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कुरुद राजनीति: नगर पंचायत की सत्ता पर कौन करेगा कब्जा? कांग्रेस की गुटबाजी बन सकती है हार का कारण!

कुरुद , 10 फरवरी Nagriya Nikay Chunav 2025: छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव के लिए वोटिंग कल यानी मंगलवार को होने वाली है। ऐसे में चुनावी माहौल गरमाया हुआ है और प्रत्याशी अपनी पूरी ताकत झोंकने में जुटे हुए हैं। बात करें कुरुद नगर पंचायत की, तो यहां का चुनाव मुकाबले की वजह से बहुत दिलचस्प हो गया है। जहां एक ओर बीजेपी के उम्मीदवार उत्साहित हैं, वहीं कांग्रेस की गुटबाजी ने स्थिति को थोड़ी मुश्किल बना दिया है।

कांग्रेस की गुटबाजी: बढ़ती चुनौती

मतदान में अब महज 12 घंटे से भी कम का वक्त रह गया है और सभी प्रत्याशी एक-दूसरे को पछाड़ने के लिए आखिरी पल में जनसंपर्क में जुटे हैं। शुरुआत में कुरुद नगर पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में बीजेपी की ज्योति भानु चंद्राकर और कांग्रेस के तपन चंद्राकर के बीच कड़ा मुकाबला था। लेकिन जैसे-जैसे मतदान का दिन नजदीक आया, कांग्रेस पार्टी अपने ही गुटों के बीच बंटी नजर आई। इसका सीधा असर चुनावी स्थिति पर पड़ा और मुकाबला अब “एकजुटता बनाम गुटबाजी” बन गया है।

कांग्रेस पार्टी ने अपने उम्मीदवार को चुनावी मैदान में तो उतार दिया, लेकिन गुटबाजी के चलते पार्टी को एकजुट करने में नाकाम रही। नतीजतन, कांग्रेस के प्रत्याशी तपन चंद्राकर के सामने पार्टी के ही बागी उम्मीदवार खड़े हो गए हैं, जो उन्हें जीतने में बड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं।

बीजेपी का प्रचार और जनसंपर्क: कांग्रेस से कहीं आगे

चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी ने रणनीति के तहत तेज प्रचार अभियान चलाया। जहां एक ओर बीजेपी ने बड़े पैमाने पर जनसंपर्क किया और आमसभाओं का आयोजन किया, वहीं कांग्रेस इस मोर्चे पर पीछे नजर आई। कांग्रेस को बड़ी सभा करने में मुश्किल आई और एक सभा तो निर्वाचन आयोग द्वारा आचार संहिता उल्लंघन के कारण बीच में ही रोक दी गई। इसके बावजूद, बीजेपी ने सक्रियता दिखाते हुए कांग्रेस से कहीं आगे प्रचार अभियान चलाया।

अजय चंद्राकर के नेतृत्व में चुनाव

इस चुनाव में बीजेपी के लिए एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि कुरुद से पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर के नेतृत्व में बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंकी है। वहीं, कांग्रेस की तरफ से तपन चंद्राकर के साथ कोई बड़ा नेता नहीं नजर आया, जो स्थिति को कांग्रेस के पक्ष में पलट सके। कांग्रेस के चुनावी प्रबंधन में भूतपूर्व विधायक लेखराम साहू और कांग्रेस नेता प्रभातराव मेघावाले की भूमिका महत्वपूर्ण है, लेकिन उनकी मौजूदगी भी बीजेपी के मुकाबले उतनी प्रभावी नहीं रही।

कुरुद की जागरूक जनता का फैसला तय करेगा सत्ता

कुरुद की जनता अब दोनों दलों के कार्यकाल को बेहद करीब से देख चुकी है। अब यह जनता तय करेगी कि किस पार्टी का प्रत्याशी उन्हें सत्ता सौंपने के लिए उपयुक्त है। ये फैसला मतदान के माध्यम से EVM में दर्ज होगा, और यही होगा कुरुद नगर पंचायत की राजनीति का असली परिणाम। कुल मिलाकर, कुरुद में यह चुनाव न सिर्फ एक राजनीतिक दंगल ही नहीं नगर के विकास के लिए बहुत अहम है। कांग्रेस की गुटबाजी और बीजेपी के मजबूत प्रचार के बीच एक रोमांचक मुकाबला बन चुका है। अब देखना यह होगा कि ये चुनावी घमासान किसके पक्ष में जाकर खत्म होता है।

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