Naxalites Safe Zone Kulhadighat: गरियाबंद का कुल्हाड़ी घाट: पूर्व पीएम राजीव गांधी ने गोद लिया था गांव, और आज बन गया नक्सलियों का सेफ जोन?
Naxalites Safe Zone Kulhadighat: छत्तीसगढ़ का कुल्हाड़ीघाट गांव को प्रधानमंत्री रहते हुए राजीव गांधी ने गोद लिया था, आज वो गांव नक्सलियों का सेफ जोन बन गया है. एक करोड़ रुपए के इनामी सहित नक्सलियों के कमांडर्स का यहां डेरा होता था.आइए जानते हैं ये इलाका आखिर नक्सलियों का सेफ जोन कैसे बन गया?
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले स्थित कुल्हाड़ी घाट गांव एक समय प्रधानमंत्री राजीव गांधी के दत्तक गांव के रूप में चर्चित था। आज यह वही इलाका नक्सलियों के लिए एक सुरक्षित ठिकाना बन चुका है। प्रधानमंत्री रहते हुए राजीव गांधी ने इस गांव को 1985 में गोद लिया था और यहां अपनी पत्नी सोनिया गांधी के साथ एक रात बिताई थी। तब से यह गांव विशेष चर्चा में था, लेकिन अब इसे नक्सलियों के साथ जुड़ी गतिविधियों के कारण फिर से सुर्खियों में लाया जा रहा है।
कुल्हाड़ी घाट का ऐतिहासिक महत्व
कुल्हाड़ी घाट गांव प्राकृतिक सौंदर्यता, घने जंगलों और खूबसूरत पहाड़ों से घिरा हुआ है। यह गांव ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि 14 जुलाई 1985 को प्रधानमंत्री राजीव गांधी अपनी पत्नी सोनिया गांधी के साथ यहां पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने गांव को गोद लिया था, और आज भी ग्राम पंचायत क्षेत्र में राजीव गांधी की एक प्रतिमा स्थापित है। हालांकि, अब 39 साल बाद, यह गांव नक्सलियों के खिलाफ चल रहे ऑपरेशन के कारण एक बार फिर से चर्चा में है।
नक्सलियों का सेफ जोन कैसे बना कुल्हाड़ी घाट?
कुल्हाड़ी घाट और इसके आसपास का इलाका नक्सलियों के लिए एक सुरक्षित इलाका बन गया है, इसका कारण कई हैं। छत्तीसगढ़-ओडिशा सीमा पर स्थित यह गांव नक्सलियों के लिए एक आराम करने की जगह बन चुका था। जानकारों के मुताबिक, इस इलाके में नक्सलियों ने जानबूझकर बड़े हमले या वारदातों को अंजाम नहीं दिया, ताकि सुरक्षा बल यहां ऑपरेशन न चला सकें। इसी कारण यह इलाका नक्सलियों का रेस्ट जोन बन गया था।
इसके अलावा, ओडिशा के नुआपाड़ क्षेत्र से लगे इस गांव के घने जंगल और पहाड़ी इलाकों का फायदा नक्सलियों ने उठाया। यह इलाका सुरक्षाबलों के लिए एक चुनौती बन गया, क्योंकि यहां की जंगली और पहाड़ी जमीन पर कार्रवाई करना कठिन था। इस इलाके का रणनीतिक महत्व भी नक्सलियों के लिए बढ़ता गया।
चलपति की सक्रियता और सुरक्षा बलों की बड़ी कार्रवाई
नक्सली नेता चलपति, जो अबूझमाड़ इलाके में लंबे समय से सक्रिय था, इस इलाके में नक्सल गतिविधियों को संचालित कर रहा था। जानकारी के मुताबिक, चलपति नए नक्सली कैडरों को लड़ाई की ट्रेनिंग देने में माहिर था और बस्तर में सुरक्षा बलों के दबाव के बाद उसे ओडिशा भेजा गया था।
हाल ही में, सुरक्षा बलों ने पुख्ता जानकारी मिलने के बाद इस इलाके में ऑपरेशन शुरू किया और 19 जनवरी 2025 को यह अभियान लांच किया गया। इस ऑपरेशन में कई नक्सलियों के मारे जाने की खबरें सामने आईं, जिनमें नक्सली कमांडर चलपति का नाम भी शामिल है। 21 जनवरी तक 14 नक्सलियों के शव और भारी मात्रा में हथियार बरामद किए गए थे। दावा किया जा रहा है कि अब तक 27 नक्सलियों को मुठभेड़ में मार गिराया जा चुका है।
नक्सलियों का सफाया, लेकिन चुनौतियां बनी रहती हैं
सुरक्षा बलों की इस सफलता को महत्वपूर्ण माना जा रहा है, लेकिन यह दिखाता है कि नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई अभी भी जारी है। कुल्हाड़ी घाट और इसके आसपास के इलाकों में नक्सली गतिविधियों की समाप्ति के लिए सरकार और सुरक्षा बलों को लगातार प्रयास करने होंगे।
राजीव गांधी के गोद लिए गांव से नक्सलियों के सफाये तक का यह सफर कई सवालों को जन्म देता है, और यह भी स्पष्ट करता है कि सुरक्षा बलों के प्रयासों के बावजूद नक्सलियों की मौजूदगी अभी भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
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