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Voter ID Linking: अब पैन कार्ड की तरह वोटर आईडी भी होगा आधार से लिंक: जानिए क्यों जरूरी है आधार और वोटर आईडी का लिंक?

Voter ID Linking: भारत में चुनावी पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए अब वोटर आईडी को आधार कार्ड से जोड़ने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। चुनाव आयोग इस दिशा में गंभीरता से काम कर रहा है और 18 मार्च को इस मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित होने जा रही है। बैठक में गृह मंत्रालय, कानून मंत्रालय और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के अधिकारी शामिल होंगे।

फर्जी और डुप्लीकेट वोटर्स की पहचान

चुनाव आयोग का यह कदम फर्जी और डुप्लीकेट वोटर्स की पहचान करने के उद्देश्य से उठाया गया है। यदि वोटर आईडी और आधार कार्ड को लिंक किया जाता है, तो इससे वोटर लिस्ट को साफ-सुथरा किया जा सकेगा और चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए गृह सचिव और विधायी विभाग के सचिव के साथ बैठक बुलाई है। तृणमूल कांग्रेस ने कुछ राज्यों में मतदाताओं के डुप्लीकेट एपिक नंबर का मामला उठाया है, जबकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी लोकसभा में इस पर अपनी चिंता व्यक्त की थी।

क्यों जरूरी है आधार और वोटर आईडी का लिंक?

आधार कार्ड को वोटर आईडी से जोड़ने के कई फायदे हो सकते हैं। सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि इससे फर्जी वोटिंग रुक सकेगी। एक व्यक्ति के एक से ज्यादा जगह पर वोट डालने की संभावना भी कम हो जाएगी। इसके अलावा, चुनाव आयोग का मानना है कि इससे वोटर लिस्ट में एक ही व्यक्ति के नाम के कई बार होने की समस्या भी हल हो सकती है।

डुप्लीकेट वोटर फोटो पहचान पत्र पर विवाद

चुनाव आयोग ने 2021 में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में संशोधन किया था, जिसके बाद आधार को वोटर फोटो पहचान पत्र (EPIC) से जोड़ने की अनुमति मिली थी। हालांकि, अब तक दोनों डेटाबेस को लिंक नहीं किया गया है। चुनाव आयोग के अधिकारियों का कहना है कि इस प्रक्रिया को स्वैच्छिक रूप से लागू किया गया था, लेकिन अब इसे अनिवार्य बनाने की योजना है।

आधार से लिंकिंग से पारदर्शिता में होगी बढ़ोतरी

इस प्रक्रिया से चुनावी पारदर्शिता बढ़ेगी और यह सुनिश्चित होगा कि कोई भी व्यक्ति दो या उससे अधिक स्थानों पर वोट न डाले। इसके साथ ही, चुनाव आयोग ने आश्वासन दिया है कि अगले तीन महीनों में इस मुद्दे पर कार्रवाई की जाएगी।

आगे की दिशा

18 मार्च को होने वाली बैठक में चुनाव आयोग के अधिकारी और अन्य संबंधित पक्ष इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा करेंगे। यह कदम भारतीय चुनावी प्रणाली को और अधिक पारदर्शी बनाने के प्रयासों का हिस्सा है, जिससे चुनाव प्रक्रिया में धोखाधड़ी और अनियमितताओं को कम किया जा सकेगा।

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