Misa Kanoon CG: छत्तीसगढ़ में लागू होगा मीसाबंदी कानून, सरकार ने तैयार किया विधेयक

Misa Kanoon CG: छत्तीसगढ़ में जल्द ही मीसाबंदी कानून लागू होने जा रहा है। राज्य की विष्णुदेव साय सरकार ने इसके लिए छत्तीसगढ़ लोकतंत्र सेनानी सम्मान विधेयक तैयार कर लिया है। इस विधेयक को पहले ही कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है और अब इसे विधानसभा में पेश कर पारित करने की तैयारी है।
मीसाबंदी कानून लागू होने के बाद राज्य के मीसाबंदियों को मिलने वाली सुविधाओं को स्थायी रूप दे दिया जाएगा। सबसे बड़ी बात यह है कि एक बार यह कानून बन जाने के बाद, सरकार बदलने पर भी इसे समाप्त नहीं किया जा सकेगा।
क्या है मीसाबंदी कानून और क्यों पड़ा इसकी जरूरत?
what is misabandi law: 25 जून 1975 की आधी रात देशभर में आपातकाल लागू कर दिया गया था। इस दौरान संविधान द्वारा दिए गए नागरिक अधिकार निलंबित कर दिए गए थे और बंदी प्रत्यक्षीकरण कानून समाप्त कर दिया गया था। इसका मतलब था कि गिरफ्तार व्यक्ति को 24 घंटे के भीतर अदालत में पेश करने का नियम भी खत्म हो गया।
इस दौरान कांग्रेस सरकार ने मीसा (मेंटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट) कानून के तहत एक लाख से अधिक सत्ता विरोधियों को जेल में डाल दिया था। छत्तीसगढ़ में भी इसी कानून के तहत कई लोगों को बिना मुकदमे और अपील के जेल में डाल दिया गया। इन्हीं बंदियों को मीसाबंदी कहा जाता है।
एमपी की तर्ज पर बनेगा छत्तीसगढ़ का कानून
सूत्रों के अनुसार, छत्तीसगढ़ में बनने वाला मीसाबंदी कानून मध्य प्रदेश (MP) की तर्ज पर होगा। एमपी में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2008 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि नियम बनाया था। इस नियम के तहत मीसाबंदियों को सम्मान निधि दी जाती थी।
बाद में 2016 में शिवराज सरकार ने इसे संशोधित कर मीसाबंदियों को लोकतंत्र सेनानी का दर्जा दिया। अब छत्तीसगढ़ सरकार भी इसी मॉडल को अपनाने जा रही है।
सरकार बदलने पर भी नहीं बदलेगा कानून
इस कानून के लागू होने के बाद कोई भी सरकार इसे रद्द नहीं कर सकेगी। लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सच्चिदानंद उपासने ने बताया कि संगठन की ओर से सरकार को एमपी मॉडल का प्रस्ताव दिया गया था। यह कानून लंबे समय से लंबित था, लेकिन अब सरकार इस दिशा में सकारात्मक कदम उठा रही है।
कांग्रेस सरकार ने रोक दी थी सम्मान निधि
रमन सरकार के कार्यकाल में राज्य के मीसाबंदियों को सम्मान निधि दी जाती थी। लेकिन 2018 में कांग्रेस सरकार के सत्ता में आते ही इसे बंद कर दिया गया।
बाद में यह मामला हाईकोर्ट पहुंचा, जहां अदालत ने कांग्रेस सरकार के फैसले को पलट दिया और सम्मान निधि फिर से बहाल कर दी गई। एमपी में भी 2018 में जब कमलनाथ सरकार आई तो उसने मीसा बंदियों की सम्मान निधि पर रोक लगा दी थी। लेकिन जब मामला कोर्ट में गया, तो वहां भी सरकार को अपना फैसला बदलना पड़ा था।
अब छत्तीसगढ़ में मीसाबंदी कानून बनते ही यह विवाद खत्म हो जाएगा और इसे किसी भी राजनीतिक बदलाव से प्रभावित नहीं किया जा सकेगा।
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