प्रधानमंत्री मोदी ने थाईलैंड की प्रधानमंत्री को भेंट दी छत्तीसगढ़ की डोकरा पीतल की ‘मोर नाव’

रायपुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने विदेश दौरे के दौरान हमेशा भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को दुनिया के सामने रखा है। ऐसे ही एक अवसर पर, बैंकॉक में आयोजित BIMSTEC शिखर सम्मेलन के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने थाईलैंड की प्रधानमंत्री पाइतोंग्तार्न शिनवात्रा को एक खास भेंट दी। यह भेंट थी छत्तीसगढ़ की प्राचीन डोकरा पीतल की “मोर नाव”, जो भारतीय हस्तशिल्प की अनूठी मिसाल पेश करती है।
डोकरा पीतल की कला: एक सांस्कृतिक धरोहर
प्रधानमंत्री मोदी ने थाई प्रधानमंत्री शिनवात्रा को जो डोकरा पीतल की ‘मोर नाव’ भेंट दी, वह छत्तीसगढ़ के जनजातीय कारीगरों द्वारा बनाई गई है। इस कलाकृति को बनाने की तकनीक ‘लॉस्ट-वैक्स’ ढलाई है, जो एक प्राचीन और जटिल शिल्प विधि है। मोर के आकार की यह नाव न केवल अपनी सौंदर्यात्मक विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसमें की गई नक्काशी भी अत्यंत आकर्षक है। नाव के ऊपर की गई यह नक्काशी एक शांत आदिवासी नाविक और प्रकृति के बीच सामंजस्य को दर्शाती है, जो डोकरा कला की मूल भावना है।
यह भेंट भारत के सांस्कृतिक धरोहर और छत्तीसगढ़ की अद्भुत कारीगरी को सम्मानित करने का प्रतीक बन गई है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी भेंट के जरिए दुनिया को भारतीय कला और संस्कृति से अवगत कराया और यह साबित किया कि भारतीय हस्तशिल्प में न केवल सौंदर्य है, बल्कि इनमें गहरी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्ता भी समाई हुई है।
प्रधानमंत्री का वैश्विक मंच पर भारत की सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देना
यह भेंट सिर्फ एक कलाकृति नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक मंच पर बढ़ावा देने का भी एक महत्वपूर्ण कदम है। पीएम मोदी हमेशा इस बात पर जोर देते आए हैं कि भारतीय कला और संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मान्यता मिलनी चाहिए, और इस तरह की भेंटों के माध्यम से यह उद्देश्य पूरा हो रहा है। इस विशेष भेंट से भारत और थाईलैंड के बीच सांस्कृतिक संबंधों को भी एक नई दिशा मिली है।
प्रधानमंत्री मोदी का यह कदम यह भी दर्शाता है कि वे भारतीय संस्कृति और कला को सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण मानते हैं और इसे प्रोत्साहित करने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं।
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