Durg Rape Case: दुर्ग कांड पर फूटा शंकराचार्य का गुस्सा: बोले – दुष्टों पर ममता दिखा रही सरकार, तभी नहीं रुक रहे अपराध

रायपुर – Durg Rape Case: छत्तीसगढ़ के दुर्ग में मासूम बच्ची के साथ हुई दरिंदगी पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। रायपुर एयरपोर्ट पर मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि सरकार अपराधियों पर रहम खा रही है, जबकि ऐसे मामलों में निर्दयी रवैया अपनाना ज़रूरी है, ताकि अपराधियों में डर पैदा हो।
“दुष्टों पर ममता क्यों? सरकार को कठोर होना पड़ेगा”
शंकराचार्य ने कहा,
“दुष्ट लोग अपनी दुष्टता से बाज नहीं आ रहे। आम लोगों पर बर्बरता हो रही है। लेकिन सरकार ऐसे लोगों पर ममता क्यों दिखा रही है? जब तक शासन निर्दयी नहीं होगा, तब तक ऐसे अपराध नहीं रुकेंगे।”
उन्होंने साफ कहा कि दया की नीति छोड़िए, अपराधियों पर सख्ती लाइए, तभी समाज में न्याय का भाव पैदा होगा।
नक्सलियों को भी दी खुली चुनौती: “अब छोड़ो बंदूक, आओ मुख्यधारा में”
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों पर बोलते हुए शंकराचार्य ने कहा,
“सालों से गोली चल रही है, लेकिन क्या बदला? न कोई समाधान निकला, न समाज का भला हुआ। ये लड़ाई अब व्यर्थ हो चुकी है। हम अपील करते हैं कि नक्सली हथियार छोड़ें और लोकतंत्र की राह पकड़ें। जंगल में बंदूक लेकर घूमने से कुछ नहीं होगा।”
‘सनातन बोर्ड’ की मांग को बताया अव्यवहारिक
बीते समय में कुछ संगठनों द्वारा ‘सनातन बोर्ड’ की मांग उठाई गई थी, जिस पर शंकराचार्य ने दो टूक कहा –
“सनातन न परंपरा से नकलची है, न सोच में। वक्फ बोर्ड की तरह बोर्ड बनाना कोई समाधान नहीं है। सनातन की अपनी पहचान है, उसे इस तरह सीमित करना ठीक नहीं।”

धीरेंद्र शास्त्री के ‘कट्टर हिंदू गांव’ के विचार पर चुटकी
पंडित धीरेंद्र शास्त्री के ‘कट्टर हिंदू गांव’ बनाने की बात पर भी शंकराचार्य ने सवाल उठाया।
“पहले हिंदू राष्ट्र की बात हो रही थी, अब गांव की। हिंदू गांव तो पहले भी थे, लेकिन अब ‘कट्टर हिंदू’ से उनका आशय क्या है, ये वही स्पष्ट करें।”
उन्होंने कहा कि धर्म का प्रदर्शन करने से ज़्यादा ज़रूरी है उसका सही पालन करना।
बीजेपी को घेरा, बोले – गाय को ‘राज्य माता’ घोषित करने की मांग अनसुनी
शंकराचार्य ने बीजेपी पर धर्म के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा –
“हमने बार-बार कहा कि गाय को ‘राज्य माता’ का दर्जा दिया जाए, कानून बने, लेकिन बीजेपी ने केवल वोट बैंक के लिए धर्म को इस्तेमाल किया है। धार्मिकों का सम्मान नहीं, सिर्फ प्रचार हो रहा है।”
धर्मगुरु का हमला, सियासत पर तीखे सवाल
दुर्ग की घटना हो या नक्सलवाद, सनातन की रक्षा हो या गाय का सम्मान – शंकराचार्य ने हर मुद्दे पर सरकारों की नीतियों को आड़े हाथों लिया। उन्होंने ये भी साफ कर दिया कि धर्म को सिर्फ मंचों पर नहीं, नीति और व्यवहार में भी उतारना पड़ेगा, वरना धर्म और समाज दोनों का संतुलन बिगड़ता रहेगा।