बीजापुर – छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में, जहां नक्सली गतिविधियां लंबे समय से चुनौती बनी हुई हैं, अब नशे का काला कारोबार तेजी से पैर पसार रहा है। हाल ही में पुलिस की कार्रवाई के दौरान ऐसे चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं, जो न केवल जिले बल्कि पूरे प्रदेश के लिए चिंता का विषय हैं।
पुलिस की कार्रवाई में मिले प्रतिबंधित कैप्सूल
बीजापुर पुलिस ने बीते तीन महीनों में कोतवाली थाना क्षेत्र के अंदर कई छापेमारी की। इन छापों में गांजा और प्रतिबंधित दवाएं जैसे स्पास्मो और अल्परजोलम कैप्सूल बरामद हुए। चौंकाने वाली बात यह है कि इन कैप्सूल्स पर “नॉट फॉर सेल” लिखा होने के बावजूद इन्हें खुलेआम बेचा जा रहा है।
टीआई दुर्गेश शर्मा ने बताया कि इन दवाओं और नशीली चीजों की सप्लाई पहले तेलंगाना से होती थी, लेकिन बॉर्डर पर सख्ती के बाद अब इन्हें ओडिशा और राजस्थान जैसे सीमावर्ती इलाकों से तस्करी कर लाया जा रहा है।
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नशे की तस्करी के नए रास्ते
जांच में पता चला है कि ये नशीली चीजें ओडिशा के जयपुर से होकर पहले बस्तर और फिर बीजापुर पहुंचती हैं। इन्हें बस, टैक्सी और कुरियर पार्सल के जरिए जिले में भेजा जा रहा है। पुलिस ने इस नेटवर्क को पकड़ने के लिए व्यापक कार्रवाई की योजना बनाई है।
नक्सलवाद और नशा: दोहरी चुनौती
बीजापुर, जो पहले से ही नक्सलवाद की समस्या से जूझ रहा है, अब नशे के बढ़ते कारोबार के कारण और भी संवेदनशील बन गया है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि छोटी-मोटी कार्रवाइयों से इस समस्या का समाधान नहीं होगा। पूरे रैकेट को खत्म करने के लिए बड़ी और सटीक रणनीति की जरूरत है।
युवाओं पर बढ़ता नशे का प्रभाव
जिले में युवाओं के बीच नशीली दवाओं और गांजे की लत तेजी से बढ़ रही है। नक्सल प्रभावित इलाकों में यह समस्या पुलिस और प्रशासन के लिए एक नई चुनौती बन गई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि नशे की लत के कारण जिले के युवा न केवल अपने भविष्य को बर्बाद कर रहे हैं, बल्कि यह सामाजिक ताना-बाना भी प्रभावित कर रहा है। प्रशासन को चाहिए कि इस समस्या पर तुरंत कठोर कदम उठाए।
पुलिस की रणनीति और आगे की कार्रवाई
पुलिस ने अब सीमावर्ती राज्यों से आने वाले वाहनों और पार्सल पर विशेष निगरानी शुरू कर दी है। इसके साथ ही, स्थानीय स्तर पर जागरूकता अभियान चलाने की भी योजना है, ताकि युवाओं को नशे के दुष्प्रभावों के प्रति सचेत किया जा सके।
बीजापुर में नक्सलवाद और नशे के बढ़ते कारोबार को रोकना न केवल पुलिस के लिए, बल्कि समाज और प्रशासन के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन चुका है।
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