CG Teacher Rationalization: छत्तीसगढ़ में युक्तियुक्तकरण पर बवाल: प्रदेश के 23 शिक्षक संगठनों ने युक्तियुक्तकरण काउंसलिंग का किया बहिष्कार, जानिए अब आगे क्या?

CG Teacher Rationalization: छत्तीसगढ़ में शिक्षक युक्तियुक्तकरण काउंसलिंग को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। प्रदेश के 23 शिक्षक संगठनों ने इस प्रक्रिया में भारी गड़बड़ियों और पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाते हुए इसका पूर्ण बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया है। यह विरोध “शिक्षक साझा मंच छत्तीसगढ़” के नेतृत्व में हो रहा है और इसकी शुरुआत महासमुंद जिले से की गई है, जहां काउंसलिंग का पहला चरण प्रस्तावित था।
अनियमितता और शिक्षक हितों की अनदेखी का आरोप
CG Teacher Yuktiyuktkaran: शिक्षक संगठनों का कहना है कि युक्तियुक्तकरण काउंसलिंग में न तो 2008 के सेटअप का पालन किया जा रहा है और न ही शिक्षकों के हितों का ध्यान रखा गया है। उनका दावा है कि पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता नदारद है और इससे शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता पर सीधा असर पड़ रहा है। इसी के चलते प्रदेशभर में इस प्रक्रिया का विरोध और बहिष्कार किया जा रहा है।
संगठन ने दिया मैदान में उतरने का आदेश
CG Teacher Union Protest: शिक्षक साझा मंच ने प्रदेश भर के जिलाध्यक्षों, ब्लॉक अध्यक्षों और जिला संचालकों को सख्त निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में इस काउंसलिंग का सशक्त विरोध करें। सभी संगठनों को कहा गया है कि वे शिक्षकों को इस प्रक्रिया में भाग न लेने की स्पष्ट हिदायत दें और विरोध को एक संगठनात्मक रूप दें। हर जिले में साझा मंच के प्रतिनिधि नेतृत्व करेंगे और विरोध को ज़मीनी स्तर तक ले जाएंगे।
सरकार ने भी दिखाया कड़ा रुख
CG Teacher Rationalization: शिक्षकों के इस बहिष्कार के बाद राज्य सरकार और शिक्षा विभाग भी अलर्ट मोड में आ गए हैं। खुद मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री विष्णुदेव साय ने विभाग को फ्री हैंड दे दिया है और स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि किसी भी हालत में युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया पूरी करवाई जाए। यानी सरकार पीछे हटने के मूड में नहीं है।
क्या अब सीधे टकराव की स्थिति?
अब एक ओर जहां शिक्षक संगठन पूरी प्रक्रिया को अवैध और शिक्षकों के हितों के खिलाफ बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सरकार इसे किसी भी हालत में लागू करने पर अड़ी हुई है। ऐसे में आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था में एक बड़ा संवेदनशील और निर्णायक टकराव देखने को मिल सकता है।
युक्तियुक्तकरण की इस लड़ाई में दोनों पक्ष अपनी-अपनी बात पर अड़े हुए हैं। शिक्षक कह रहे हैं कि उनकी आवाज़ को नजरअंदाज किया जा रहा है, जबकि सरकार का कहना है कि व्यवस्था सुधारने के लिए यह जरूरी कदम है। अब देखना यह होगा कि इस खींचतान का असर स्कूलों की पढ़ाई, बच्चों की शिक्षा और शिक्षक समाज पर कितना गहरा पड़ता है।