छत्तीसगढ़

12 हजार मनरेगा कर्मचारी करेंगे हड़ताल, इन 4 सूत्रीय मांगों को लेकर रायपुर में प्रदर्शन

छत्तीसगढ़ में ग्रामीण विकास की सफलता में मनरेगा कर्मचारियों का अहम योगदान रहा है, लेकिन अब वही कर्मचारी अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। 19 सालों से राज्य के विकास में भागीदार रहे इन कर्मचारियों को न तो सेवा सुरक्षा मिली है और न ही स्थायी नौकरी का दर्जा। अब इन कर्मचारियों के सामने अपनी स्थिरता और भविष्य को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं।

28 मार्च को प्रदेशभर के लगभग 12 हजार मनरेगा कर्मचारी रायपुर में एकत्रित होकर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपेंगे। इस ज्ञापन में कर्मचारियों ने अपनी 4 प्रमुख मांगें रखी हैं, जिनके समाधान के लिए वे हड़ताल पर जा रहे हैं।

नौकरी स्थायी नहीं, वेतन भी समय पर नहीं – कब मिलेगा हक?

प्रदेशभर के मनरेगा कर्मचारी लंबे समय से अपनी सेवा स्थायित्व और वेतन भुगतान के लिए आवाज उठा रहे हैं। पिछले पांच महीनों से उन्हें वेतन नहीं मिला, जिसके कारण वे आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। बच्चों की स्कूल फीस, बुजुर्ग माता-पिता की दवाइयां, घर का किराया और रोजमर्रा की आवश्यकताओं को पूरा करना अब उनके लिए मुश्किल हो गया है।

सरकार ने एक कमेटी गठित की थी, जो 15 दिन में रिपोर्ट देने वाली थी, लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया। इसके अलावा, कर्मचारियों पर मनरेगा के अलावा पीएम आवास, स्वच्छ भारत मिशन (SBM) और अन्य विभागीय कार्यों का बोझ बढ़ा दिया गया है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि प्रशासन इन कर्मचारियों के प्रति इतना असंवेदनशील क्यों हो गया है?

19 साल की सेवा, फिर भी अनिश्चित भविष्य

मनरेगा कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष अजय क्षत्रि ने कहा, “हमने अपनी जवानी छत्तीसगढ़ के ग्रामीण विकास में लगा दी, लेकिन बदले में हमें क्या मिला? 30 साल की उम्र में उच्च शिक्षा हासिल कर नौकरी पाई और अब 50 की उम्र में भी भविष्य असुरक्षित है। न स्थायी नौकरी, न सेवा सुरक्षा, और अब तो महीनों से वेतन भी नहीं मिला है।”

कर्मचारियों की 4 प्रमुख मांगें

  1. नियमितीकरण की प्रक्रिया पूरी होने तक सेवा और सामाजिक सुरक्षा के लिए मानव संसाधन नीति तत्काल लागू की जाए।
  2. हड़ताल अवधि का बकाया वेतन जल्द से जल्द दिया जाए।
  3. पिछले 3 से 5 महीने का बकाया वेतन तुरंत भुगतान किया जाए।
  4. मनरेगा कर्मियों से केवल महात्मा गांधी नरेगा योजना से जुड़े कार्य ही लिए जाएं, अन्य विभागों का कार्यभार उन पर न थोपा जाए।

यह हड़ताल सरकार के लिए एक चुनौती बन सकती है, क्योंकि मनरेगा कर्मचारियों का प्रदर्शन ग्रामीण विकास के कामों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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