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Mukesh Chandrakar: कौन थे मुकेश चंद्राकर? बस्तर का वो पत्रकार जिसने नक्सलियों के चंगुल से बचाए थे CRPF के जवान

छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में 28 वर्षीय पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या ने पूरे राज्य को गम और गुस्से से भर दिया है। उनका शव एक ठेकेदार की संपत्ति पर बने सेप्टिक टैंक से बरामद हुआ। शुरुआती जांच में पता चला है कि टैंक को हाल ही में कंक्रीट से बंद किया गया था, जिससे हत्या का संदेह गहरा हो गया है।

मुकेश ने हाल ही में एक सड़क निर्माण परियोजना में भ्रष्टाचार को उजागर किया था। इसके बाद से उन्हें लगातार धमकियां मिल रही थीं। पुलिस अब इस पहलू की भी जांच कर रही है कि क्या उनकी रिपोर्टिंग ही उनकी हत्या का कारण बनी।

मुकेश 2021 में उस समय सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने माओवादियों द्वारा अगवा किए गए सीआरपीएफ जवानों की रिहाई में अहम भूमिका निभाई थी। उनकी इस बहादुरी की राज्य पुलिस ने जमकर सराहना की थी। मुकेश अपने क्षेत्र के सबसे समर्पित और निडर पत्रकारों में से एक थे।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उनकी हत्या पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा, “मुकेश चंद्राकर की हत्या पत्रकारिता और समाज के लिए अपूरणीय क्षति है। दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर सख्त सजा दी जाएगी।”

मुकेश का एक यूट्यूब चैनल भी था, जहां वे बस्तर के आदिवासी मुद्दों, नक्सल हमलों और भ्रष्टाचार जैसे विषयों को उठाते थे। उनके चैनल पर 1.59 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर थे।

उनकी हत्या से पत्रकारिता जगत में शोक की लहर है। बस्तर के पत्रकारों ने इस घटना की निंदा करते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। एक स्थानीय संपादक ने कहा, “मुकेश का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। पारदर्शिता और न्याय के लिए उनकी लड़ाई को हम जारी रखेंगे।”

मुकेश चंद्राकर की कहानी हमें याद दिलाती है कि सच्चाई के लिए लड़ने वाले लोग कभी हारते नहीं। उनकी पत्रकारिता हमेशा एक प्रेरणा बनी रहेगी।

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