
नारी के योगदान की अहमियत
International Womens Day: आज के समय में महिलाओं का योगदान हर क्षेत्र में देखने को मिलता है। चाहे वह शिक्षा हो, विज्ञान, कला, राजनीति या व्यवसायिक क्षेत्र, महिलाएं हर जगह पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं। महिला दिवस के माध्यम से न केवल महिलाओं के योगदान की सराहना की जाती है, बल्कि समाज में उनकी स्थिति को बेहतर बनाने की दिशा में कदम भी उठाए जाते हैं।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का 2025 का थीम
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2025 के लिए “नारी को सशक्त बनाओ, समाज को सशक्त बनाओ” का थीम रखा गया है। इस दिन का उद्देश्य महिलाओं को हर पहलू में बराबरी देने की दिशा में सकारात्मक बदलाव लाना है।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस इस बात को साबित करता है कि जब महिलाओं को समान अवसर मिलते हैं, तो वे किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं रहतीं।
क्लारा ज़ेटकिन ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की बुनियाद रखी
Clara Zetkin: क्लारा ज़ेटकिन एक वामपंथी कार्यकर्ता थीं और महिलाओं के अधिकारों के लिए उनकी आवाज़ हमेशा बुलंद रहती थी।उन्होंने 1910 में डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में कामकाजी महिलाओं के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का सुझाव दिया था। इस सम्मेलन में 17 देशों से आई लगभग 100 महिलाएं शामिल हुईं और सभी ने एकमत से क्लारा के इस विचार को स्वीकार किया। 1910 में क्लारा ज़ेटकिन ने ही अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की नींव रखी थी।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस, मूल रूप से कामकाजी महिलाओं के अधिकारों के संघर्ष से जुड़ा हुआ था, जिसे बाद में संयुक्त राष्ट्र द्वारा एक वार्षिक आयोजन के रूप में मान्यता दी गई।
इस दिन को विशेष बनाने की शुरुआत 115 साल पहले, 1908 में हुई थी, जब लगभग 15,000 महिलाओं ने न्यूयॉर्क शहर में एक बड़ी परेड निकाली। उनकी मुख्य मांगें थीं – महिलाओं के कार्य घंटों में कमी, बेहतर वेतन और महिलाओं को वोट देने का अधिकार।
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