Dhamtari News: धमतरी के नगरी में भाजपा में बगावत की चिंगारी: टिकट विवाद पर उग्र हुए कार्यकर्ता, तोड़फोड़ के बाद 7 नेता पार्टी से निष्कासित

Dhamtari News: छत्तीसगढ़ की राजनीति में धमतरी जिले का नगरी नगर इन दिनों चर्चा में है। वजह है—बीजेपी के भीतर टिकट बंटवारे को लेकर मचा घमासान, जो अब पार्टी कार्यालय की दीवारों तक जा पहुंचा। 30 जनवरी को हुए निकाय चुनाव के बाद असंतुष्ट कार्यकर्ताओं का गुस्सा हिंसक प्रदर्शन और तोड़फोड़ में बदल गया। नतीजा—पार्टी ने सात नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया।
टिकट बंटवारे से भड़के कार्यकर्ता, सड़कों पर उतरा गुस्सा
निकाय चुनाव के नतीजे आने के बाद ही नगरी में बीजेपी कार्यकर्ताओं में असंतोष उबाल मारने लगा था। आरोप था कि टिकट वितरण में पारदर्शिता नहीं बरती गई और जमीनी कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज कर दिया गया। 30 जनवरी के बाद यह नाराजगी प्रदर्शन में बदली, और फिर बीजेपी कार्यालय में तोड़फोड़ व आगजनी तक जा पहुंची।
बीजेपी कार्यालय में मचा बवाल, सार्वजनिक छवि को लगा धक्का
नगरी स्थित भाजपा कार्यालय में प्रदर्शन अचानक हिंसक रूप ले बैठा। कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर तोड़फोड़, आगजनी और नारेबाजी की। इस घटनाक्रम से न सिर्फ पार्टी की सार्वजनिक छवि को नुकसान पहुंचा, बल्कि आंतरिक खींचतान भी जगजाहिर हो गई।

पार्टी की सख्ती: सात नेता निष्कासित
बीजेपी नेतृत्व ने इस घटनाक्रम को गंभीरता से लेते हुए तत्काल अनुशासनात्मक कार्रवाई की। पार्टी ने 7 नेताओं को संगठन से निष्कासित कर दिया है। निष्कासित नेताओं में प्रमुख नाम हैं:
- निखिल साहू (भाजपा युवा मोर्चा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य)
- शैलेंद्र धेनुसेवक
- भोला शर्मा
- गज्जू शर्मा
- रवेंद्र साहू
- संत कोठारी
- सुनील निर्मलकर
पार्टी सूत्रों का कहना है कि इन नेताओं को पहले चेतावनी दी गई थी, लेकिन लगातार अनुशासनहीनता जारी रहने पर यह कड़ा कदम उठाया गया।
जमीनी कार्यकर्ताओं की नाराजगी और नेतृत्व की चुनौती
नगरी की घटना बीजेपी के लिए सिर्फ एक स्थानीय विवाद नहीं, बल्कि संगठन की गहराती अंदरूनी खींचतान का संकेत है। कार्यकर्ता जहां नेतृत्व से संवादहीनता और उपेक्षा की शिकायत कर रहे हैं, वहीं पार्टी नेतृत्व इसे अनुशासन का मुद्दा मानकर सख्ती दिखा रहा है।
पार्टी का संदेश साफ—अनुशासन से समझौता नहीं
बीजेपी ने साफ कर दिया है कि चाहे मामला छोटा हो या बड़ा, अनुशासन सर्वोपरि है। पार्टी ने ये भी जताया है कि संगठन के भीतर कोई भी नेता पार्टी की छवि या अनुशासन से खिलवाड़ नहीं कर सकता, चाहे वह किसी भी पद पर क्यों न हो।
नगरी की घटना बीजेपी के लिए एक चेतावनी है—सिर्फ चुनावी रणनीति नहीं, बल्कि संगठन के भीतर संवाद और पारदर्शिता भी ज़रूरी है। वरना, जो कार्यकर्ता जीत दिलाते हैं, वही हार का कारण भी बन सकते हैं। पार्टी को अब तय करना होगा कि जमीनी कार्यकर्ता की बात सुनी जाए या फिर गुटबाजी की आग में संगठन झुलसता रहे।