सुशासन तिहार: टेक्नोलॉजी ड्रिवन एप्रोच से होंगे बड़े बदलाव

छत्तीसगढ़ को जब एक स्वतंत्र राज्य का दर्जा मिला था, तब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इसके भविष्य को लेकर एक सपने की कल्पना की थी। उनका सपना था कि राज्य में हर नागरिक तक योजनाएं पहुंचें, और प्रशासन पूरी तरह से पारदर्शी तथा जवाबदेह हो। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस दृष्टिकोण को अपने कार्यकाल में साकार करने का संकल्प लिया और राज्य में सुशासन की स्थापना को मुख्य उद्देश्य बनाया।
लोकतंत्र का असली मतलब पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन है, और यही उद्देश्य लेकर विष्णुदेव साय की सरकार ने पिछले एक साल में मोदी सरकार की योजनाओं को तेजी से लागू किया है। इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, राज्य सरकार ने प्रशासन में पारदर्शिता लाने के लिए टेक्नोलॉजी ड्रिवन एप्रोच अपनाई है। इसी सोच को धरातल पर उतारने के लिए सरकार ने ‘सुशासन तिहार’ नामक एक व्यापक अभियान शुरू किया है।
सुशासन तिहार: राज्यव्यापी अभियान की शुरुआत
सुशासन तिहार एक राज्यव्यापी अभियान है, जो लगभग दो महीने तक चलेगा। इस अभियान का उद्देश्य न केवल लोगों की समस्याओं का समाधान करना है, बल्कि उनकी जनाकांक्षाओं के अनुरूप विकास कार्यों की दिशा भी तय करना है। अभियान के पहले चरण में, 8 से 11 अप्रैल तक आम जनता से उनकी समस्याओं और मांगों के आवेदन लिए जाएंगे। इसके बाद दूसरे चरण में इन आवेदनों का निराकरण एक महीने के भीतर किया जाएगा। अंतिम चरण में, 5 मई से 31 मई तक समाधान शिविरों का आयोजन किया जाएगा।
मुख्यमंत्री, प्रभारी मंत्री और अन्य अधिकारी इस पूरे अभियान के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में आकस्मिक निरीक्षण करेंगे और योजनाओं के क्रियान्वयन की समीक्षा करेंगे। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य प्रशासन को और भी ज्यादा पारदर्शी और जवाबदेह बनाना है।
प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही
राज्य सरकार ने सत्ता में आते ही ‘सुशासन और अभिसरण’ नामक एक नया विभाग बनाया था, जिसके माध्यम से सभी स्तरों पर पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन सुनिश्चित किया जा रहा है। इस दिशा में सरकार ने मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों को प्रबंधन संबंधी प्रशिक्षण के लिए आई.आई.एम भेजा है। इसके साथ ही, सुदूर वन क्षेत्र में माओवादियों पर कड़ी कार्रवाई की गई है, और केन्द्र सरकार के सहयोग से राज्य सरकार ने पिछले 15 महीनों में 300 से ज्यादा नक्सलियों को मुठभेड़ों में मार गिराया है।
इन कड़ी कार्रवाईयों के साथ-साथ, लगभग दो हजार नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। माओवादियों की समस्या को खत्म करने के लिए राज्य सरकार ने देश की सबसे बेहतरीन पुनर्वास नीति भी लागू की है। इन कदमों के परिणामस्वरूप, मार्च 2026 तक माओवाद का प्रभाव लगभग समाप्त होने की संभावना है।
टेक्नोलॉजी के माध्यम से सुशासन की दिशा में बदलाव
सुशासन को और प्रभावी बनाने के लिए राज्य सरकार पारंपरिक तरीकों के साथ-साथ तकनीकी उपायों का भी इस्तेमाल बढ़ा रही है। राज्य के अधिकांश योजनाओं में अब डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से लाभार्थियों के खातों में सीधे पैसे ट्रांसफर किए जा रहे हैं। इसके अलावा, सरकारी कार्यों में तेजी लाने के लिए सभी विभागों में ई-ऑफिस प्रणाली लागू की जा रही है, जिससे सरकारी कामकाजी प्रक्रिया में पारदर्शिता और दक्षता आएगी।
टेक्नोलॉजी ड्रिवन एप्रोच के कारण प्रशासन में निश्चित रूप से बड़े बदलाव होंगे, और सुशासन की दिशा में यह कदम राज्य को एक नया आयाम देगा। आने वाले समय में छत्तीसगढ़ के प्रशासन में बहुत बड़े बदलाव देखे जा सकते हैं, जो न केवल राज्य की विकास यात्रा को तेज करेगा, बल्कि लोगों को एक सशक्त और जवाबदेह प्रशासन का अनुभव भी होगा।
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