छत्तीसगढ़

जिला पंचायत बिलासपुर की बैठकों में अनियमितताओं का पर्दाफाश, RTI आवेदन से मचा हड़कंप

जिला पंचायत बिलासपुर में हुई सामान्य प्रशासन समिति की बैठकों में संभावित अनियमितताओं को लेकर एक आरटीआई (सूचना का अधिकार) आवेदन ने तहलका मचा दिया है। अश्विन चतुर्वेदी ने जिला पंचायत बिलासपुर कार्यालय को सूचना के अधिकार के तहत 30 अगस्त 2024 और 20 नवंबर 2024 को हुई बैठकों की जानकारी उपलब्ध कराने का आवेदन दिया है।

मांग की गई प्रमुख जानकारियां में बैठक की कार्रवाई का विवरणः

आरटीआई आवेदन के अनुसार, इन दोनों बैठकों में उठाए गए मुद्दों और लिए गए निर्णयों का विस्तृत विवरण मांगा गया है। महत्वपूर्ण चर्चा और निर्णयः इन बैठकों में सहायक परियोजना अधिकारी (संविदा) श्रीमती अनुराधा मिश्रा और सहायक ग्रेड 03 श्री पोरवेंद्र देवांगन से संबंधित चर्चाओं और निर्णयों का पूरा विवरण मांगा गया है। कलेक्टर के आदेशः बैठक के दौरान पारित निर्णयों को कलेक्टर कार्यालय भेजे गए दस्तावेजों और उनके आदेशों की प्रमाणित प्रतियां मांगी गई हैं।

शिकायत और कार्रवाई:

बैठक के दौरान अनुराधा मिश्रा और पोरवेंद्र देवांगन के खिलाफ की गई शिकायतों और उनके आधार पर यदि कोई कार्रवाई हुई है तो उससे जुड़े आदेश, नोटशीट और फाइल का विवरण भी मांगा गया है।

RTI कानून की धारा 6 (3) का जिक्र:

यदि मांगी गई जानकारी कार्यालय में उपलब्ध नहीं है, तो संबंधित विभाग को आवेदन स्थानांतरित करने की मांग की गई है। बैठक में मनरेगा योजना से संबंधित कार्यों की स्वीकृति और निर्णयों में कथित हस्तक्षेप का भी मुद्दा उठाया गया है। यह आरोप लगाया गया है कि कुछ अधिकारी बैठक में अपने प्रभाव का दुरुपयोग कर रहे हैं। यदि इन आरोपों की पुष्टि होती है, तो यह मनरेगा अधिनियम की धारा 27 और 13(1)(d) के तहत सरकारी धन के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार का मामला हो सकता है। क्या कहता है कानून? आरटीआई कानून 2005 की धारा 6 (3) के अनुसार, यदि मांगी गई जानकारी किसी अन्य विभाग से संबंधित हो, तो जनसूचना अधिकारी को आवेदन संबंधित विभाग को भेजना होता है। इसके अलावा, धारा 7(1) के तहत सूचना 30 दिनों के भीतर उपलब्ध कराई जानी चाहिए।

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