बीजापुर:
पत्रकार मुकेश चंद्राकर की मौत के बाद उनकी अस्थियों के साथ भी छेड़छाड़ कर इंसानियत को शर्मसार किया गया। मुक्तिधाम में जहां उनकी अस्थियां रखी गई थीं, वहां से लगभग 50 मीटर दूर उनका कलश टूटा हुआ पाया गया। इस घटना ने बस्तर के पत्रकारों और उनके परिजनों में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है।
4 जनवरी को मुक्तिधाम में मुकेश चंद्राकर का अंतिम संस्कार किया गया था। उनकी अस्थियों को मिट्टी के कलश में रखकर एक पेड़ पर टांगा गया था। 13 जनवरी को जब परिजन अस्थियां विसर्जन के लिए पहुंचे, तो वह कलश गायब मिला। खोजने पर टूटा हुआ कलश और अस्थियां जमीन पर बिखरी पाईं।
पुलिस की प्रतिक्रिया
बीजापुर एसपी जितेंद्र यादव ने बताया कि मामले की जांच के लिए टीम बनाई गई है। सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
भ्रष्टाचार का पर्दाफाश बना जानलेवा
मुकेश चंद्राकर ने बीजापुर के ठेकेदार सुरेश चंद्राकर द्वारा किए गए सड़क निर्माण घोटाले का पर्दाफाश किया था। 1 जनवरी को उनकी बेरहमी से हत्या कर दी गई और शव को सेप्टिक टैंक में फेंक दिया गया।
भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के विकास कार्यों के लिए केंद्र सरकार से आने वाला फंड भ्रष्ट ठेकेदारों, अफसरों और नेताओं की मिलीभगत का शिकार हो रहा है। मिरतुर–गंगालूर, दोरनापाल–जगरगुंडा और बारसूर–पल्ली मार्ग जैसी सड़कों की खराब गुणवत्ता इसका बड़ा उदाहरण हैं।
पत्रकार सुरक्षा कानून अब तक कागजों पर
छत्तीसगढ़ सरकार ने पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कानून लागू करने का वादा किया था, लेकिन यह अब तक कागजों तक ही सीमित है। नए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इसे लागू करने का आश्वासन दिया है, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
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