रायपुर दक्षिण सीट पर चुनाव की ताजा स्थिति
रायपुर दक्षिण विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी ने अपने प्रत्याशी के रूप में पूर्व सांसद सुनील सोनी को उतारा है। वहीं, कांग्रेस की ओर से अभी तक प्रत्याशी की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, हालांकि पूर्व महापौर प्रमोद दुबे ने नामांकन फॉर्म खरीद लिया है। इस उपचुनाव का मतदान 13 नवंबर को और मतगणना 23 नवंबर को होगी। इसलिए, यह चुनाव, बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला साबित हो सकता है, जिसमें दोनों दलों की साख दांव पर लगी है।
केंद्रीय चुनाव आयोग की घोषणा
केंद्रीय चुनाव आयोग ने 15 अक्टूबर 2024 को रायपुर दक्षिण विधानसभा के उपचुनाव की घोषणा की थी। यह सीट बीजेपी विधायक बृजमोहन अग्रवाल के सांसद बनने के बाद खाली हुई थी। इसीलिए, अब इस सीट पर दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच जोरदार टक्कर की उम्मीद है।
बीजेपी का दांव: सुनील सोनी
बीजेपी ने पूर्व सांसद सुनील सोनी को अपना उम्मीदवार बनाया है। सुनील सोनी का राजनीतिक अनुभव और जनता में उनकी लोकप्रियता बीजेपी के लिए अहम साबित हो सकती है। इस प्रकार, वह रायपुर की जनता के बीच अपनी मजबूत छवि के लिए जाने जाते हैं।
कांग्रेस की तैयारी
कांग्रेस ने अभी तक अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है, लेकिन वरिष्ठ नेता और पूर्व महापौर प्रमोद दुबे ने नामांकन फॉर्म खरीद लिया है। प्रमोद दुबे, जो वर्तमान में रायपुर नगर निगम में सभापति हैं, ने कहा है कि यदि पार्टी मौका देती है, तो वह नामांकन दाखिल करेंगे।
नामांकन प्रक्रिया और आंकड़े
पहले दिन 8 नामांकन फॉर्म खरीदे गए
रायपुर दक्षिण उपचुनाव के लिए 18 अक्टूबर 2024 को पहले दिन ही 8 नामांकन आवेदन खरीदे गए। विभिन्न पार्टियों और निर्दलीय उम्मीदवारों ने चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर ली है। इसके अलावा, लोकजन शक्ति पार्टी, सुंदर समाज पार्टी, राइट टू रिकॉल पार्टी जैसे दलों ने भी अपनी दावेदारी पेश की है, साथ ही कुछ निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में हैं।
प्रमुख उम्मीदवारों की सूची
- बीजेपी: सुनील सोनी
- कांग्रेस: (अब तक घोषित नहीं)
- लोकजन शक्ति पार्टी: जया राव
- सुंदर समाज पार्टी: रामकुमार अजगल्ले
- निर्दलीय: राधेश्वर गायकवाड़
- राइट टू रिकॉल पार्टी: चंपालाल
- धूं-सेना: नीरज सैनी
- समाजवादी पार्टी: मनीष श्रीवास्तव
नामांकन की अंतिम तिथि
उम्मीदवारों के लिए नामांकन आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 25 अक्टूबर 2024 है, और 30 अक्टूबर 2024 तक उम्मीदवारी वापस ली जा सकती है। इसलिए, यह समय सीमा उम्मीदवारों के लिए काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि हर पार्टी अपनी अंतिम रणनीति बना रही है।
चुनावी मुद्दे और रणनीतियां
बीजेपी की रणनीति
बीजेपी इस बार अपनी एंटी-इंकम्बेंसी को पीछे छोड़ते हुए जनता को विकास के मुद्दे पर केंद्रित करने की कोशिश कर रही है। बृजमोहन अग्रवाल के सांसद बनने के बाद खाली हुई सीट को फिर से अपने कब्जे में लाना बीजेपी की प्राथमिकता है। इसलिए, सुनील सोनी की उम्मीदवारी के साथ बीजेपी विकास के एजेंडे को प्रमुख बना रही है।
कांग्रेस की रणनीति
कांग्रेस इस बार जनता को बीजेपी के खिलाफ एकजुट करने का प्रयास कर रही है। प्रमोद दुबे के चुनाव लड़ने की संभावनाओं के साथ, कांग्रेस का मुख्य फोकस भाजपा सरकार की विफलताओं को उजागर करना होगा। इसलिए, रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट पर कांग्रेस को 2018 के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन इस बार कांग्रेस के नेता उम्मीद कर रहे हैं कि वे जनता का विश्वास जीत सकें।
2018 और 2023 के चुनावी परिणामों का विश्लेषण
2018 का चुनाव परिणाम
2018 के विधानसभा चुनाव में रायपुर दक्षिण सीट पर बीजेपी के बृजमोहन अग्रवाल ने कांग्रेस के कन्हैया अग्रवाल को मात्र 17,496 वोटों से हराया था। यह देखते हुए, यह चुनाव बेहद कांटे की टक्कर का था, जहां कांग्रेस ने जीत की उम्मीदें जताई थीं लेकिन अंततः हार गई।
2023 का चुनाव परिणाम
2023 के चुनाव में भी बीजेपी ने अपनी पकड़ बनाए रखी, जहां बृजमोहन अग्रवाल ने कांग्रेस के डॉ. महंत रामसुंदर दास को भारी अंतर से हराया। बृजमोहन अग्रवाल ने इस चुनाव में 67 हजार से अधिक वोटों की लीड बनाई, जो यह दर्शाता है कि रायपुर दक्षिण में बीजेपी की स्थिति मजबूत रही है।
उपचुनाव की चुनौतियां और चुनावी माहौल
उम्मीदवारों की चुनौतियां
रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट पर उपचुनाव में दोनों प्रमुख दलों के सामने कई चुनौतियां हैं। इसलिए, बीजेपी को अपनी एंटी-इंकम्बेंसी से निपटना होगा, वहीं कांग्रेस को जनता के बीच अपनी खोई हुई साख वापस लानी होगी।
चुनावी खर्च और आचार संहिता
केंद्रीय चुनाव आयोग ने उम्मीदवारों के लिए चुनावी खर्च की सीमा 40 लाख रुपए तय की है। साथ ही, 253 मतदान केंद्र बनाए जाएंगे, जहां सुरक्षा के लिए 500 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए जाएंगे। मतदान केंद्रों की सुरक्षा और पारदर्शिता के लिए लाइव वेबकास्टिंग की जाएगी।
निष्कर्ष
रायपुर दक्षिण विधानसभा उपचुनाव 2024 में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों के लिए बड़ी चुनौती है। बीजेपी जहां अपनी एंटी-इंकम्बेंसी से निपटने की कोशिश कर रही है, वहीं कांग्रेस जनता के बीच अपनी साख मजबूत करने की कोशिश में जुटी है। इसलिए, यह उपचुनाव एक दिलचस्प मोड़ पर खड़ा है, जहां हर कदम, हर रणनीति का प्रभाव चुनावी परिणाम पर दिखेगा।