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Jila Panchaayat Adhyaksh Chunav 2025: इस जिले में पहली बार भाजपा का बनने जा रहा जिला पंचायत अध्यक्ष, विधायक अजय चंद्राकर को नियुक्त किया गया चुनाव पर्यवेक्षक

Jila Panchaayat Adhyaksh Chunav 2025: बालोद जिले में जिला पंचायत अध्यक्ष पद को लेकर अब तक कांग्रेस का कब्जा रहा है, लेकिन इस बार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) इस पद पर कब्जा करने के लिए पूरी तरह तैयार है। बीजेपी ने जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के लिए अपनी रणनीति को सशक्त किया है। पार्टी ने पूर्व मंत्री और विधायक अजय चंद्राकर को बालोद जिले का पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। अजय चंद्राकर की मौजूदगी से बीजेपी के लिए अध्यक्ष पद जीतने की संभावना मजबूत हो गई है, क्योंकि इस बार पार्टी के पास बहुमत है और और कद्दावर नेता इस बार स्वयं प्रभारी बनकर बालोद आ रहे हैं।

यह बालोद जिले में तीसरा जिला पंचायत चुनाव है, और बीजेपी इस बार कांग्रेस के गढ़ को तोड़ने की उम्मीद में है। बीजेपी के अंदर नए जिलाध्यक्ष चेमन देशमुख के आने के बाद पार्टी के प्रदर्शन में स्पष्ट सुधार देखा गया है। अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करने में बीजेपी सबसे आगे रही है।

बालोद जिला पंचायत के पहले दो अध्यक्ष कांग्रेस से

जिला पंचायत गठन के बाद सबसे पहले देवलाल ठाकुर कांग्रेस से निर्वाचित हुए थे। अपने कार्यकाल के बाद, उन्होंने कांग्रेस से बगावत करते हुए पूर्व मंत्री अनिला भेड़िया के खिलाफ दोंदी लोहारा विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में भाग लिया, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद, उन्होंने अंततः भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा। जब वे अध्यक्ष बने, तो उन्होंने कांग्रेस समर्थित अध्यक्ष के रूप में पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। दूसरी बार की बात करें तो कांग्रेस ने अनुसूचित जाति सीट के आरक्षण के तहत जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 1 से सोना देवी देश लहरे को अध्यक्ष के रूप में चुना। अब तीसरे चुनाव में बीजेपी अपनी उम्मीदों को लेकर पूरी तरह तैयार है, अजय चंद्राकर के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी जिला पंचायत अध्यक्ष का पद हासिल कर सकती है। और अजय चंद्राकर की अगुवाई में इस बार पार्टी अध्यक्ष बना सकती है।

जानिए अध्यक्ष पद की रेस में कौन-कौन हैं प्रमुख दावेदार

यदि हम सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी की बात करें, तो इस बार जिले में जो स्थिति उत्पन्न हुई है, उसने सभी को चौंका दिया है। जिले में कुल तीन विधानसभा सीटें हैं, और तीनों सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है, फिर भी इस बार जिला पंचायत चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने सर्वाधिक सीटें जीती हैं। अब पार्टी के पास अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की सीटों पर सीधा नियंत्रण है। इसके अलावा, प्रदेश में अजय चंद्राकर को यहां का पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है। अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों की बात करें तो सबसे मजबूत दावेदार तारिणी चंद्राकर मानी जा रही हैं, क्योंकि उनके पति पुष्पेंद्र चंद्राकर दो बार यहां जिला पंचायत सदस्य रहे हैं। इस बार आरक्षण के फेर में उन्होंने अपनी पत्नी को मैदान में उतारा और वे जीतकर आगे आईं। वहीं, चंद्रिका गजीर का नाम भी सामने आया है, जिन्होंने जनपद के बाद जिला पंचायत की ओर रुख किया और वे भी जीतकर आगे आईं।

इसके अलावा, लक्ष्मी साहू जैसे नए चेहरे भी चर्चा में हैं, जो जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 4 से सदस्य चुने गए हैं। उनकी राजनीतिक पहुंच और संगठन में पुरानी स्थिति को देखते हुए उन्हें भी अध्यक्ष पद का प्रबल उम्मीदवार माना जा रहा है। हालांकि, फिलहाल कोई भी स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हुई है, लेकिन पार्टी अब अजय चंद्राकर के आने का इंतजार कर रही है।

कांग्रेस की तरफ से संभावित उम्मीदवार

विपक्षी कांग्रेस पार्टी की ओर से पूजा साहू को अध्यक्ष पद के लिए प्रमुख दावेदार माना जा रहा है। पार्टी उन्हें इस बार अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार बना सकती है। वहीं, उपाध्यक्ष पद के लिए अभी तक कोई स्पष्ट स्थिति नहीं बन पाई है। कांग्रेस के प्रदर्शन को लेकर अभी भी स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है। पूरे जिले में पार्टी का प्रदर्शन अपेक्षाकृत कमजोर रहा है, लेकिन उनकी चुनावी रणनीति हमेशा चर्चाओं में रहती है। इस बार भी कांग्रेस किसी नई रणनीति के साथ एक बार फिर से राजनीतिक पटल पर असर डाल सकती है।

सीटों का वितरण

बालोद जिला पंचायत में कुल 14 सीटें हैं, जिनमें से बीजेपी ने 8 सीटों पर जीत हासिल की है, जबकि कांग्रेस के पास 4 सीटें हैं और 2 सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों के पास हैं।

बालोद जिले में इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष पद को लेकर कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है। बीजेपी ने अपनी ताकत बढ़ा दी है, जबकि कांग्रेस भी अपनी रणनीति पर काम कर रही है। अजय चंद्राकर की अगुवाई में बीजेपी के लिए एक नई उम्मीद जागी है, और अब उनके नेतृत्व में पार्टी को अध्यक्ष पद पर जीत की पूरी उम्मीद है। वहीं, बालोद कांग्रेस की चुनावी प्रदर्शन सही नही रहा जिसे लेकर उनका मनोबल इस बार थोड़ा कमजोर हुआ है। इस बार भाजपा के चुनाव पर्यवेक्षक की राजनीतिक चतुराई और अनुभव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अब सभी की नजरें इस बात पर होंगी कि कांग्रेस किस रणनीति के तहत इस चुनावी घमासान में कूदती है। क्या वह अपने पुराने चुनावी हथकंडों से बीजेपी को चुनौती दे पाएगी, या फिर बीजेपी अपने नए जोश और रणनीति के साथ बाजी मारेगी। यह मुकाबला इस बार काफी रोचक होगा, जहां दोनों दलों के नेता अपनी पूरी ताकत झोंकने को तैयार हैं।

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