रायपुर में बुनी गई झारखंड शराब घोटाले की साजिश, ईओडब्ल्यू ने दो अधिकारियों पर जांच की मांगी अनुमति

ईओडब्ल्यू ने सरकार से मांगी जांच की अनुमति
झारखंड में हुए शराब घोटाले के मामले में रायपुर स्थित आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने झारखंड सरकार से आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे और उत्पाद विभाग के गजेंद्र सिंह के खिलाफ जांच की अनुमति मांगी है। ईओडब्ल्यू ने इन अधिकारियों के खिलाफ धारा 17(क) के तहत कार्रवाई करने की अनुमति मांगी है। इस पूरे मामले की जांच रायपुर की आर्थिक अपराध शाखा कर रही है, जिसमें झारखंड के तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय चौबे को भी आरोपी बनाया गया है।
शिकायतकर्ता ने लगाए गंभीर आरोप
यह मामला तब सामने आया जब रांची के अरगोड़ा थाना क्षेत्र निवासी विकास सिंह ने इस घोटाले की शिकायत दर्ज कराई। जांच के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि छत्तीसगढ़ के अधिकारियों ने झारखंड के अधिकारियों के साथ मिलकर एक बड़े घोटाले को अंजाम दिया। इस घोटाले के कारण झारखंड सरकार को अरबों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ।
शराब नीति में बदलाव का खेल
शिकायत में यह भी आरोप लगाया गया कि छत्तीसगढ़ और झारखंड के अधिकारियों के एक सिंडिकेट ने मिलकर झारखंड की आबकारी नीति को बदलवाया, जिससे शराब ठेकों में बड़े पैमाने पर हेरफेर किया गया। इसके अलावा, मैनपावर सप्लाई में भी घोटाले की बात सामने आई है। बताया जा रहा है कि दिसंबर 2021 से जनवरी 2022 के बीच दोनों राज्यों के अधिकारियों के बीच कई गुप्त बैठकें हुई थीं, जिनमें इस पूरे खेल की रूपरेखा तैयार की गई थी।
ईडी के दफ्तर में दर्ज हुए बयान
अप्रैल 2023 में आईएएस अधिकारी विनय चौबे और के. सत्यार्थी ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के रायपुर कार्यालय में अपना बयान दर्ज कराया था। जांच में खुलासा हुआ कि भूपेश बघेल सरकार के दौरान छत्तीसगढ़ के अधिकारियों और व्यापारियों के एक अवैध सिंडिकेट ने मिलकर यह घोटाला किया।
ईडी की रिपोर्ट के अनुसार, 2019 से 2022 के बीच सरकारी शराब दुकानों से अवैध शराब बेची गई। इसके लिए नकली होलोग्राम का इस्तेमाल किया गया, जिससे सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।
होलोग्राम सप्लाई में भी बड़ा खेल
जांच में सामने आया कि जिस कंपनी पर नकली होलोग्राम आपूर्ति करने का आरोप है, वही कंपनी झारखंड में भी होलोग्राम सप्लाई का ठेका ले चुकी थी। यह वही कंपनी थी जिसे छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में फंसने के बाद झारखंड सरकार ने ब्लैकलिस्ट कर दिया था।
झारखंड में लागू हुआ छत्तीसगढ़ मॉडल
गौरतलब है कि झारखंड में मई 2022 से शराब बिक्री का छत्तीसगढ़ मॉडल लागू किया गया था। इस नीति के तहत छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक एपी त्रिपाठी को सलाहकार नियुक्त किया गया था।
शराब की बोतलों पर होलोग्राम लगाने का ठेका प्रिज्म होलोग्राम एंड फिल्म सिक्योरिटी लिमिटेड को मिला था, जबकि मैनपावर सप्लाई का काम मेसर्स सुमित फैसिलिटीज लिमिटेड को सौंपा गया था। यही दोनों कंपनियां छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में भी आरोपी पाई गई हैं।
रायपुर में हुई थी गुप्त बैठक
ईओडब्ल्यू की रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर 2022 में झारखंड की शराब नीति में बदलाव को लेकर रायपुर में एक बैठक हुई थी। यह बैठक कारोबारी अनवर ढेबर के ठिकाने पर हुई थी, जिसमें एपी त्रिपाठी, अनिल टुटेजा, अरविंद सिंह और झारखंड के उत्पाद विभाग के अधिकारी शामिल हुए थे। इस बैठक का उद्देश्य झारखंड की नई शराब नीति में सुमित कंपनी को अधिक लाभ दिलाना था।
इस साजिश के कारण झारखंड सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ। दिलचस्प बात यह है कि यही कंपनी छत्तीसगढ़ में भी शराब ठेकों का संचालन कर रही थी।
अब क्या होगा अगला कदम?
ईओडब्ल्यू ने झारखंड सरकार से इन अधिकारियों के खिलाफ जांच की अनुमति मांगी है। अगर अनुमति मिलती है, तो इस घोटाले में शामिल अन्य अधिकारियों और व्यापारियों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई हो सकती है।
झारखंड में छत्तीसगढ़ मॉडल को लागू करने से लेकर, होलोग्राम घोटाले और मैनपावर सप्लाई में हेरफेर तक—हर स्तर पर इस घोटाले की परतें खुलती जा रही हैं। अब देखना होगा कि सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है और दोषियों पर कब तक कार्रवाई होती है।
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