छत्तीसगढ़

जानिए क्या है “राम वन गमन पथ” घोटाला, जिसकी जांच करेगी विधायक अजय चंद्राकर की कमेटी

Ram Van Gaman Path Ghotala: छत्तीसगढ़ में तत्कालीन भूपेश बघेल सरकार द्वारा शुरू की गई राम वन गमन पथ योजना पर भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद अब इस पर जांच की प्रक्रिया तेज हो गई है। इस परियोजना का उद्देश्य प्रदेश में भगवान राम के वनवास के दौरान उनके द्वारा तय किए गए मार्गों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना था। इस योजना के तहत 75 स्थानों को चिन्हित किया गया था, जिनमें से कुछ स्थानों पर निर्माण कार्य पूरा हो चुका था। योजना के तहत137 करोड़ 45 लाख रूपए की लागत का एक कॉन्सेप्ट प्लान तैयार किया गया था, जिसमें से लगभग 30 करोड़ रुपये केवल कार्यक्रमों के आयोजन पर खर्च कर दिया गया।

जानिए, क्या है राम वन गमन पथ योजना

राम वन गमन पथ योजना का उद्देश्य छत्तीसगढ़ राज्य को भगवान राम से जुड़ी ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों के रूप में पहचान दिलाना था। तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस योजना को शुरू करते हुए दावा किया कि छत्तीसगढ़ प्राचीन धर्म ग्रंथों में कौशल प्रदेश के रूप में वर्णित है, और यह भगवान राम का ननिहाल भी है। योजना के तहत राम के वनवास के दौरान छत्तीसगढ़ के जिन इलाकों से उनका यात्रा मार्ग गुजरता था, उन्हें चिन्हित किया गया था।

कांग्रेस सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप

राम वन गमन पथ योजना के तहत कई विवाद उठने शुरू हो गए हैं। भाजपा नेताओं का आरोप है कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इस योजना के जरिए केवल राजनीतिक फायदे की कोशिश की है। मूर्ति घोटाले का मामला सामने आया है, जिसमें लाखों रुपये की लागत से बनाई गई मूर्ति राम से बिल्कुल मेल नहीं खाती। इसके साथ ही पथ में सड़क किनारे कितने पेड़ लगाए जाने चाहिए और कितने लगाए गए हैं, इसका सही आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। योजना में शामिल स्थानों के चयन को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। विशेष रूप से, चंद्रखुरी और चंपारण जैसे स्थानों को राम वन गमन पथ में शामिल किए जाने पर भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने आपत्ति जताई। उनका कहना था कि इन स्थानों पर भगवान राम कभी नहीं गए, फिर इन्हें योजना में क्यों जोड़ा गया।

राम वन गमन पथ में घोटाला और अनियमितताएँ

विधानसभा में इस मुद्दे को लेकर गर्म बहस हुई थी। भाजपा ने आरोप लगाया कि योजना के तहत निर्माण कार्यों में भारी अनियमितताएँ हुईं, जिनमें से कुछ एजेंसियों को भुगतान पहले ही कर दिया गया था, जबकि निर्माण कार्य की गुणवत्ता का निरीक्षण नहीं किया गया। भाजपा का कहना है कि जिन कंपनियों को काम सौंपा गया था, वे कांग्रेस नेताओं के करीबियों से ताल्लुक रखती थीं और इन कंपनियों ने पेटी कांट्रैक्ट के जरिए काम कराया, जिससे गुणवत्ता प्रभावित हुई।

मूर्ति घोटाला: आरोप और विवाद

Ram Van Gaman Path Scam: राम वन गमन पथ योजना के तहत विभिन्न स्थानों पर भगवान राम की मूर्तियों का निर्माण कराया गया था। इन मूर्तियों को लेकर भाजपा नेताओं ने आरोप लगाए कि इन्हें विकृत तरीके से तैयार किया गया है। विशेष रूप से चंद्रखुरी और शिवरीनारायण में बनाई गई मूर्तियों के बारे में कहा गया कि ये भगवान राम जैसी नहीं दिखतीं। इन मूर्तियों की कीमत भी अलग-अलग बताई गई है, जिससे और भी सवाल उठे हैं।

किस एजेंसी को मिला राम वन गमन पथ का मूर्ति निर्माण कार्य

राम वन गमन पथ के तहत भगवान राम और उनकी माता कौशल्या की मूर्तियों का निर्माण भोपाल के रातीबड़ में किया गया। मूर्तियों का निर्माण प्रसिद्ध मूर्तिकार प्रमोद गायकवाड़ और पंकज सरोज की टीम ने किया। इनमें से श्रीराम की मूर्ति 25 फीट ऊंची, जबकि माता कौशल्या की मूर्ति 15 फीट ऊंची थी। इन मूर्तियों का निर्माण ग्वालियर के विशेष सैंडस्टोन पत्थर से किया , और इसकी लागत लगभग 70 लाख रुपये बताई गई थी।

मूर्तिकार और ठेकेदार के बीच पैसों का विवाद

मूर्तिकार दीपक विश्वकर्मा ने आरोप लगाया था कि उन्हें मूर्तियों के निर्माण का ठेका 70 लाख रुपये में मिला था, लेकिन अब तक केवल 25 लाख रुपये का भुगतान किया गया था। शेष राशि का भुगतान नहीं किया गया था, जिसके कारण मूर्ति निर्माण कार्य रुक गया था। दीपक का कहना है कि वे लगातार ठेकेदार से शेष राशि की मांग कर रहे थे, लेकिन ठेकेदार उनका फोन रिसीव नहीं कर रहे और व्हाट्सएप पर भी जवाब नहीं दे रहे थे। इस वजह से मूर्तियों का निर्माण कार्य लगभग 70% तक हो चुका था, लेकिन शेष काम रुकने के कारण अब मूर्तियों की समय पर स्थापना पर सवाल उठने लगे थे।

डेढ़ लाख से अधिक पौधो का वृक्षारोपण का भी दावा

राम वन गमन पथ पर हरियाली बढ़ाने और सौंदर्य को बढ़ावा देने के लिए करीब डेढ़ लाख से अधिक पौधे लगाए जाने का भी दावा किया गया। इस कार्य के तहत प्रमुख वृक्षों की किस्मों का चयन किया गया था, जिसमे पीपल, बरगद और नीम शामिल थे।इस पर भी जाँच होने की संभावना है।

विधायक अजय चंद्राकर ने कांग्रेस पर लगाए थे इतिहास से छेड़छाड़ का आरोप

Ram Van Gaman Path Scam Investigation Committee: पूर्व मंत्री एवं वर्तमान कुरुद विधायक अजय चंद्राकर ने राम वन गमन पथ के निर्माण को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राजनीतिक लाभ के लिए इतिहास को फिर से लिखने की कोशिश कर रहे हैं। चंद्राकर का कहना है कि राम वन गमन पथ में जिन स्थानों को शामिल किया गया है, उनका उल्लेख पहले कभी किसी ऐतिहासिक शोध में नहीं हुआ। इसके जवाब में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि रमन सिंह और अजय चंद्राकर को इस परियोजना से परेशानी क्यों हो रही है।

नए सिरे से बनेगा चंदखुरी में श्रीराम की मूर्ति

छत्तीसगढ़ के चंदखुरी में स्थापित श्रीराम की मूर्ति को लेकर भी विवाद हुआ था। अब विष्णुदेव साय सरकार ने यह फैसला लिया है कि चंदखुरी में एक नई मूर्ति बनाई जाएगी, जो भगवान राम के वास्तविक रूप से मेल खाती हो। इस नए मूर्ति के निर्माण के लिए ग्वालियर से पत्थर मंगाए गए हैं और मूर्तिकारों की एक टीम इस कार्य को पूरा कर रही है।

गड़बड़ियों पर साय सरकार की प्रतिक्रिया

सीएम विष्णु देव साय ने भी राम वन गमन पथ परियोजना में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की जांच कराने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस परियोजना के खर्च और निर्माण की प्रक्रिया की पूरी जांच करेगी और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी

अजय चंद्राकर की अध्यक्षता में जांच समिति का गठन

छत्तीसगढ़ विधानसभा में राम वन गमन पथ योजना के तहत हुए खर्च और निर्माण कार्यों की जांच को लेकर भाजपा ने बड़ा कदम उठाया। विधानसभा के दौरान भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने गड़बड़ी का आरोप  लगाते हुए सोशल ऑडिट कराने की मांग की थी। इसके बाद 24 जनवरी 2025 को राज्य सरकार ने जांच समिति का गठन किया है, जिसकी अध्यक्षता अजय चंद्राकर करेंगे। इस समिति में अकलतरा विधायक राधवेंद्र कुमार सिंह, वरिष्ठ इतिहासकार प्रो. एलएस निगम, और अन्य कई विशेषज्ञ शामिल हैं।

अब आगे क्या?

राम वन गमन पथ योजना पर उठे विवादों और आरोपों के बाद राज्य सरकार ने एक गंभीर कदम उठाया है और अजय चंद्राकर की अध्यक्षता में एक जांच समिति का गठन किया है। यह समिति परियोजना में हुए भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की जांच करेगी, ताकि इस परियोजना से जुड़े वास्तविक तथ्यों का खुलासा किया जा सके।

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